सोमवार, 10 अप्रैल 2017

2 लाख लगाकर शुरु करें मोती की खेती, इन्कम 1 लाख रु महीने

अगर आप छोटी सी लागत से लाखों कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए मोती की खेती एक बेहतर विकल्‍प हो सकती है। मोती की मांग इन दिनों घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में काफी अधिक है, इसलिए इसके अच्‍छे दाम भी मिल रहे हैं। आप महज 2 लाख रुपए के निवेश से इससे करीब डेढ़ साल में हर महीने 1 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि कैसे करें मोती की खेती से कमाई... 20 हजार रुपए से शुरू हो सकती है खेती - मोती की खेती उसी प्रकार से की जाती है जैसे मोती प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। यहां भी आपको सीप से ही मोती बनाना है। मोती की खेती करने के लिए इसे छोटे स्‍तर पर भी शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आपको 500 वर्गफीट का तालाब बनाना होगा। - तालाब में आप 100 सीप पालकर मोती उत्‍पादन शुरू कर सकते हैं। प्रत्‍येक सीप की बाजार में कीमत 15 से 25 रुपए होती है। इसके लिए स्‍ट्रक्‍चर सेट-अप पर खर्च होंगे 10 से 12 हजार रुपए, वाटर ट्रीटमेंट पर 1000 रुपए और 1000 रुपए के आपको इंस्‍ट्रयूमेंट्स खरीदने होंगे। लाखों में हो सकती है कमाई - 15 से 20 महीने बाद एक सीप से एक मोती तैयार होता है, जिसकी बाजार में कीमत 300 रुपए से 1500 रुपए तक मिल जाती है। बेहतर क्‍वालिटी और डिजाइनर मोती की कीमत इससे कहीं अधिक 10 हजार रुपए तक इंटरनेशनल मार्केट में मिल जाती है। इस तरह अगर एक मोती की औसत कीमत आप 800 रुपए भी मानते हैं तो इस अवधि में 80,000 रुपए तक कमा सकते हैं। - सीप की संख्‍या आप बढ़ाकर अपने संसाधनों के आधार पर कर सकते हैं। मसलन अगर 2000 सीप पालते हैं तो इस पर खर्च करीब 2 लाख रुपए आएगा। इस हिसाब से आप 15 से 20 महीने की फार्मिंग पर हर महीने आप 1 लाख रुपए से ज्यादा कमा सकते हैं। बशर्ते आपकी मोती बेहतर क्‍वालिटी की हो। बीज डालने के लिए करनी होती है सीप की सर्जरी - सबसे पहले आपको इस खेती के लिए कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण की आवश्‍यकता होती है जो भारत सरकार के द्वारा कराया जाता है। प्रशिक्षण के बाद आपको सरकारी संस्‍थानों या मछुआरों से सीप खरीदने होंगे। सीपों को खुले पानी में दो दिन के लिए छोड़ा जाता है। इससे उनके उपर का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। सीपों को ज्‍यादा देर तक पानी से बाहर नहीं रखना चाहिए। - मांसपेशियां ढीली होने के बाद सीपों की सर्जरी कर उनकी सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद करके उसमें रेत का एक छोटा कण डाला जाता है। यह रेत का कण जब सीप को चुभता है तो वह उस पर अपने अंदर से निकलने वाला पदार्थ छोड़ना शुरू कर देता है। सीपों को नायलॉन के बैग में रखकर (एक बैग में 2 से 3) तालाब में बांस या पीवीसी के पाईप के सहारे छोड़ दिया जाता है। 15 से 20 महीने बाद सीप में मोती तैयार हो जाता है आप उसका कवच तोड़कर मोती निकाल सकते हैं। ग्लोबल स्तर पर है डिजाइनर मोती की डिमांड - आमतौर मोती गोल होता है लेकिन, खेती के जरिए आप मोती को डिजाइन में भी बना सकते हैं जिसकी कीमत ज्‍यादा होती है। सीप के अंदर किसी भी आकृति (गणेश, ईसा, क्रॉस, फूल, आदि) का फ्रेम डाल देते हैं, पूरी प्रक्रिया के बाद मोती यही रूप लेता है। देश विदेश में इस प्रकार के मोतियों की बहुत अधिक मांग है और यह साधारण मोती से कई गुना अधिक कीमत पर बिकते हैं। एक मोती की कीमत 2000 रुपए से 15 हजार रुपए तक हो सकती है, बशर्ते उसकी क्‍वालिटी अच्‍छी हो। सरकार कराती है ट्रेनिंग - मोती की खेती देश में बहुत पहले से की जाती रही है, लेकिन करीब 4 दशक पहले यह बिल्‍कुल न के बराबर हो गई थी। इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक नए विंग सीफा यानि सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर इसके लिए निशुल्‍क ट्रेनिंग कराती है। इसका मुख्‍यालय भुवनेश्‍वर में है और यह 15 दिनों की ट्रेनिंग देता है, जिसमें सर्जरी समेत सभी कुछ सिखाया जाता है। मोती की खेती पहले समुद्र तटीय क्षेत्रों में की जाती थी लेकिन सीफा के प्रयोगों के बाद अन्‍य राज्‍य भी इसके लिए मुफीद हैं। मिलता है आसान लोन - मोती की खेती का यदि आपके पास प्रशिक्षण है तो इसे बड़े स्‍तर पर शुरू करने के लिए आप लोन भी ले सकते हैं। इसके लिए नाबार्ड और अन्‍य कमर्शियल बैंक आपको 15 सालों के लिए सिंपल इंटरेस्‍ट पर लोन उपलब्‍ध कराते हैं। केंद्र सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी की योजनाएं भी समय-समय पर चलाई जाती हैं। यदि आप इसमें कामयाब हो जाते हैं तो अपने बिजनेस को बढ़ाकर कंपनी भी बना सकते हैं और कमाई करोड़ों में कर सकते हैं। खुद बेच सकते हैं अपने मोतियों को - खेती के बाद उत्‍पाद को बेचना ही सबसे बड़ी बात होती है, लेकिन मोतियों के बारे में ऐसा बिल्‍कुल नहीं है। हैदराबाद, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि बड़े शहरों में मोती के हजारों व्‍यापारी मोतियों का कारोबार करते हैं। कई बड़ी कं‍पनियों के एजेंट देशभर में फैले होते हैं जो मोती उत्‍पादकों के संपर्क में आ जाते हैं। इनके अलावा आप अपने मोतियों को डायरेक्‍ट भी इंटरनेट व अन्‍य माध्‍यम से बेच सकते हैं। - इंडियन पर्ल कंपनी देश की सबसे बड़ी मोती व्‍यापार करने और प्राइवेट तौर पर ट्रेनिंग देने वाली कंपनी है। इस कंपनी या इसके जैसी कंपनी के माध्‍यम से भी आप अपने मोती बेच सकते हैं। 20 हजार करोड़ का है मार्केट - पूरी दुनिया में इस तरह के मोतियों का कारोबार करीब 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। भारत में बड़ी मात्रा में मोती पैदा किए जाते हैं लेकिन, फिर भी इसे इम्पोर्ट भी किया जाता है। भारत हर साल करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक के मोती इम्पोर्ट करता है। लेकिन, जहां तक एक्‍सपोर्ट की बात है तो मोतियों का एक्‍सपोर्ट भी भारत से 100 करोड़ रुपए से अधिक का है। भारत से डिजाइनर मोतियों का ज्‍यादा एक्‍सपोर्ट होता है इसलिए आप अपने को इस तरफ भी मोड़ सकते हैं।" - http://tz.ucweb.com/4_Q3Xq

तिसरे युद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया जाने कौन देश किसके साथ

सीरिया में केमिकल हमले के बाद दुनिया की दो महाशक्तियां फिर आमने-सामने है. सीरिया की असद सरकार के बचाव के लिए रूस ने अपना एक जंगी पोत भी सीरिया भेज दिया है. वहीं अमरीका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने सीरिया में विद्रोही ठिकानों पर हुए रासायनिक हमले के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि रूस इस बात पर सहमत हुआ था कि वह आश्वस्त करेगा कि सीरिया के रासायनिक हथियारों का ज़ख़ीरा खत्म हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दुनिया की इन दो बड़ी शक्तियों के आमने-सामने आ जाने के बाद ये कयास लग रहे हैं कि क्या दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर है. अगर ऐसी स्थिति आती है तो कौन देश किसके साथ होगा ये सवाल भी कौंध रहा है. अमेरिका के साथ कौन-कौन से देश? सीरिया में जब 6 साल पहले अरब स्प्रिंग के प्रभाव में विद्रोह शुरू हुए थे तभी से अमेरिका असद विरोधी समूहों के पक्ष में खड़ा हो गया था. अरब का मामला है तो उसके पक्ष में सबसे पहले खड़ा दिखता है इस्राइल. इसके अलावा नैटो के सहयोदी देश- ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देश अमेरिका के साथ हर अंतरराष्ट्रीय मामले पर साथ दिखते हैं. वहीं सीरिया का पड़ोसी देश तुर्की पहले से ही अमेरिका के साथ है. सीरिया बॉर्डर पर रूसी विमान के मार गिराने के कारण रूस के तुर्की का तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ है. अमेरिका के सहयोगी ग्रुप-7 के सदस्य देशों के विदेश मंत्री इटली में मुलाकात कर रहे हैं. इस मीटिंग में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि रूसी सरकार पर सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल-असद से दूरी बनाने का दबाव किस तरह बनाया जाए. ब्रिटेन- ब्रिटेन की सरकार ने अमेरिकी हमले का पूरा समर्थन किया है. ब्रितानी रक्षा मंत्री माइकल फैलन ने अमरीकी कार्रवाई को सही और सीमित बताया. तुर्की तुर्की के राष्ट्रपति तैयप अर्दोआन ने अमरीकी कार्रवाई को सीरिया में हो रहे कथित युद्ध अपराध का सही जवाब बताया है. इस्राइल- इस्राइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने एक बयान जारी कर अमरीकी कार्रवाई का पूरा समर्थन किया. फ्रांस- फ्रांस वैसे अमेरिका के साथ खड़ा दिखता है लेकिन सीरिया में इसकी स्थिति पशोपेश वाली है. पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद फ्रांस के युद्धक विमानों ने सीरिया में आईएसआईएस के ठिकानों पर बमबारी की थी लेकिन रूस के साथ तनाव की स्थिति में फ्रांस अमेरिका के साथ ही खड़ा होगा. सऊदी अरब- अमेरिका की ही तरह सुन्नी बहुल खाड़ी देश सऊदी अरब भी किसी भी कीमत पर असद को हटाने पर अड़ा है. 2013 में जब असद पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा था तब सऊदी अरब चाहता था कि अमेरिका हस्तक्षेप करे. अमेरिका द्वारा ऐसा न करने पर सऊदी अरब नाराज था, हालांकि अब ये देश अमेरिका के नेतृत्व में आईएसआईएस के खिलाफ अभियान में शामिल है. रूसी खेमे में कौन-कौन से देश शामिल रूस, ईरान और सीरिया की सरकार अगले अमरीकी हवाई हमले की स्थिति में जवाब देने की मुद्रा में दिख रही है. अमेरिका बीते हफ्ते सीरिया के एयरबेस पर हमला कर चुका है. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपने एक भाषण में सीरियाई राष्ट्रपति को तानाशाह तक कह चुके हैं. सीरियाई सरकार के मुख्य सैन्य सहयोगी रूस ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाली और मनगढ़ंत आधार पर की गई आक्रामक कार्रवाई बताया. रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोफ़ ने अमरीका और रूस के पहले से खस्ताहाल संबंधों के गंभीर रूप से बिगड़ने की चेतावनी दी. हालांकि, रूस की संसद ड्यूमा ने संकेत दिए हैं कि अमरीकी कार्रवाई के बाद रूस अपने हमले तेज़ नहीं करेगा. ईरान- सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थक ईरान ने अमरीकी कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है. इन देशों की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं चीन चीनी सरकार ने सीरिया में बिगड़ते हालात पर चिंता जताई है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि किसी देश, संस्था, व्यक्ति की तरफ़ से किसी भी हालत में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का चीन विरोध करता है लेकिन सबसे ज़रूरी है कि सीरिया की हालत को और न बिगड़ने दिया जाए. भारत भारत ने सीरिया मामले पर कोई स्पष्ट रुख तो नहीं दिखाया है क्योंकि अमेरिका के साथ भी भारत के अच्छे रिश्ते हैं और रूस सबसे अहम सहयोगी है. वहीं सीरिया के साथ भी भारत के परंपरागत संबंध रहे हैं. हालांकि, भारत ने सीरिया, लीबिया जैसे देशों में अपने नागरिकों के जाने पर ट्रैवल एजवाइजरी जारी की है. भारत अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के काल में भी तटस्थता की नीति को अपनाता रहा और किसी भी गुट में शामिल नहीं हुआ था.