सोमवार, 10 जुलाई 2017

घर की ये छ: परसानिया ऐसे होंगे दुर

:- भारतीय संस्कृति में गंगाजल का महत्व लोगों के आस्था से जुड़ा हुआ है। गंगा भगवान शंकर की जटाओं से निकलती है, इसलिए यह पवित्र माना जाता है। गंगाजल हर तरह के कामों में काम आता है चाहे वह पूजा हो या फिर घर की शुद्धि आदि के लिए। वैदिक ग्रंथों में शुभ कामों में गंगा जल का प्रयोग के बारे में कई लेख मिलते हैं। आइए जानते है कि गंगाजल के प्रयोग से आपकी परेशानियां कैसे दूर किया जा सकता है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार मां गंगा में नहाने व पूजा आदि करने से कई तरह के पाप कटते हैं। इसका वैज्ञानिक कारण यह भी माना गया है कि गंगा के पानी में कई प्रकार के औषधिय गुण पाए जाते हैं जिसमें नहाने से कई प्रकार के रोग खत्म हो जाते हैं। इतना ही नहीं गंगाजल को वास्तु शास्त्र से भी जोड़ा गया है।

वास्तु दोष खत्म करने के लिए गंगाजल
घर पर यदि वास्तुदोष है और आप उससे परेशान रहते हों तो अपने घर में नियमित गंगाजल का छिड़काव करें। ऐसा नियमित करने से वास्तु दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है और घर पर सकारात्मक ऊर्जा आती है। घर में गंगाजल का सदैव छिड़काव करना चाहिए।
यदि डरावने सपने आते हों
यदि रात को डरवाने सपने आते हों तो हमेशा सोने से पहले बिस्तर पर गंगाजल का छिड़काव कर दें। ऐसा करने से डरवाने सपने इंसान को परेशान नहीं करते हैं।

सुख-शांति
गंगाजल को हमेशा घर पर रखने से सुख और संपदा बनी रहती है। इसलिए एक पात्र में हमेशा गंगाजल भरकर रखें।
शुभ लाभ प्राप्ति
भगवान सदा शिव को गंगाजल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं । इससे इंसान को मोक्ष और शुभ लाभ दोनों ही मिलते हैं।
धन प्राप्ति
धन प्राप्ति के लिए भगवान शिव को बिल्वपत्र कमल और गंगा का जल चढ़ाएं।
काम में सफलता
तरक्की और सफलता पाने के लिए गंगाजल को हमेशा अपने पूजा स्थल और किचन में रखें। यदि आपके ऊपर कर्ज अधिक हो गया है या घर में परेशानियां ही परेशानियां हो तो आप गंगाजल को पीतल की बोतल में भरें और उसे अपने घर के कमरे में उत्तर पूर्व दिशा में रख दें। इससे आपकी समस्या हल हो जाएगी।

अमृततुल्य माना जाता है गंगाजल
सर्वमान्य तथ्य है कि युगों पहले भागीरथ जी गंगा की धारा को पृथ्वी पर लाये थे, भागीरथ जी गंगा की धरा को हिमालय के जिस मार्ग से लेकर मैदान में आए वह मार्ग जीवनदायनी दिव्य औषधियों व वनस्पतियों से भरा हुआ है। इस कारण भी गंगा जल को अमृततुल्य माना जाता है।