शनिवार, 25 मार्च 2017

दुर्गा माता चुनार त्रिकोण

 चुनार जंक्शन से दक्षिण दिशा की तरफ लगभग 1 किलोमीटर दूर चुनार सक्तेशगढ़ मार्ग पर पहाड़ो में बसा माता का यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सौंदर्य झरने तथा त्रिकोण यात्रा हेतु प्रसिद्ध है। मंदिर के आस पास का नजारा मन को अत्यंत शांति प्रदान करने वाला शुद्ध वातावरणयुक्त है । माता का यह मंदिर धार्मिक मान्यताओ के अनुसार अपनी त्रिकोण यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। जैसे विंध्याचल माता के दर्शन को त्रिकोण यात्रा के बाद ही पूर्ण माना जाता है ठीक उसी तरह यहाँ की मान्यता है। दुर्गा माता मंदिर के बगल में त्रिकोण यात्रा के दूसरे चरण में काली माता का मंदिर तथा तत्पश्चात तीसरे चरण में भैरव जी का मंदिर काली माता मंदिर के सामने उपस्थित है। आसपास के जिलो से प्रतिवर्ष हज़ारो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने के साथ साथ अपनी छुट्टियां मनाते है। आसपास की ग्रामीण जनसंख्या वैवाहिक कार्यक्रमो के लिए भी यहाँ उपस्थित होती है। अनेक भक्तगण यहाँ अपनी मन्नत तथा मान्यताओ को भी पूर्ण करने के लिए भी आते है। बहुत से लोग अपने बच्चों के मुंडन कार्यक्रम को भी यहाँ आयोजित करते है। ऐसी मान्यता है की जो लोग माता विंध्याचल में अपनी त्रिकोण यात्रा पूरी नही कर पाते है वो यही दर्शन कर के अपनी यात्रा को पूर्ण कर सकते है। उन्हें उसी त्रिकोण यात्रा का फल प्राप्त होता है। वर्षा के मौषम में अथवा सावन माह में लगने वाले मेले के समय यहाँ घूमना उचित समय है।तब आप यहाँ के झरनो को लुफ्त अत्यंत प्रफुल्लित मन के साथ उठा सकते है। यहाँ पर आपको उपस्थित कुण्ड में सदैव जल उपस्थिर मिलेगा जहाँ पर श्रद्धालु तथा मंदिर के लोग स्नान करते है। बरसात के दिनों में इन कुंडो में स्नान करने का यहाँ अपना ही अंदाज है।आसपास के क्षेत्रो से बहुत अधिक संख्या में लोग यहाँ कुण्ड में स्नान का आनंद लेने हेतु यहाँ जरूर आते है। दुर्गा खोह:- जब आप मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको एक अत्यंत छोटा गुफा की तरह स्थान सीढ़ियों को पास मिलेगा ।यह वही स्थान है जहाँ माता प्रकट हुई थी। दुर्गा माता मंदिर के बाहर आपको महादेव जी ,हनुमान जी,गणेश भगवान् तथा भैरव जी का भी मंदिर मिलेगा जहाँ पर दर्शन को अत्यंत पुण्य माना जाता है। काली खोह:- त्रिकोण यात्रा के अगले भाग में हम यहाँ काली माता के दर्शन करते है। काली माता के दर्शन हेतु जाने का मार्ग अत्यंत सुन्दर तथा प्राकृतिक हरियाली को यहाँ पिरोये हुए है। माता काली के मंदिर के पास एक कूप है जिसमे सदैव जल रहता है।आस पास की ऐसी मान्यता है की लगातार इस कूप का जल पिने से उदर रोग में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। वटुक भैरों नाथ जी:- त्रिकोण यात्रा के अगले चरण में यहाँ हम श्री वटुक भैरो नाथ जी के दर्शन करते है। यहाँ उपस्थित एक अन्य कुण्ड तथा पीछे उपस्थित पहाड़ो से आता हुआ जल और उसकी ध्वनि लोगो के मन को अपनी तरफ आकर्षित करती है। बकरिया कुण्ड:- यदि चुनार जंक्शन की तरफ से माता दुर्गा मंदिर के दर्शन के लिए जाते वक़्त मंदिर से आधा किलोमीटर पहले यह स्थित है।यह कुण्ड सामान्यतः पहाड़ो से गिरने वाले जल से भरा रहता है लेकिन यदि आप बारिश के मौषम में यहाँ आते है तो आप जलमग्न कुण्ड का आनंद ले पाएंगे। कुछ विशेष बातें :- (1) यहाँ से सिद्धनाथ दरी लगभग 19 किलोमीटर दूर स्थित है । जहाँ आप अत्यंत सुदर जलप्रपात का आनद ले सकते है। (2) मंदिर परिसर से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी पे बाबा अड़गड़ानंद जी का भी आश्रम है । (3) ऐसी मान्यता है है की देवकीनन्दन खत्री जी जब यहाँ से एक किलो मीटर की दुरी पर स्थित एक पीपल के निचे अपने उपन्यास चंद्रकांता को लिख रहे थे तब उनकी मुलाक़ात गुरु दत्रात्रेय जी से हुई थी। ध्यान देने योग्य :- यह मंदिर हमेशा से अनेक प्रकार की उपेक्षाओं का शिकार हुआ है ।यहाँ आस पास प्रशासन द्वारा करोड़ो के पेड पौधे लगाये गए लेकिन वनस्पति माफियाओ तथा लोकल लोगो द्वारा यह वन कटान का शिकार हो रहा है। प्रति वर्ष आने वाले श्रद्धालुओं की अपेक्षा यहाँ कूड़ा फेकने का कोई विशेष प्रबंध नही है जिसकी वजह से यहाँ गन्दगी बहुत बढ़ती जा रही है। हमारे इस पोस्ट का एक मात्र उद्देश्य यहाँ पर पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ साथ इसकी सफाई और व्यवस्था पर आपका ध्यान केंद्रित करना है।

शीतल माता की वर्णन

संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें शीतला देवी शीतला माता शीतला माता चेचक संबंधित शक्ति अवतार अस्त्र-शस्त्र कलश, सूप, झाड़ू, नीम के पत्ते जीवनसाथी शिव वाहन गर्दभ द वा ब शीतला माता एक प्रसिद्ध हिन्दू देवी हैं। इनका प्राचीनकाल से ही बहुत अधिक माहात्म्य रहा है। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। ये हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। इन्हें चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है। इन बातों का प्रतीकात्मक महत्व होता है। चेचक का रोगी व्यग्रता में वस्त्र उतार देता है। सूप से रोगी को हवा की जाती है, झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते हैं। नीम के पत्ते फोडों को सड़ने नहीं देते। रोगी को ठंडा जल प्रिय होता है अत: कलश का महत्व है। गर्दभ की लीद के लेपन से चेचक के दाग मिट जाते हैं। शीतला-मंदिरों में प्राय: माता शीतला को गर्दभ पर ही आसीन दिखाया गया है।[1] शीतला माता के संग ज्वरासुर- ज्वर का दैत्य, ओलै चंडी बीबी - हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण- त्वचा-रोग के देवता एवं रक्तवती - रक्त संक्रमण की देवी होते हैं। इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणु नाशक जल होता है।[2] स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गान करता है, साथ ही उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है: “ वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।। मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।। „ अर्थात गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं। शीतला माता के इस वंदना मंत्र से यह पूर्णत: स्पष्ट हो जाता है कि ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं। हाथ में मार्जनी झाडू होने का अर्थ है कि हम लोगों को भी सफाई के प्रति जागरूक होना चाहिए। कलश से हमारा तात्पर्य है कि स्वच्छता रहने पर ही स्वास्थ्य रूपी समृद्धि आती है।[3] मान्यता अनुसार इस व्रत को करनेसे शीतला देवी प्रसन्‍न होती हैं और व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग, शीतलाकी फुंसियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं।[1] श्री शीतला चालीसा संपादित करें अगम कुआं, पटना, बिहार स्थित शीतला माता मंदिर दोहा जय जय माता शीतला तुमही धरे जो ध्यान। होय बिमल शीतल हृदय विकसे बुद्धी बल ज्ञान ॥ घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार। शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार ॥ चालीसा जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी ॥ गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती ॥ विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा ॥ मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा ॥ शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी ॥ सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥ चौसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै ॥ नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै ॥ धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी ॥ ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी ॥ हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक ॥ हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी ॥ तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा ॥ विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो ॥ बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा ॥ अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो ॥ पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥ अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे ॥ श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना ॥ कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै ॥ विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई ॥ तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता ॥ तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी ॥ नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी ॥ नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी ॥ श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला ॥ मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी ॥ राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन ॥ सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई ॥ कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई ॥ हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन ॥ निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै ॥ कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे ॥ बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे ॥ सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत ॥ या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका ॥ कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा ॥ ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा ॥ अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत ॥ बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई ॥ यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। सपनेउ दुःख व्यापे नही नित सब मंगल होय ॥ बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू ॥ ॥ इति ॥ श्री शीतला माता जी की आरती संपादित करें जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता | जय रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धिसिद्धि चंवर डोलावें, जगमग छवि छाता | जय विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता, वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता | जय इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा, सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता | जय घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता, करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता | जय ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता, भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता | जय जो भी ध्यान लगावैं प्रेम भक्ति लाता, सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता | जय रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता, कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता | जय बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता, ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता | जय शीतल करती जननी तुही है जग त्राता, उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता | जय दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता, भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता | जय [4]

रामनगर वाराणसी किले की वर्णन

रामनगर, वाराणसी अन्य प्रयोग हेतु, रामनगर देखें। रामनगर — city — रामनगर समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) देश भारत राज्य उत्तर प्रदेश ज़िला वाराणसी जनसंख्या 39,941 (2001 तक ) क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) • 64 मीटर (210 फी॰) रामनगर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिला का एक तहसील है। रामनगर में एक किला है जिसे रामनगर किला कहते हैं और ये यहां के राजा काशी नरेश का आधिकारिक और पैतृक आवास है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।[1] रामनगर किला]] में यहां के राजाओं का एक संग्रहालय भी है। ये राजाओं का १८वीं शताब्दी से आवास है।[2] रामनगर की रामलीला यहां दशहरा त्यौहार खूब रौनक और तमाशों से भरा होता है। इस अवसर पर रेशमी और ज़री के ब्रोकेड आदि से सुसज्जित भूषा में काशी नरेश की हाथी पर सवारी निकलती है और पीछे-पीछे लंबा जलूस होता है।[1] फिर नरेश एक माह लंबे चलने वाले रामनगर, वाराणसी की रामलीला का उद्घाटन करते हैं।[1] रामलीला में रामचरितमानस के अनुसार भगवान श्रीराम के जीवन की लीला का मंचन होता है।[1] ये मंचन काशी नरेश द्वारा प्रायोजित होता है अर पूरे ३१ दिन तक प्रत्येक शाम को रामनगर में आयोजित होता है।[1] अंतिम दिन इसमें भगवान राम रावण का मर्दन कर युद्ध समाप्त करते हैं और अयोध्या लौटते हैं।[1] महाराजा उदित नारायण सिंह ने रामनगर में इस रामलीला का आरंभ १९वीं शताब्दी के मध्य से किया था।[1] सरस्वती भवन रामनगर किले में स्थित सरस्वती भवन में मनुस्मृतियों, पांडुलिपियों, विशेषकर धार्मिक ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह सुरक्षित है। यहां गोस्वामी तुलसीदास की एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है।[1] यहां मुगल मिनियेचर शैली में बहुत सी पुस्तकें रखी हैं, जिनके सुंदर आवरण पृष्ठ हैं।[1] व्यास मंदिर, रामनगर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब वेद व्यास जी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे।[1] उसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये।[1] इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया।[1] इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।[1] भूगोल संपादित करें रामनगर 25°17′N 83°02′E / 25.28°N 83.03°E पर स्थित है।[3] यहां की औसत ऊंचाई ६४ मीटर (२०९ फीट) है।

एक बुचडखाने की औकात

"नई दिल्लीः मुरादाबाद के जिस कांठ में सिर्फ एक लाउडस्पीकर के चलते 2014 में दंगा भड़क उठा था, वहां पर चार माह पहले सपा नेता के संरक्षण में स्लॉटर हाउस खुलवाया जा रहा था, वो भी बहुसंख्यक आबादी के बीच। वो भी तब जब स्थानीय बा... नई दिल्लीः मुरादाबाद के जिस कांठ में सिर्फ एक लाउडस्पीकर के चलते 2014 में दंगा भड़क उठा था, वहां पर चार माह पहले सपा नेता के संरक्षण में स्लॉटर हाउस खुलवाया जा रहा था, वो भी बहुसंख्यक आबादी के बीच। वो भी तब जब स्थानीय बाशिंदे विरोध में धरना दे चुके थे। जब एसएसपी दिनेश चंद्र दुबे ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर बूचड़खाने को एनओसी देने से मना किया तो डीजीपी जावीद अहमद ने घंटे भर में ट्रांसफर कर दिया। डीजीपी पर भी दबाव था। क्योंकि नेता की पहुँच एनेक्सी के पंचम तल तक थी। पुलिस एनओसी के लिए सीधे उसी तल से एसएसपी पर दबाव डाला जा रहा था। मगर बहादुरी के लिए 2005 में पुलिस पदक पा चुके दिनेश दुबे घुटने नहीं टेके। वही किया जो ज़मीर ने गवारा किया। बोले-इलाके में पहले से सांप्रदायिक तनाव है, लोग भड़के हैं, बूचड़खाना खुलवाकर हमें दंगा नहीं कराना है। पंचम तल की इस नाफरमानी का इनाम उन्हें ट्रांसफ़र के रूप में भुगतना पड़ा। तैनाती के तीन महीने में ही दिसंबर 2016 में दुबे को मुरादाबाद छोड़ना पड़ गया। खैर यह घटना बानगी है कि सपा राज में एक स्लॉटर हाउस की क्या औक़ात होती थी। कि एसएसपी की कुर्सी भी हिल जाती थी। जानवरों के क़त्ल के धंधे में ख़ुद तब सचिवालय का पंचम तल भी कितना रुचि लेता था। आज वही डीजीपी जावीद अहमद हैं, मगर तेवर बदल गए हैं। अब तक उनके राज में अवैध स्लॉटर हाउस बेखौफ चलते रहे मगर आज उन्हीं के फ़रमान पर बूचडखानों पर ताले लटक रहे है। ग़ाज़ियाबाद से मुरादाबाद और मेरठ से अलीगढ़ तक तो बनारस से बस्ती तक धड़ाधड़ एक्शन हो रहा है। दोष जावीद अहमद जैसे अफ़सर बेचारों का नहीं है , निज़ाम की नीयत का है। जावीद अहमद जैसों का काम तो बस हुक्म की तामील करना है। एक सीएम अवैध बूचड़खाना चलाना चाहता था तो डीजीपी ने चलने दिया। अब नए सीएम ने बूचड़खाना बंद करना चाहा तो डीजीपी जावीद भी ताला लटकवा रहे। क्योंकि निज़ाम बदल चुका है। नीति बदल गई। नीयत बदल गई और प्राथमिकता बदल गई है। कुछ समय पहले फोन पर मेरी बात वेस्ट यूपी में तैनात परिचित एसएसपी से हो रही थी। मैने पूछा-आपके यहाँ किस तरह का क्राइम ज़्यादा हो रहा। पंचलाइन में बोले-'इंसान सुरक्षित हैं मगर जानवर ख़तरे में हैं'। हमने पूछा मतलब? बोले- पशुचोरी की घटनाएँ बढ़ गईं हैं। गाँव-गाँव से शिकायतें आ रहीं हैं। वेस्ट यूपी में तस्करों का पूरा गिरोह है। रात में पिकअप लेकर चलते है। पशुओं को खींच ले जाते हैं और जब तक शिकायत पर पुलिस तत्पर हो तब तक जानवर बूचडखाने में कटकर मांस में बदल जाते हैं। बोले-मवेशियों की लूट भी हो रही। घटना बताए कि चराने के लिए एक किसान गायें ले गया था। चार-पाँच लोग आए और गाय गाड़ी में लादकर चलते बने। बूचडखाने बंद होने से मवेशियों की चोरी रुकेगी। भला सोचिए सत्ता की सरपरस्ती अगर न होती तो कैसे पूरे यूपी में तीन सौ अधिक बूचड़खाने चल रहे होते। जिसमें से सिर्फ 126 का नाम-पता सरकारी काग़ज़ातों पर दर्ज है। सबसे चौंकाने वाली बात है। ख़ुद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनजीटी में हलफनमा देकर यह स्वीकार करता है कि यूपी में सिर्फ एक बूचडखाना ही वैलिड परमिट के साथ चल रहा। मामला बहुत गंभीर है। क्योंकि देश से जो 60 लाख मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है, उसमें से 11 लाख टन हिस्सा केवल यूपी से होता है । जाहिर सी बात है कि एक स्लॉटर हाउस से यह कतई संभव नहीं। एनजीटी में दायर जिस याचिका पर सभी अवैध बूचड़खानों के बंदी का आदेश हुआ। उसमें कहा गया है कि गाजियाबाद, संभल, अलीगढ़ व बुलंदशहर में सबसे ज्यादा स्लॉटर हाउस हैं। यहां भूजल की स्थिति पहले से ही काफी ख़तरनाक स्थिति में है और भारी दोहन के चलते डार्क जोन में आ चुके हैं। नियमों के अनुसार स्लॉटर हाउस में जीरो लीटर डिस्चार्ज (जेडएलडी) का मानक लागू किया जाना जरूरी है, मगर हकीकत में स्लॉटर हाउस बड़ी तादाद में पानी का उपयोग करते हैं। यही नहीं स्लॉटर हाउस में इफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) भी नहीं लगाए गए। जिन 21 स्थानों पर लगे भी तो इससे स्लॉटर हाउस से निकलने वाली गंदगी दूर नहीं होती। इसलिए स्लॉटर हाउस में सीवेज शोधन संयंत्र लगाए जाने चाहिए। मैं किसी धंधे का विरोधी नहीं हूँ मगर अवैध धंधे का विरोधी हूँ। क्योंकि अवैध बूचडखाना संचालक न केवल क़ानून विरोधी काम कर रहे बल्कि लोगों की सेहत के साथ भी खेल रहे। कौन जानता है कि आप कैसा माँस सप्लाई कर रहे। बीमार पशु का माँस खिला रहे हो या संक्रमित। नियम तो यह कहता है कि मेडिकल परीक्षण के बाद ही बिना दुधारु पशु कटें। अपनी आत्मा की कहूँ तो एक भी पशु नहीं कटना चाहिए। बीमार होने पर डॉक्टर का एक इंजेक्शन भी बहुत दर्द देता है, और भला सोचिए जब किसी बेज़ुबान के गले पर छुरी चलती होगी...सिर्फ जीभ के लिए किसी की जान....राम..राम...राम ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दें भगवान !!" - एक बूचड़खाने की औक़ात तुम क्या जानो साहब ! http://tz.ucweb.com/3_1P9Ih

विराट की जगह लेने वाले इस क्रिकेटर की कहानी आपको हैरान कर देगी

"हल ही में धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हुए सीरीज के मैच में विराट कोहली चोटिल होकर टीम से बाहर हो गए हैं, जिस कारण उनकी जगह इंडिया-ए के खिलाड़ी कुलदीप को शुरुआत करने का अवसर मिला और उन्होंने पहले ही मैच में वॉर्नर, हैंड्सकॉम्ब, मैक्सवैल और कमिंस के महत्वपूर्ण विकेट लेकर खुद को एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी साबित कर दिया है। उत्तर प्रदेश का ये 22 वर्षीय खिलाड़ी अब रॉयल लाइफ जीता है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुलदीप के पिता ईट की भट्टी चलाते थे। कुलदीप के पिता का सपना था कि उनका बेटा क्रिकेटर बने। कुलदीप का जन्म 14 दिसंबर, 1994 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। पिता ईंट की भट्टी के चलाते थे। कुलदीप को क्रिकेट खेलने का बड़ा शौक था। तो उनके पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने की ठानी। कुलदीप ने बताया , ‘पहले मुझे ये खेल बिल्कुल पसंद नहीं था। लेकिन दोस्तों के साथ टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलता था।’ ‘मैं पढ़ाई में काफी अच्छा था। आज कुलदीप अपनी और अपने पिता की मेहनत से इंडियन क्रिकेट के जबरदस्त अॉफ स्पिरन हैं।" - विराट की जगह लेने वाले इस क्रिकेटर की कहानी आपको हैरान कर देगी! http://tz.ucweb.com/3_1P8hg

क्या हज हाउस का जबाब है ,मानसरोवर हाउस

योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद आज जब पहली बार अपने गृहक्षेत्र गोरखपुर पहुंचे तो अपने भाषण में एक 'खुशखबरी' का भी ऐलान किया. आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वालों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी का कोई नागरिक यदि कैलाश मानसरोवर जाना चाहता है और उसके लिए शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम है तो यूपी सरकार उसे एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी. आदित्यनाथ ने ये भी कहा कि लखनऊ, गाजियाबाद या नोएडा में से किसी एक स्थान पर कैलाश मानसरोवर भवन का निर्माण किया जाएगा. ये सभी काम एक-एक कर होते रहेंगे लेकिन विश्वास केवल इस बात का कि आपका सहयोग आपका सानिध्य प्राप्त हो. हज हाउस का जवाब है कैलाश मानसरोवर भवन? योगी आदित्यनाथ ने जब कैलाश मानसरोवर भवन के निर्माण का ऐलान किया तो ये सवाल कौंधने लगा कि क्या कैलाश मानसरोवर भवन अखिलेश सरकार द्वारा बनवाए गए भव्य हज हाउस का जवाब है. हज हाउस गाजियाबाद में बना है और बीजेपी लगातार इसे मुस्लिम तुष्टिकरण बताती रही है. आज आदित्यनाथ ने भी कैलाश मानसरोवर भवन का निर्माण लखनऊ, नोएडा या गाजियाबाद में कराने की बात कही. वैसे योगी ने अपने भाषण की शुरुआत में ही साफ कर दिया कि उनकी सरकार विकास सबका करेगी लेकिन तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा. योगी की सभा में मौजूद तमाम लोगों से बात की गई तो उनका भी यही कहना था कि अब तक सरकारों ने हज के लिए सब्सिडी दी है तो फिर कैलाश मानसरोवर के लिए सरकारी सहायता क्यों नहीं होनी चाहिए. गौरतलब है कि आज ही योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने अमीर मुस्लिमों से अपील की थी कि वे हज के लिए मिलने वाली सब्सिडी छोड़ दें. ये उन्हें सबका साथ सबका विकास का हिस्सा बना देगा.

मैदान पर पानी पिलाने आये विराट कोहली

"भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच धर्मशाला के मैदान पर बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी का आखिरी टेस्ट मैच खेला जा रहा है. इस मैच की सबसे बड़ी खबर सुबह सुबह यह रही, कि विराट कोहली आखिरी टेस्ट से बाहर हो गए है और उनकी जगह पर अजिंक्य रहाणे टीम की कप्तानी कर रहे है. युवा चाइनामैन गेंदबाज़ कुलदीप यादव को भी भारतीय टीम में मौका मिला है, जबकि भुवनेश्वर कुमार को इशांत शर्मा की जगह टीम में शामिल किया गया. पूरा देश है इस क्रिकेटर की पत्नी का फैन, हो चुकी है Sexual Assault का शिकार स्टीव स्मिथ ने रांची की तरह इस मैदान पर भी टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया, लेकिन पहली ही गेंद पर डेविड वार्नर बाल बाल बचे जब करुण नायर ने उनका कैच टपका दिया. अगले ही ओवर में उमेश यादव ने टीम इंडिया को पहली सफलता दिलाई और शानदार फॉर्म में चल रहे मैट रेंशो को आउट किया. मैच के छठे ही ओवर गेंद का आकार खराब होने के कारण, मैच को कुछ देर रोकना पड़ा और उस समय टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली मैदान पर आए और अपने साथी खिलाड़ियों को पानी के साथ कुछ संदेश भी दिया. विडियो : रिद्धिमान साहा के शतक के बाद कोहली समेत टीम इंडिया ने इस अंदाज़ में मनाया जश्न कोहली ने ऐसा कर सभी का दिल जीत लिया और खासकर, कि टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी और सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक मोहम्मद कैफ का. कैफ, कोहली के ऐसे करने से खुदको उनकी तारीफ करने से नहीं रोक सके और अपने ट्विटर अकाउंट पर कैफ ने कोहली के लिए कहा, This commitment from Virat the only highlight of the first session for India. Good batting track but Aus helped by wayward bowling.#IndvAuspic.twitter.com/dNYlWe11Sq — Mohammad Kaif (@MohammadKaif) March 25, 2017 “कोहली की यह प्रतिबद्धता पहले सत्र में भारतीय टीम के लिए एकमात्र हाईलाइट रहा. बल्लेबाज़ी के लिए अच्छी विकेट है, लेकिन खराब गेंदबाज़ी ने भी ऑस्ट्रेलिया की मदद की है.” कट्टर हिन्दू नेता योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर ये क्या बोल गए मोहम्मद कैफ भारतीय टीम ने पहले सत्र में एक विकेट तो हासिल किया लेकिन 131 रन बनाने में भी ऑस्ट्रेलियाई टीम कामयाब रही थी." - मैदान पर पानी पिलाने आये विराट कोहली, मोहम्मद कैफ ने की टीम इंडिया की बुराई http://tz.ucweb.com/3_1Mx4U

CM बनने के बाद पहली बार गोरखपुर पहुचे योगी आदित्यनाथ जय श्री राम के नारों गुजा गोरखपुर मानसरोवर कैलाश यात्रा के लिए 1लाख रूपये की घोषणा

"उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर पहुंचे है। गोरखपुर में योगी का धूमधाम से स्वागत किया गया है। योगी आदित्यनाथ के पहुंचने पर उनके समर्थकों ने जय श्री राम के नारे लगाए। योगी आदित्यनाथ के स्वागत में महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज में समारोह आयोजित किया गया। अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को यूपी सरकार एक लाख रुपए का अनुदान देगी। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि नोएडा, गाजियाबाद या लखनऊ में से एक जगह मानसरोवर हाउस बनेगा। गोरखपुर में समर्थकों को संबोधित करते हुए योगी कहा, ‘यह यूपी के 22 करोड़ लोगों का अभिनंदन है, जिन्होंने भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है। मैं इसका सम्मान करते हुए आप सबका अभिनंदन करता हूं। हम सबके सामने देश के पीएम मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने और संसदीय बोर्ड ने हम सबको एक अहम जिम्मेदारी है। वह जिम्मेदारी है कि देश में पीएम मोदी की भावना के मुताबिक केंद्र सरकार ने विकास के कार्यों के तेजी से आगे बढ़ाकर समाज के आखिरी लोगों के कल्याण की योजनाओं को लाभ बढ़ाया जा रहा है। अब हम सबको भी ऐसे ही करना है। हमें उन सपनों को साकार करना है, जिनसे यूपी के लोग वंचित थे। माताएं-बहनें असुरक्षित थीं, युवाएं पलायन कर रहे थे, युवाओं को उज्जल भविष्य नहीं दिख रहा था।’ साथ ही कहा, ‘हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यूपी के 22 करोड़ लोग किसी भी तरह से अपने आपको उपेक्षित महसूस नहीं कर सकते। पीएम मोदी हमारे सबके लिए आदर्श हैं। मुख्यमंत्री का पद हमारे लिए केवल पद नहीं है, यह हमें कर्तव्य दिखाता है। यूपी में सरकार सबका साथ-सबका विकास के जरिए चलेगी। जाति, धर्म, क्षेत्र और किसी भी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा।’ योगी आदित्यनाथ इन तस्वीरों पर भी गौर कर लेते तो गैरभाजपाई वोटर्स भी हो जाते मुरीद   उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। 403 सीटों में से भाजपा को 312 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद भाजपा ने प्रदेश में करीब 15 साल सरकार बनाई है। भाजपा के विधायकों ने योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना था। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने बतौर सीएम पिछले सप्ताह शपथ ली थी। योगी आदित्यनाथ के साथ ही यूपी भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा ने बतौरी डिप्टी सीएम शपथ ली थी।" - गोरखपुर पहुंचे योगी आदित्यनाथ, जय श्री राम के नारों के साथ हुआ स्वागत http://tz.ucweb.com/3_1Mt9P

काफिले से ही साफ है ,माया ,अखिलेश से अलग है युपी के CM

उत्तर-उपनिवेशवाद के इस दौर में विजेता वो है जो डिफ्रेंट है, फिर वो चाहे बाजार हो, सिनेमा या फिर सियासत. जनता के जेहन में अब तक नेता की अहमियत उसे घेरे हुए संतरियों की तादाद से तय होती थी. उसका सियासी कद उसके साथ चलने वाले काफिले की लंबाई से मापा जाता था. लेकिन अब सादगी या कम से कम सादगी का दावा सियासतदानों के रिकॉर्ड में बतौर खासियत दर्ज होता है. बदले-बदले से 'सरकार' देश के सबसे बड़े राज्य का मुखिया बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के ज्ञान-चक्षु भी इस हकीकत को लेकर खुले हैं. भले ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की तरह उन्होंने लाल बत्ती का त्याग ना किया हो, लेकिन ऐसी कई और वजहें हैं सियासी गलियारों में ये सुगबुगाहट पैदा कर रही हैं कि शपथ लेने के बाद यूपी के सरकार कुछ बदले बदले से हैं. ..लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं योगी का अंदाज चाहे जो हो, प्रशासन उनकी सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि गोरखपुर में मुख्यमंत्री के लिए सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किये गये हैं. पुलिस के तकरीबन 2500 जवान इस काम में लगाए गए हैं. इनमें आईपीएस रैंक के 4, एएसपी रैंक के 6 और डीएसपी रैंक के 22 अफसर शामिल हैं. पीएसी की कुल 8 कंपनियां योगी की हिफाजत में तैनात हैं. गोरखनाथ मंदिर में किसी को भी बिना तलाशी घुसने नहीं दिया जा रहा है. आदित्यनाथ का 'सादगी योग' ताजपोशी के बाद आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर पहुंचे तो उनके काफिले में सिर्फ 12 गाड़ियां थीं. इसके मुकाबले मायावती 18 गाड़ियों के साथ चलती थीं. 'समाजवादी' मुख्यमंत्री को भी सड़क पर उतरने के लिए 12 गाड़ियों की जरुरत पड़ती थी. कहा ये भी जा रहा है कि योगी 5, कालिदास मार्ग के आलीशान बंगले में बगैर एसी सोएंगे. उनके बेडरूम में सिर्फ एक लकड़ी का तख्त होगा. विदेशी स्टाइल के रसोइयों की जगह अब गोरखनाथ मंदिर के भंडारी लेंगे. मुख्यमंत्री के बंगले में खाना अब जमीन पर परोसा जाएगा. महंगी क्रॉकरी की जगह पीतल और कांसे के बर्तन नजर आएंगे. यहां तक कि योगी अपने आवास में टीवी से भी परहेज़ करेंगे. तो क्या ये योगी का नया अवतार है? वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं, 'योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद सोबर डाउन हुए हैं.' वो दूसरों को गलत साबित करने के एजेंडा पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अस्पतालों और दफ्तरों के औचक निरीक्षण किये हैं. शुक्रवार को एसिड हमले की पीड़िता से मिलकर उन्होंने अपना मानवीय रुख दिखाया. पिछले मुख्यमंत्री ऐसा कभी-कभार ही किया करते थे.' संन्यास ताकत या कमजोरी? योगी आदित्यनाथ के गेरुए वेश और उनकी बयानों ने अब तक उन्हें एक कट्टरवादी हिंदू नेता की पहचान दी है. लेकिन ये भी सच है कि भ्रष्टाचार या परिवारवाद के दाग उनके दामन पर नहीं हैं. शरत प्रधान की राय में, 'राज्य ने परिवारवाद और भ्रष्टाचार के चलते काफी तकलीफ उठाई है. योगी का परिवार उत्तराखंड में आम जिंदगी जीता है. मोदी की तरह उनका भी परिवार से कोई कनेक्शन नहीं है.' बदलाव का अलख जगाएंगे योगी? शरत प्रधान मानते हैं कि यूपी में हर समस्या की जड़ भ्रष्टाचार है और अगर योगी सिर्फ इस समस्या से ही निपट सकें तो उनकी बड़ी उपलब्धि होगी. अब तक योगी के निर्देश और आदेश बताते हैं कि वो अपनी इस जिम्मेदारी को लेकर संजीदा हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या वो अपने कट्टर समर्थकों को लगाम में रख पाएंगे?

गोरखपुर मे बोले CM योगी-विकास सबका होगा तुष्टीकरण किसी का नही

योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर पहुंचे. सीएम के स्वागत में गोररखपुर को भव्य तरीके से सजाया गया है. योगी सीधे एअरपोर्ट से महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज पहुंचे, जहां उन्होंने जनता को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वालों श्रद्धालुओं को सरकार 1 लाख रुपये तक अनुदान देगी. योगी के दौरे के अपडेट्स: - सबका विकास करेंगे क्योंकि हमारा मार्गदर्शक पीएम मोदी का नेतृत्व करता है: मुख्यमंत्री - उत्तर प्रदेश की सरकार सबका साथ, सबका विकास की राह चलेगी: मुख्यमंत्री - मुख्यमंत्री का पद धौंस दिखाने के लिए कर्तव्यों का पालन करने के लिए मिला है: योगी - जीत के साथ ही यूपी की जनता ने बड़ी जिम्मेदारी दी है: मुख्यमंत्री - 15 सालों से विकास से वंचित यूपी के लोगों के लिए अब काम करना है: योगी - गोरखपुर ने ये स्वागत यूपी की 22 करोड़ जनता का है: योगी - उत्तर प्रदेश की जनता की पीएम मोदी और अमित शाह पर विश्वास कर प्रचंड बहुमत दिया: योगी - गोरखपुर के महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज पहुंचे योगी, कार्यकर्ताओं ने माला पहनाकर स्वागत किया. - सीएम के काफिले में कुल 12 गाड़ियां हैं. सड़के किनारे खड़े लोग 'योगी-योगी' के नारे लगा रहे हैं. - सीएम के स्वागत में उनके संसदीय क्षेत्र में जगह-जगह लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है. - एअरपोर्ट से मठ के लिए निकल गए हैं सीएम योगी आदित्यनाथ - गोरखपुर के एअरपोर्ट पहुंचे चुके हैं सीएम योगी आदित्यनाथ - लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस से अमौसी एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए योगी आदित्यनाथ.

नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या क्यों की ?

आख़िर किन वजहों से नाथूराम गोडसे ने की महात्मा गांधी की हत्या? गिरफ़्तार होने के बाद गोडसे ने गांधी के पुत्र देवदास गांधी (राजमोहन गांधी के पिता) को तब पहचान लिया था जब वे गोडसे से मिलने थाने पहुँचे थे. इस मुलाकात का जिक्र नाथूराम के भाई और सह अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब गांधी वध क्यों, में किया है. गोपाल गोडसे को फांसी नहीं हुई, क़ैद की सजा हुई थी. जब देवदास गांधी पिता की हत्या के बाद संसद मार्ग स्थित पुलिस थाने पहुंचे थे, तब नाथूराम गोडसे ने उन्हें पहचाना था. गोडसे और उनके मूर्तिकारों को समझने की कोशिश गोपल गोडसे ने अपनी किताब में लिखा है, "देवदास शायद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई वीभत्स चेहरे वाला, गांधी के खून का प्यासा कातिल नज़र आएगा, लेकिन नाथूराम सहज और सौम्य थे. उनका आत्म विश्वास बना हुआ था. देवदास ने जैसा सोचा होगा, उससे एकदम उलट." निश्चित तौर पर हम ये नहीं जानते कि वाकई में ऐसा रहा होगा. देवदास से वो मुलाकात इमेज कॉपीरइटCOURTESY NANA APTE नाथूराम ने देवदास गांधी से कहा, "मैं नाथूराम विनायक गोडसे हूं. हिंदी अख़बार हिंदू राष्ट्र का संपादक. मैं भी वहां था (जहां गांधी की हत्या हुई). आज तुमने अपने पिता को खोया है. मेरी वजह से तुम्हें दुख पहुंचा है. तुम पर और तुम्हारे परिवार को जो दुख पहुंचा है, इसका मुझे भी बड़ा दुख है. कृप्या मेरा यक़ीन करो, मैंने यह काम किसी व्यक्तिगत रंजिश के चलते नहीं किया है, ना तो मुझे तुमसे कोई द्वेष है और ना ही कोई ख़राब भाव." देवदास ने तब पूछा, "तब, तुमने ऐसा क्यों किया?" जवाब में नाथूराम ने कहा, "केवल और केवल राजनीतिक वजह से." नाथूराम ने देवदास से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा लेकिन पुलिस ने उसे ऐसा नहीं करने दिया. अदालत में नाथूराम ने अपना वक्तव्य रखा था, जिस पर अदालत ने पाबंदी लगा दी. गोपाल गोडसे ने अपनी पुस्तक के अनुच्छेद में नाथूराम की वसीयत का जिक्र किया है. जिसकी अंतिम पंक्ति है- "अगर सरकार अदालत में दिए मेरे बयान पर से पाबंदी हटा लेती है, ऐसा जब भी हो, मैं तुम्हें उसे प्रकाशित करने के लिए अधिकृत करता हूं." अदालत में गोडसे का बयान इमेज कॉपीरइटCOURTESY NANA APTE ऐसे फिर नाथूराम के वक्तव्य में आख़िर है क्या? उसमें नाथूराम ने इन पहलुओं का ज़िक्र किया है- पहली बात, वह गांधी का सम्मान करता था. उसने कहा था, "वीर सावरकर और गांधीजी ने जो लिखा है या बोला है, उसे मैंने गंभीरता से पढ़ा है. मेरे विचार से, पिछले तीस सालों के दौरान इन दोनों ने भारतीय लोगों के विचार और कार्य पर जितना असर डाला है, उतना किसी और चीज़ ने नहीं." दूसरी बात, जो नाथूराम ने कही, "इनको पढ़ने और सोचने के बाद मेरा यकीन इस बात में हुआ कि मेरा पहला दायित्व हिंदुत्व और हिंदुओं के लिए है, एक देशभक्त और विश्व नागरिक होने के नाते. 30 करोड़ हिंदुओं की स्वतंत्रता और हितों की रक्षा अपने आप पूरे भारत की रक्षा होगी, जहां दुनिया का प्रत्येक पांचवां शख्स रहता है. इस सोच ने मुझे हिंदू संगठन की विचारधारा और कार्यक्रम के नज़दीक किया. मेरे विचार से यही विचारधारा हिंदुस्तान को आज़ादी दिला सकती है और उसे कायम रख सकती है." इमेज कॉपीरइटAP इस नज़रिए के बाद नाथूराम ने गांधी के बारे में सोचा. "32 साल तक विचारों में उत्तेजना भरने वाले गांधी ने जब मुस्लिमों के पक्ष में अपना अंतिम उपवास रखा तो मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि गांधी के अस्तित्व को तुरंत खत्म करना होगा. गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों को हक दिलाने की दिशा में शानदार काम किया था, लेकिन जब वे भारत आए तो उनकी मानसिकता कुछ इस तरह बन गई कि क्या सही है और क्या गलत, इसका फैसला लेने के लिए वे खुद को अंतिम जज मानने लगे. अगर देश को उनका नेतृत्व चाहिए तो यह उनकी अपराजेयता को स्वीकार्य करने जैसा था. अगर देश उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं करता तो वे कांग्रेस से अलग राह पर चलने लगते." महात्मा पर आरोप इस सोच ने नाथूराम को गांधी की हत्या करने के लिए उकसाया. नाथूराम ने भी कहा, "इस सोच के साथ दो रास्ते नहीं हो सकते. या तो कांग्रेस को गांधी के लिए अपना रास्ता छोड़ना होता और गांधी की सारी सनक, सोच, दर्शन और नजरिए को अपनाना होता या फिर गांधी के बिना आगे बढ़ना होता." इमेज कॉपीरइटGETTY तीसरा आरोप ये था कि गांधी ने पाकिस्तान के निर्माण में मदद की. नाथूराम ने कहा, "जब कांग्रेस के दिग्गज नेता, गांधी की सहमति से देश के बंटवारे का फ़ैसला कर रहे थे, उस देश का जिसे हम पूजते रहे हैं, मैं भीषण ग़ुस्से से भर रहा था. व्यक्तिगत तौर पर किसी के प्रति मेरी कोई दुर्भावना नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मैं मौजूदा सरकार का सम्मान नहीं करता, क्योंकि उनकी नीतियां मुस्लिमों के पक्ष में थीं. लेकिन उसी वक्त मैं ये साफ देख रहा हूं कि ये नीतियां केवल गांधी की मौजूदगी के चलते थीं." नाथूराम के तर्कों के साथ समस्याएं थीं. मसलन, उसकी सोच थी कि गांधी देश के बंटवारे के प्रति उत्साहित थे, जबकि इतिहास के मुताबिक मामला बिलकुल उल्टा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में गांधी तानाशाह थे, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस के अंदर अपनी बात मनवाने के लिए गांधी को भूख हड़ताल करनी पड़ती थी. किसी तानाशाह को आदेश देने के सिवा कुछ करने की जरूरत क्यों होगी? विचारधारा से नफ़रत इमेज कॉपीरइटAP नाथूराम ने गांधी की अंतिम भूख हड़ताल (जो उन्होंने पाकिस्तान को फंड जारी करने से भारत के इनकार करने पर की थी) पर सवाल उठाए, लेकिन यह उन्होंने तब किया जब भारत अपने ही वादे से पीछे हट रहा था. गांधी ने इस मौके पर देश को सही एवं उपयुक्त रास्ता दिखाया था. नाथूराम ने अदालत में जो भी कहा, तर्क के आधार पर उससे सहमत नहीं हुआ जा सकता. यह देवदास को दिए बयान से भी उलट है. केवल राजनीति के चलते उसने गांधी की हत्या नहीं की थी. वह गांधी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से नफ़रत करता था. यह वास्तविक हिंदू धर्म भाव के बिलकुल उलट था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उसका 'ब्रेनवाश' किया था. इमेज कॉपीरइटGETTY वास्तविकता यही है कि गांधी का कोई भी रास्ता या तरीका ऐसा नहीं है, जिस पर सवाल उठाए जा सकें. यही वजह है कि दशकों बाद भी एक राजनेता के तौर पर उनकी वैश्विक साख कायम है. 1949 में गांधी के बारे में जॉर्ज ऑरवैल ने लिखा था, "सौंदर्यबोध के लिहाज़ से कोई गांधी के प्रति वैमनस्य रख सकता है जैसा कि मैं महसूस कर रहा हूँ. कोई उनके महात्मा होने के दावे को भी खारिज कर सकता है (हालांकि महात्मा होने का दावा उन्होंने खुद कभी नहीं किया). कोई साधुता को आदर्श के तौर पर ही खारिज कर सकता है और इसलिए ये मान सकता है कि गांधी का मूल भाव मानवविरोधी और प्रतिक्रियावादी था. लेकिन एक राजनेता के तौर पर देखने पर और मौजूदा समय के दूसरे तमाम राजनेताओं से तुलना करने पर हम पाते हैं- वे अपने पीछे कितना सुगंधित एहसास छोड़कर गए हैं." 2015 में गांधी के बारे में आज भी यही सत्य है, जबकि नाथूराम गोडसे की शिकायतें समय की धुंध में ग़ायब हो चुकी हैं.

61 सालों से नही नहाया है ये आदमी

"दुनियाभर में अजीबोगरीब कारनामे करने वालों की कमी नहीं है। एक ढूंढोगे हजार मिल जाएंगे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। जो 61 सालों से नहीं नहाया। इसका नाम अमो हाजी है। वैसे तो यह 81 साल का है। लेकिन इसको पानी से काफी डर लगता है जिसके चलते इसने पानी से ऐसी दूरी बनाई की इसे पीना तक सही नहीं समझता। साथ ही साफ पानी के अलावा उसे ताजा खाने से भी डर लगता है। इसलिए वह सड़े गले मांस को खाता है। दरअसल इसके पीछे भी उनका अपना ही एक तर्क है। उनका मानना है की अगर उन्होंने नहाना शुरू किया तो वह बीमार पड़ने लगेंगे। इसलिए उन्होंने अपने लिए इस गंदगी से भरी जिंदगी को चुना है जिसमें वह काफी ज्यादा खुश हैं। जान लें कि यह साउथ ईरान के फार्स प्रांत के देजगाह गांव में रहते हैं। वह पानी से सबसे ज्यादा नफरत करते हैं साथ ही आराम करने के लिए भी किसी गंदगी जगह को भी ढूंढ कर सोते हैं। हाजी नाम के इस इंसान को ताजा खाना और साफ पानी तो बिल्कुल पसंद नहीं हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की वह जानवरो के मल को पाइप लाइन में डालकर पीता है। बालों को छोटे करने के लिए वह कटवाने की बजाए जला कर छोटा कर देता है। साथ ही सर्दियों से अपने को बचाने के लिए वह हेलमेट का सहारा लेता है। इसका हेलमेट ऐसा है जैसे की कभी युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए जाते थे। वहीं जान लें की यह युवावस्था में पहले ऐसे बिल्कुल नहीं था। इसे साफ सफाई भी पसंद थी। लेकिन जिंदगी में कुछ भावनात्मक परेशानियों के चलते इसने अपने इस जीने के सलीके को बदल लिया। आज वह अपनी इस गंदी जिंदगी से काफी ज्यादा खुश है। जिसके चलते उसे दुनिया का सबसे गंदा इसंना कहा जाता है" - 61 सालों से नहीं नहाया है ये इंसान, जानें वजह http://tz.ucweb.com/3_1LwKr

Love सीन्स के वक्त क्या फिल करती है भोजपुरी अभिनेत्रीया

"भोजपुरी फिल्‍मों में लव सीन्‍स, खासकर किसिंग सीन्‍स की शूटिंग अभिनेत्रियों के जिए परेशानी का कारण होता है। विशेष कर आउटडोर लोकेशन्‍स पर। कई बार वहां भीड़ शोर मचाने लगती है। पटना [जेएनएन]। फिल्मों में लव सीन देखकर कई बार दर्शक शोर मचाते हैं। लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि फिल्‍में चाहे हिन्‍दी की हों या भोजपुरी की, किसिंग सीन को शूट के दौरान अभिनेत्रियां काफी असहज महसूस करती हैं। अगर ये सीन आउटडोर हों और कई बार रीटेक करना पड़े तो मामला और पेचीदा हो जाता है। कई भोजपुरी अभिनेत्रियों ने माना कि इस दौरान उन्‍हें परेशानी होती है।  भोजपुरी अभिनेत्री पूनम दुबे कहती हैं कि लव सीन करने में परेशानी होती हैं। खासकर आउटडोर लोकेशन्‍स पर सैकड़ों लोगों के सामने लव सीन करना पड़ता है। इस दौरान कई जगह दर्शक शोर मचाने लगते हैं, जिन्‍हें शांत करने के लिए पुलिस का भी सहारा लेना पड़ता है। पूनम बताती हैं कि स्टोरी की मांग के अनुसार ऐसे सीन करना मजबूरी होती है। एक अन्‍य अभिनेत्री ने नाम नहीं देने के आग्रह के साथ कहा कि लव सीन्‍स, खासकर किसिंग सीन्‍स में अगर रीटेक हो तो परेशानी होती है। लेकिन, प्रोफेशनल होना पड़ता है। " - लव सीन्‍स के दौरान क्‍या फील करतीं भोजपुरी अभिनेत्रियां, जानिए http://tz.ucweb.com/3_1LvAU

घर पर सब्जी कैसे उगाये !

नमस्कार दोस्तों पिछले दिनों मरे मित्र विनय और एक महिला मित्र ने जिनके पास खेत नही है। उन्होंने मेरी पोस्ट बिना खेत और मिट्टी के kheti kese kre पड़ी। फिर उन्होंने मुझे कहा की "hum ghar pr khane ke liye sabjiya lagana chahte hai koi tarika ho to batao" आज की मेरी पोस्ट उन सभी मित्रों के लिए है। जो खुद घर पर ताज़ा सब्ज़ियाँ लगा कर खाना चाहते है। और जिन्हें होम gardening का शोक है। Ghar pr sabji lagane ke faide खुद को और परिवार को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्ज़ियाँ खाना जरूरी होता है। और यदि हम चाहते है की वो हमें साल भर मिलती रहे तो अपने घर के आसपास खाली पड़ी जगह में आप खुद हरी भरी सब्जियों की बगीची बना ले। इससे आपको ये फ़ायदा होगा की आप ताज़ा सब्जी और बिना रासायनिक दवाई और शुद्ध जैविक सब्ज़ियाँ मील जाएगी। साथ ही पैसों की बचत भी होगी और घर पर हरियाली रहेगी। घर पर बेकार पड़ा कूड़ा कचरे और गोबर का उपयोग भी हो जायेगा। घर के आस पास खाली पड़ी जमीन और घर की छत भी सुन्दर लगने लगेगी और आपके खाली समय का उपयोग भी हो जायेगा। Ghar pr sabjiya ugane ke liye kese kre planing आप अपने परिवार के सदस्यों के हिसाब से साल भर की सब्जियों की प्लानिंग करे। मेरे हिसाब से 6 सदस्यों के लिए 20×20 फिट जगह का होना काफी होता है। और कम पड़े तो भी निराश होने की जरूरत नही है अपने पास उसके भी कही विकल्प है। जो में आगे आपको बताउगा की कहा कहा हम सब्ज़ियाँ लगा सकते है। फिर आपको घर के एक हिस्से में खाद् बनाने के लिए भी रखना है। ताकि घर के कूड़े कचरे का खाद् बना कर सब्जियों में दे सके। Ghar pr sabjiya kaha kaha laga sakte hai 1 ghar ke aas pas padi khali jamin me 2 gamle or plastik trees me 3 ghar ki chat or sidiyo me घर पर सब्ज़ियाँ कहा कहा लगाए इसके लिए हमारे पास कई विकल्प है हम उपर लिखे 3 विकल्प पर बात करेंगे। वैज्ञानिक तरीके से बैंगन की सब्जी कैसे लगाये पढ़े। 1 घर के आसपास खाली पड़ी जमीन में हमारे घर के आस पास कई इसी जगह पड़ी रहती हैं। जिसका हम सब्ज़ियाँ उगाने के लिए कर सकते है। यदि वाह की मिटटी ठोस हो तो पहले उसे खुदाई कर के खेत जैसी बना ले और अगर हो सके तो आप उसमे किसी तालाब या खेत की उपजाऊ मिट्टी डाल दे और फिर उसमे गोबर आदि खाद् डाल के अच्छे से जुताई कर दे। उसके बाद उसमे छोटी छोटी क्यारिया बना कर उसमे आप अपनी पसंद की सब्जियों के बीज बो सकते है। और यदि आपके पास सिंचाई के पानी की कमी हो तो किचन से व्यर्थ निकले वाले पानी को आप पाइप के द्वारा सब्जियों की सिंचाई कर सकते है। अगेती सब्ज़ियाँ कैसे लगाए जाने तरीका 2 गमले और प्लास्टिक ट्रे में सब्जी लगाए हम बालकनी और इसी थोड़ी जगह जहाँ गमला रख सकते है। वाह पर गमले में सब्जी उगा सकते है। जहाँ तक हो यदि गमला मिटटी का हो तो बहुत अच्छा रहता है। और आप अपने घर पर westes पड़ी बाल्टियाँ तेल के पीपे लकड़ी की पटरियां आदि भी use कर सकते हो बस उनके नीचे 2 या चार छेद कर के पानी की निकासी जरूर कर दे। गमलो में टमाटर बैंगन गोभी जैसी सब्ज़ियाँ आसानी से उगाई जा सकती है। अब हम बात करते है टिन या प्लास्टिक ट्रे की जिसमे 3 या 5 इंच मिटटी आती हो उसमें हम हरा धनिया मेथी पुदीना आदि सब्ज़ियाँ उगा सकते है। सब्जियों में प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग कैसे करे 3 घर की छत पर सब्ज़ियाँ कैसे लगाए । घर की छत पर सब्ज़ियाँ लगाने के लिए सबसे पहले छत पर एक मोटी प्लास्टिक चादर बिछा दे फिर इटो या लकड़ी के पटिये से चारों तरफ एक बाउंड्री बना ले उसमे सामान रूप से मिटटी बिछा दे। उसमे पानी की निकासी भी रखे छत पर सब्जी लगाने से आपके घर भी ठंडा रहता है।और गर्मी के दिनों में आपको काफी राहत भी मिलेगी । Ghar pr kon kon si sabjiya laga sakte hai 1 रबी की सब्जियां 2 खरीफ वाली सब्ज़ियाँ 3 जायद वाली सब्ज़ियाँ 4 फलदार पेड़ घर में कौन कौन सी सब्जी लगा सकते है। 1 रबी के मौसम की सब्ज़ियाँ रबी में सब्ज़ियाँ सितम्बर अक्टूबर में फूल गोभी,पत्तागोभी,शलजम,बैंगन,मुली,गाजर,टमाटर,मटर,सरसों,प्याज़,लहसुन,पालक,मेथी आदि सब्जियों लगा सकते है। 2 खरीफ के मौसम में लगाने वाली सब्जी खरीफ़ में लगाने का समय जून जुलाई है। इस समय भिन्डी,मिर्च,ग्वार,लोबिया,अरबी,टमाटर,करेला,लौकी,तरोय,शकरकंद आदि सब्जियों की बुआई की जा सकती है। बिना खेत और बिना मिटटी के खेती कैसे करे जाने। 3 जायद सब्ज़ियाँ जायद में सब्ज़ियाँ फरवरी मार्च और अप्रैल तक की जाती है। इसमें आप टिंडा,खरबूजा,तरबूज,खीरा,ककड़ी,टेगसी,करेला,लौकी,तरोय,भिन्डी,जैसी सब्जी लगा सकते है। 4 फलदार पेड़ फल दार पोधों में आप पपीता,केले जैसे जिसकी जेडे कम जाती है उसे भी बो सकते हो Sabjiyo ke liye ghar pr khad kese banaye घर पर खाद् बनाने के लिए घर के एक कोने में एक गड्ढे में कूड़ा कचरा इकट्ठा करे और उसमे गोबर आदि मिला कर सड़ा दे सड़ने के बाद उसमे से बारीक़ बारीक़ खाद् को छान कर सब्जियों में देवे। Home gardening tips हिंदी में जाने आपको ये पोस्ट केसी लगी हमें commet में जरूर बताये और इस बारे में और जानने के लिए commet में पूछे। ऐसी ही अच्छी अच्छी जानकारिया ओर tips पाने के लिए हमारे facebook पेज को like करे और updates पाने के लिए email subcraibe करना ना भूले

जानकर खडे़ हो जायेगें रौगटे!ज़िदा रहने के लिए पुर्वज करते थे ऐसा घिनौने काम

"जानकर खड़े हो जाएंगे रौंगटे! जिंदा रहने के लिए पूर्वज करते थे ऐसा घिनौना काम!! Rochak Post हमारे समाज में नरभक्षी होना अपराध है। अपने शौक के लिए दूसरे इंसान का मांस खाना अपराध माना जाता है लेकिन एक खोज में इस बात का खुलासा हुआ है कि हमारे पूर्वज भी नरभक्षी थे। इग्लैंड में एक खोज से ये साबित हो गया है कि हमारे पूर्वज दूसरे इंसानों को मारकर  खा जाते थे। इससे पहले पूर्वजों के नरभक्षी होने को लेकर कई जगह जिक्र जरूर था लेकिन इतने ठोस सबूत नहीं थे। नई खोज में इंसानों की हड्डियों पर इंसानों के दांत के निशान भी मिले हैं।आपको बता दें कि इंग्लैंड के सॉमरसेट में स्थित एक गुफा से वैज्ञानिकों को कुछ अवशेष मिले थे। इन्हीं अवशेषों पर पिछले कई सालों से वैज्ञानिक स्टडी कर रहे थे। लंदन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की सिल्विया बेलो कहती हैं कि उनकी टीम ने वह सब कुछ हासिल किया है जो इससे पहले कहीं किसी रिकॉर्ड में नहीं था। रेडियोकार्बन डेटिंग नामक टेक्नोलॉजी से साइंटिस्ट को मालूम चला कि 'गफ गुफा' में मिले इंसानी अवशेष करीब 15,000 साल पुराने हैं। यहां पर इंसानों को काटने, मांस और हड्डियां चबाने के भी सबूत मिले हैं। वैज्ञानिकों के इस स्टडी का विस्तार से अध्ययन करने के बाद कहा जा रहा है कि पूर्वजों के बीच इंसानों का मांस खाना आम बात थी।स्टडी में शामिल और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर सिमॉन पैरफिट कहते हैं कि इस समय काल की खास बात यह भी है कि यहां अपवाद स्वरुप ही आदमियों की कब्रेें मिलती है। इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि आदमियों के मांस को खा लिया जाता था। इतना ही नहीं, रिसर्च से यह बात भी सामने आई है कि इंसानों के अवशेष दूसरे घरेलू अवशेषों के साथ ही पाए गए। " - जानकर खड़े हो जाएंगे रौंगटे! जिंदा रहने के लिए पूर्वज करते थे ऐसा घिनौना काम!! http://tz.ucweb.com/3_1KwZX