गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

बालीवुड हिरोइन की कडवा सच

"आमिर से श्रीदेवी की ये काली सच्चाई जान कर आपको भी हो जायेगा इन सेलिब्रिटीज से नफरत Nutty Feed ... बॉलीवुड सेलेब्रिटी कैमरे के सामने हमेशा अपना ब्राइट साइट दिखाते हैं और वहीं सब बताते हैं, जो उनकी इमेज को खराब न करें। ऐसे में बॉलीवुड सेलेब्रिटी के कई डार्क सीक्रेट तो सामने नहीं आ पाते हैं। फिल्म इंडस्ट्री की इस जगमगाती दुनिया के पीछे की काली सच्चाई छुपी होती है। कई स्टार के पास्ट और लाईफ से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी जानने के बाद आप शॉक्ड हो जाएंगे। आज हम आपको बॉलीवुड के कुछ डार्क सीक्रेट बताने जा रहे हैं, जो शायद आपको बिलकुल भी पता नहीं होंगे। करीना कपूर- कॉफी विद करन के पांचवे सीजन में पहुंची करीना कपूर ने कहा था कि वह रणवीर और कैटरीना की शादी में चिकनी चमेली और शीला की जवानी आयटम नंबर पर डांस करना चाहती हैं। जब शो में पहुंचे रणवीर से करीना के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उनका रिएक्शन काफी अजीब था। गौरी खान- कहा जाता है कि गौरी खान को ड्रग की लत है और वह काफी ज्यादा शराब भी पीती हैं। शाहरुख और गौरी की जिंदगी बाहर से देखने में काफी खूबसूरत लगती हैं, लेकिन असल जिंदगी में शाहरुख उनकी इस आदत से काफी दुखी हैं। आमिर खान- आमिर खान पर आरोप लगा था कि राइटर जेसिका हेन्स से उनका बेटा है। हालांकि आमिर खान ने इस बात से पूरी तरह इंकार कर दिया था। कहा जाता है कि दोनों की मुलाकात महेश भट्ट् की फिल्म गुलाम के सेट पर हुई थी। उसके बाद कुछ दिनों तक जेसिका, आमिर के साथ लीव इन में रही और प्रेग्नेंट हुई, लेकिन आमिर ने शादी करने से साफ़ मना कर दिया और उन्हें बच्चा गिराने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने बच्चे को जन्म दिया. ऋतिक और सुजैन: कहा जाता है कि सुजैन से तलाक के बाद ऋतिक काफी डिप्रेस्ड थे और इस दौरान उन्होंने एक पर्सनल लाइफ कोच हायर की थी। ऋतिक की इस कोच का काम उन्हें अप टू बीट रखना, काम पर फोकस रखना और चियर करना था। रानी मुखर्जी- आदित्य चोपड़ा और पायल खन्ना की शादी टूटने का कारण रानी को माना जाता है। कहा जाता है कि आदित्य की मां और पायल की बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी और जब परिवार को रानी, आदि के अफेयर के बारे में पता चला था, तो पायल को घर से बाहर निकाल दिया गया था। शिल्पा शेट्टी- राज कुंद्रा की पहली पत्नी कविता ने शिल्पा पर घर तोड़ने का आरोप लगाया था। कविता जब प्रेगनेंट थीं, तो उन्हें पता चला कि राज उन्हें धोखा दे रहे हैं। कहा जाता है कि कविता ने जिस दिन बेटी को जन्म दिया था, उसी दिन उन्हें राज की तरफ से तलाक का नोटिस मिला था। कंगना रनौत- कहा जाता है कि कंगना रनौत जब बॉलीवुड में आई थीं, तो उनके पास रहने का ठिकाना भी नहीं था। इस दौरान उनकी दोस्ती आदित्य पंचौली से हुई और दोनों लिव इन में रहने लगे थे। आदित्य ने एक इंडरव्यू में कहा था कि कंगना ने उन्हें और उनके पैसों का यूज किया था। धर्मेंद्र- धर्मेंद्र ने जब उनकी पहली पत्नी को छोड़कर हेमा से दूसरी शादी की थी, उस समय उनकी पहली पत्नी के अलावा बॉबी और सनी काफी नाराज थे। कई सालों तक धर्मेंद्र की परिवार से बात नहीं हुई। सनी, बॉबी और उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर आज भी हेमा और उनकी बेटियों से बात नहीं करते हैं। उनकी बेटियों की शादी में भी सनी, बॉबी और उनकी मां नहीं पहुँचे थे। श्रीदेवी- बोनी कपूर ने उनकी पहली पत्नी मोना से श्रीदेवी को ये कहकर मिलवाया था, कि वो उनकी राखी-सिस्टर हैं और घर में साथ में ही रखेंगी। मोना को कुछ समय बाद पता चला कि श्रीदेवी उनके बच्चे की" - आमिर से लेकर श्रीदेवी की ये काली सच्चाई http://tz.ucweb.com/4_xgyC

दिग्विजय सिंह का सच

किसी ने सच कहाँ है काग्रेंस सचिव दिग्विजय सिंह जब भी बोलते है,काग्रेंस के दस लाख वोट कम करते है,अब तो ये भी सक होने लगा है कहीं ये भाजपा के लिए काम नही कर रहे | [त्रिभुवन नाथ चौधरी ]

तो ईस तरह बनेगी राम मंदिर

"नई दिल्ली। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। एक बार फिर से उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे यूपी की सियासत में बवाल मच सकता है। स्वामी ने कहा है कि मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव मान ले नहीं तो 2018 में जब राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत होगा तो कानून बनाकर मंदिर बनाया जाएगा। कल ही सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत से मसले को सुलझाने की सलाह दी थी। आज सुबह सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा, ‘’सरयू नदी के उस पार मस्जिद बनाने का मेरा प्रस्ताव मुस्लिम समाज को मान लेना चाहिए। अगर मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव नहीं मानता है तो साल 2018 में राज्यसभा में बहुमत होने के बाद मंदिर बनाने के लिए कानून बनाएंगे।’’ हालांकि इस विवाद की अदालती कार्रवाई में लम्बे अरसे से मुसलमानों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट अगर मध्यस्थता करने की पहल करता है तो इसके लिए मुस्लिम पक्ष पूरी तरह तैयार है मगर किसी बाहरी व्यक्ति की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी।" - SC के साथ के बाद संसद से तय हो गई तारीख, नहीं माने मुस्लिम तो इस तरीके से बनेगा राम मंदिर http://tz.ucweb.com/4_tXHp

जम्मू कश्मीर मे Home ministerराजनाथ सिंह का मास्टर स्ट्रोक

"जम्मू कश्मीर में गृहमंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं ऐसा काम कि अब बवाल मचना तय है ! Youngisthan 5 Apr. 2017 18:27 रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं – गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर बसे मुसलमानों को लेकर एक ऐसा निर्णय करने जा रहे हैं कि उसके बाद देश की स्वयंभू सेक्युलर बुद्धिजीवी जमात में हाहाकार मचना तय है. हो सकता है इसको लेकर कश्मीरी मुस्लिम नेता भी आपत्ति करें. क्योंकि ये मामला मुसलमानों से जुड़ा है. लिहाजा इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों ही इसको मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति कहकर प्रचारित करेंगे. आपको बता दें कि म्यांमार के दस हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की मदद से इनकी पहचान करने और इन्हें वहां से निकालने के प्रयास शुरू कर दिए है. इसी को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों के साथ हुई एक उच्चस्तरीय बैठक भी है. इसमें जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों पर गंभीर चर्चा हुई. बता दें कि उच्चस्तरीय बैठक में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमान को राज्य के बाहर निकालने पर रणनीति बनी है. जम्मू और सांबा जिलों में रह रहे ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान ने देश में भारत-बांग्लादेश सीमा, भारत-म्यांमार सीमा और बंगाल की खाड़ी के रास्ते अवैध रूप से प्रवेश किया है. लेकिन इनको लेकर खुफिया ब्यूरों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि रोहिंग्या मुसलमान देश के बाकी राज्यों को छोड़कर जम्मू कश्मीर में ही क्यों बसे. जबकि वहां पहले से अनु 370 के चलते भारत के बाकी राज्यों को भी नागरिक अधिकार नहीं मिलते हैं. आखिर क्या वजह हो सकती है कि ये लोग देश के बाकी राज्यों को छोड़कर इतनी दूर जम्मू कश्मीर में शरण ले रह हैं. कहीं ये किसी विशेष योजना के तहत तो यहां नहीं बस रहे हैं. कुछ ने तो खुद को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी निकाय से पंजीकृत करवा रखा है, जबकि भारत उन्हें मान्यता नहीं देता. ऐसे में राज्य में इनकी बढ़ती संख्या सही नहीं है. क्योंकि यदि इनको समय रहते नहीं रोका गया तो बाकी जगहों से भी रोहिंग्या मुसलमान यहां आकर बसने लगेंगे. बता दें कि देश में विभिन्न हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं और वे सभी अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं. यही नहीं आगे चलकर ये स्थानीय लोगों से घुल मिल जाएंगे और उनके यहां वैवाहिक संबंध भी बना लेंगे तो फिर इनको यहां से निकालने में भी कठिनाई आएंगी. लिहाजा समय रहते ही इनको यहां निकालकर कहीं ओर शिफ्ट किया जाए. यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वहां से हटाने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं." - जम्मू कश्मीर में गृहमंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं ऐसा काम कि अब बवाल मचना तय है ! http://tz.ucweb.com/4_tVQW

कौन था विश्व का पहला कांवडिया जाने

Home Astrology and Spirituality Previous Next कौन था विश्व का पहला कांवड़िया? जानिए कांवड़ यात्रा की रोचक बातें 2015-08-12 14:22:46 Text resize: A+ A- जयपुर। । श्रावण मास में भगवान शिव के भक्त कांवड़ लाते हैं और भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ माना गया है। ऐसे में यह प्रश्न उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई और पहली बार कांवड़ लेकर कौन आया था। जानिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें। 1- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने सबसे पहले शिवजी को कांवड़ से जल चढ़ाया था। उसके बाद यह परंपरा शुरू हो गई। परशुराम ने यूपी के बागपत में पुरा महादेव का गंगाजल से अभिषेक किया था। 2- परशुराम के अलावा कांवड़ के साथ जिस व्यक्ति का नाम आता है वो हैं - श्रवण कुमार। माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार उन्हें कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराने गए थे। ये भी पढ़िए- अगस्त में जन्मीं लड़कियां होती हैं इन 2 चीजों की मालकिन वे हरिद्वार आए थे और अपने साथ गंगाजल लेकर गए थे। 3- कुछ मान्यताएं रावण को भी कांवड़ यात्रा का श्रेय देती हैं। उनके अनुसार जब शिवजी ने जगत के कल्याण के लिए विष पी लिया था तो रावण उन्हें रोज जल चढ़ाने आता था। वह चाहता था कि जल की शीतलता से महादेव पर विष का प्रभाव कम हो जाए। 4- ऐसा भी माना जाता है कि भगवान श्रीराम सबसे पहले कांवड़ लेकर आए थे। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लिया और बाबाधाम में शिवजी का अभिषेक किया। इस प्रकार कांवड़ यात्रा को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। पहला कांवड़िया कौन था, इस प्रश्न का उत्तर चाहे न मिले लेकिन भक्तों में कांवड़ यात्रा को लेकर जो भावना और श्रद्धा है, वह हमेशा बरकरार रहेगी।

दुरदर्शन का इतिहास

दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया। शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरेअपने पैर पसारे और दिल्‍ली (1965); मुम्‍बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्‍नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई। शुरुआत में तो दूरदर्शन यानी टीवी दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर घर में पहचान दे दी। दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता मिली। रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे। रामायण की लोकप्रियता का आलम तो ये था कि लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बाँटी जाती थी। दूरदर्शन की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव संपादित करें दिल्‍ली (9 अगस्‍त 1984), मुम्‍बई (1 मई 1985), चेन्‍नई (19 नवम्‍बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988) 26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग 14 मार्च 1995: अंतर्राष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत 23 नवम्‍बर 1997 : प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) 18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत 26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत 3 नवम्‍बर 2002 : 24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत 16 दिसम्‍बर 2004 : निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट की शुरूआत

पत्रकारिता का इतिहास

पत्रकारिता का इतिहास, प्रौद्योगिकी और व्यापार के विकास के साथ आरम्भ हुआ। इतिहास संपादित करें लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे। ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं। मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे। 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया। 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नकल करने का काम महंगा भी था और धीमा भी। तब वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’। यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है। भारत में पत्रकारिता का आरंभ संपादित करें छापे की पहली मशीन भारत में 1674 में पहुंचायी गयी थी। मगर भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था। यह अख़बार स्वभावतः अंग्रेज़ी भाषा में निकलता था तथा कंपनी व सरकार के समाचार फैलाता था। सब से पहला अख़बार, जिस में विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त किये गये, वह 1780 में जेम्स ओगस्टस हीकी का अख़बार ‘बंगाल गज़ेट’ था। अख़बार में दो पन्ने थे और इस में ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे। जब हीकी ने अपने अख़बार में गवर्नर की पत्नी का आक्षेप किया तो उसे 4 महीने के लिये जेल भेजा गया और 500 रुपये का जुरमाना लगा दिया गया। लेकिन हीकी शासकों की आलोचना करने से पर्हेज़ नहीं किया। और जब उस ने गवर्नर और सर्वोच्च न्यायाधीश की आलोचना की तो उस पर 5000 रुपये का जुरमाना लगाया गया और एक साल के लिये जेल में डाला गया। इस तरह उस का अख़बार भी बंद हो गया। 1790 के बाद भारत में अंग्रेज़ी भाषा की और कुछ अख़बार स्थापित हुए जो अधिक्तर शासन के मुखपत्र थे। पर भारत में प्रकाशित होनेवाले समाचार-पत्र थोड़े-थोड़े दिनों तक ही जीवित रह सके। 1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। वह बंगाली भाषा का पत्र – ‘संवाद कौमुदी’ (बुद्धि का चांद) था। उस के प्रकाशक राजा राममोहन राय थे। 1822 में गुजराती भाषा का साप्ताहिक ‘मुंबईना समाचार’ प्रकाशित होने लगा, जो दस वर्ष बाद दैनिक हो गया और गुजराती के प्रमुख दैनिक के रूप में आज तक विद्यमान है। भारतीय भाषा का यह सब से पुराना समाचार-पत्र है। 1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया। 1830 में राममोहन राय ने बड़ा हिंदी साप्ताहिक ‘बंगदूत’ का प्रकाशन शुरू किया। वैसे यह बहुभाषीय पत्र था, जो अंग्रेज़ी, बंगला, हिंदी और फारसी में निकलता था। यह कोलकाता से निकलता था जो अहिंदी क्षेत्र था। इस से पता चलता है कि राममोहन राय हिंदी को कितना महत्व देते थे। 1833 में भारत में 20 समाचार-पत्र थे, 1850 में 28 हो गए और 1953 में 35 हो गये। इस तरह अख़बारों की संख्या तो बढ़ी, पर नाममात्र को ही बढ़ी। बहुत से पत्र जल्द ही बंद हो गये। उन की जगह नये निकले। प्रायः समाचार-पत्र कई महीनों से ले कर दो-तीन साल तक जीवित रहे। उस समय भारतीय समाचार-पत्रों की समस्याएं समान थीं। वे नया ज्ञान अपने पाठकों को देना चाहते थे और उसके साथ समाज-सुधार की भावना भी थी। सामाजिक सुधारों को लेकर नये और पुराने विचारवालों में अंतर भी होते थे। इस के कारण नये-नये पत्र निकले। उन के सामने यह समस्या भी थी कि अपने पाठकों को किस भाषा में समाचार और विचार दें। समस्या थी – भाषा शुद्ध हो या सब के लिये सुलभ हो? 1846 में राजा शिव प्रसाद ने हिंदी पत्र ‘बनारस अख़बार’ का प्रकाशन शुरू किया। राजा शिव प्रसाद शुद्ध हिंदी का प्रचार करते थे और अपने पत्र के पृष्ठों पर उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो बोल-चाल की हिंदुस्तानी के पक्ष में थे। लेकिन उसी समय के हिंदी लखक भारतेंदु हरिशचंद्र ने ऐसी रचनाएं रचीं जिन की भाषा समृद्ध भी थी और सरल भी। इस तरह उन्होंने आधुनिक हिंदी की नींव रखी है और हिंदी के भविष्य के बारे में हो रहे विवाद को समाप्त कर दिया। 1868 में भरतेंदु हरिशचंद्र ने साहित्यिक पत्रिका ‘कविवच सुधा’ निकालना प्रारंभ किया। 1854 में हिंदी का पहला दैनिक ‘समाचार सुधा वर्षण’ निकला।

मोदी बोले-विकास के मूलमंत्र गरीब पिछड़ों आदिवासी का जीवन बदलेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहेबगंज में गंगापुल और बंदरगाह सहित कई योजनाओं का शिलान्यास करने पहुंचे. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा- मुझे वीर सपूतों की धरती पर आने का मौका मिला है. पीएम ने कहा कि संथाल इलाके में एक साथ विकास के लिए आजादी के बाद पहली बार इतना बड़ा कदम उठाया गया है. पीएम मोदी ने कहा कि देश में ईमानदारी के युग की शुरुआत हो चुकी है. लाइव... किसान सोलर पंप से जमीन से पानी निकालेगी. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार क्रांतिकारी काम कर रही है. देशवासी ऊर्जा के महत्व को समझें. झारखंड सरकार ने पशुपालकों का विशेष ध्यान रखा है. गुजरात से डेयरी उद्योग की सीख लें. मुख्यमंत्री जी शहर उत्पादन के काम को भी बढ़ावा दें. हमारा किसान दूध और शहद से भी कमा सकता है. गंगा के माध्यम से झारखंड को पूरी दुनिया से जोड़ने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं. आज मुझे साहब गंज से गोविंदपुर तक सड़क का लोकापर्ण करने का मौका मिला. गोविंदपुर तक 10-12 घंटे का रास्ता पांच-7 घंटे में तय होगा. सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि संथाल के गरीब से गरीब नागरिक के जीवन में नया रास्ता दे रहे हैं. ये सड़क जाने आने के काम नहीं बल्कि विकास की ओर बढ़ने के लिए बन रही हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि इस इलाके के कितने नौजवानों को रोजगार मिलेगा. अपने ही रीजन में काम मिलेगा, घर जा सकेंगे. उनका रोजगार भी होगा उसके साथ साथ, इनका स्किल डेवलपमेंट भी होगा. किसी इंजीनियर से ज्यादा काम करने की ताकत आ जाएगी. इस इलाके में इस प्रोजेक्ट के कारण, हजारों परिवार के नौजवान ऐसी ताकत प्राप्त कर लेंगे जो आने वाले दिनों में झारखंड, बिहार या हिंदुस्तान का कोई और भी इलाका हो, उनमें काम करने की ताकत होगी. इस सारे प्रोजेक्ट में मानव शक्ति का सुनियोजित रूप से स्किल डेवलपमेंट की ताकत है. 22 सौ करोड़ रुपए की लागत से, ये विकास के नए द्वार को खोल देता है. इस ब्रिज के बनने से देश से जुड़ने का अवसर मिल रहा है. मैं बिहार और झारखंड वासियों को बधाई देता हूं. 22 सौ करोड़ रुपए की लागत से, ये विकास के नए द्वार को खोल देता है. इस ब्रिज के बनने से देश से जुड़ने का अवसर मिल रहा है. मैं बिहार और झारखंड वासियों को बधाई देता हूं. गडकरी की तारीफ हमारे नितिन गडकरी जी, ऐसे मंत्री है जो समय सीमा पर काम करवाने में बहुत कुशल हैं. मेरा पक्का विश्वास है, जिस तारीख को इसका लोकार्पण तय होगा, उस सीमा रेख में ये पूरा काम कर लेंगे.

दलाई लामा बस बहाना इन पाँच मुद्दों पर भारत,चीन आ सकते है आमने-सामने

एशिया की दो बड़ी शक्तियों भारत और चीन के बीच पिछले तीन दिनों में तनाव नई ऊंचाई तक पहुंच चुका है. दोनों देशों की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही हैं. तनाव का ये ताजा दौर दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर शुरू हुआ है. इस दौरे को लेकर चीन की आपत्तियों पर भारत ने साफ कहा कि चीन हमारे अंदरूनी मामलों में दखल न दे वहीं चीन ने कहा कि भारत के इस कदम से द्विपक्षीय संबंधों को भारी नुकसान पहुंचा है और बॉर्डर पर तनाव बढ़ सकता है. यहां तक कि दलाई लामा के मामले पर चीन ने कश्मीर में दखल देने की भी धमकी दे दी. दलाई लामा के दौरे पर तनाव तो बस ताजा मामला है लेकिन हाल के दिनों में पांच ऐसे बड़े मुद्दे हैं जिनपर चीन और भारत जैसी बड़ी शक्तियां आमने-सामने हैं और तनाव किसी भी हद तक जा सकता है. 1. अरुणाचल और लेह में सीमा विवाद करीब 6 दशकों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है लेकिन दुनिया का शायद ये अकेला तनाव वाला बॉर्डर है जहां 1962 के युद्ध के बाद एक भी गोली नहीं चली है. दोनों देशों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई मैकेनिज्म पर विचार किया लेकिन अबतक कुछ ठोस सामने नहीं आया है. पिछले साल लेह-लद्दाख में बॉर्डर में इलाकों को लेकर दोनों देशों के सैनिक कई दिनों तक आमने-सामने जमे रहे तो दलाई लामा के अरुणाचल दौरे पर चीन पर सीधी धमकियों पर उतर आया है. हाल में ये बात सामने आई थी कि चीन अरुणाचल के तमांग के बदले अक्साईचिन पर अपना दावा छोड़ सकता है. लेकिन क्या भारत तवांग को छोड़ेगा. भारत इसपर कतई राजी नहीं है और ऐसे में बॉर्डर मामले पर सहमति की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. 2. NSG और UNSC में भारत की सदस्यता का मुद्दा आबादी में दुनिया की दूसरे सबसे बड़े और दुनिया की सबसे तेज ऊभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत UNSC की स्थायी सदस्यता के लिए पूरा जोर लगाए हुए है. इस राह में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है. ठीक ऐसे ही एनएसजी की सदस्यता की भारत की कोशिशों में चीन लगातार बाधा बनता जा रहा है. ऐसे में विदेश नीति के मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच तनाव स्पष्ट है. अमेरिका की एशिया नीति में चीन के खिलाफ भारत एक मजबूत हिस्सा है तो पाकिस्तान के जरिए समुद्री पहुंच हासिल करने की चीन की कोशिशों में भारत एक रोड़ा. ऐसे में दोनों देश तनाव के नए दौर की ओर बढ़ रहे हैं. 3. PAK-चीन आर्थिक गलियारा और गिलगित बालटिस्तान का मुद्दा 54 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार किए जा रहे चीन-पाकिस्तान का आर्थिक गलियारे को भारत ने साफ तौर पर अवैध कहा है. जबकि चीन इसे किसी भी कीमत पर पूरा करने पर अड़ा हुआ है. ये गलियारा गिलगित-बालटिस्तान से होकर गुजरता है जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है और पाकिस्तान के अवैध कब्जे से छुड़ाने का ऐलान कर चुका है. वहीं चीन की शह पर पाकिस्तान गिलगित-बालटिस्तान को अपना पांचवां राज्य बनाने की कोशिश में है. ये मामला अंतरराष्ट्रीय मंच पर कभी भी तनाव का कारण बन सकता है. 4. अजहर मसूद और हाफिज सईद का मामला मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी अजहर मसूद और हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने की यूएन में भारत की कोशिशों को दो बार चीन रोक चुका है. चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और उसके पास वीटो पावर है. भारत इस तरह की स्थितियों के मद्देनजर ही सुरक्षा परिषद जैसी संस्थाओं में सुधार की मांग कर रहा है. भारत का तर्क है कि पिछले 6 दशकों में दुनिया में संतुलन काफी हद तक बदल चुका है. भारत आज एक बड़ी शक्ति है और उसे सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए. चीन इसमें बाधा बनता आया है. यहां तक कि पाकिस्तानी आंतकियों पर कार्रवाई की भारत की कोशिशों में भी रोड़े अटकाता रहा है. 5. दक्षिण चीन सागर दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन की दादागीरी के खिलाफ भी भारत ने अपनी आवाज बुलंद की है. इस क्षेत्र के सहयोगी देशों के साथ व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की नीतियों का विरोध किया. अमेरिका-जापान समेत तमाम देश इस मामले में भारत के समर्थन में हैं. बेशक भारत दक्षिण चीन सागर में किसी प्रकार की सीधी दावेदारी नहीं रखता तो भी इसके 55 प्रतिशत आर्थिक हित दक्षिण चीन सागर से जुड़े हुए हैं. भारत का यह भी मानना है कि विवादों में शामिल इस क्षेत्र के देशों को किसी प्रकार की धमकी या बल प्रयोग के डर के बिना अपने विवादों को हल करना चाहिए क्योंकि यदि ऐसा होता है तो न चाहते हुए भी जटिलताएं पैदा हो जाएंगी जिससे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. चीन इस क्षेत्र से भारत को दूर रहने की चेतावनी देते रहा है. ऐसे में कभी भी इन मुद्दों पर भारत-चीन में तनाव गंभीर रूप ले सकता है.

आजम खान अब अाये है, सीवीआई के लपेटे मे

वक्फ बोर्ड के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी नेता आजम खां व उनकी पत्नी के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है. यूपी सरकार सेंट्रल वक्फ काउंसिल की रिपोर्ट के आधार पर यह एक्शन ले सकती है. PWD की 42 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि आजम खान और उनके परिवारजनों ने रामपुर में कब्रिस्तान व ईदगाह की भी जमीन पर भी कब्जा किया था, इसके साथ ही उन्होंने 1 रुपये की सालाना लीज़ पर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया था. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खान पर वक्फ बोर्ड में घोटाले के गंभीर आरोप लगाए थे. कल्बे जव्वाद के मुताबिक सिर्फ एक शहर में वक्फ बोर्ड की जमीनों में 400 करोड़ का घोटाला हुआ है. बताया जा रहा है सामने आए दस्तावेज साफ इशारा कर रहे हैं कि वक्फ बोर्ड में जबरदस्त बंदरबांट हुई है. कल्बे जव्वाद ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है. कल्बे जव्वाद ने लगाये थे आरोप कल्बे जव्वाद का कहना था कि अगर आजम खान ईमानदा र होते तो वक्फ बोर्ड में बेईमानियां नहीं होतीं. शिया धर्मगुरु ने आरोप लगाते हुए कहा, "मेरठ में जो बहुत बड़े-बड़े औकाफ बिकवाये हैं उसके कागजात हमारे पास मौजूद हैं. इनकी यूनिवर्सिटी की सुन्नी वक्फ में हजारो फाइलें जला दी गई, उसकी सुनवाई नहीं हुई. हजारों वक्फ खत्म कर दिए गए उनकी फाइलें जला दी गईं." मंत्री ने भी भरी थी हामी यूपी के अल्प संख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा भी मानते हैं कि वक्फ बोर्ड की जमीनों में घोटाला हुआ है. उनके मुताबिक उनके पास कुछ चिट्ठियां आई थीं जिनके पास उन्होंने जांच करवाई तब मामला सामने आया. आजतक से हुई बातचीत में मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि जांच अभी शुरुआती दौर में है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो सकता है. आपको बता दें कि मोहसिन रजा ने ही ये फाइलें उजागर की थीं.

हिन्दू राष्ट्र गलत नही

Message: योगी बोले- हिंदू राष्ट्र की अवधारणा सही, विपक्ष ने बताया- खतरनाक बयान - http://aajtak.intoday.in/story/yogi-hindu-nation-statement-mayawati-says-it-is-unconstitutional-1-921868.html

ब्राउज़र क्या है

वेब ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो आपको इंटरनेट पर उपलब्‍ध सामग्री जैसे ब्‍लॉग बेवसाइट पर उपलब्ध लेख, इमेज, वीडियो और ऑडियो और गेम्‍स आदि को देखने और प्रयोग करने में अापकी सहायता करता है। टिम बर्नर ली ने सन 1991 में पहला वेब ब्राउज़र बनाया था, जिसका नाम उन्‍होंने वर्ल्ड वाइड वेब रखा था। आजकल आप किसी भ्‍ाी साइट का नाम टाइप करने से पहले जो WWW लगाते हैं यह वही वर्ल्ड वाइड वेब की श्‍ाार्टफार्म है। मिलिये दुनिया भर में प्रयोग किये जाने वाले वेब ब्राउज़र से। इन सभी ब्राउज़र की अलग अलग खूबियॉ हैं, जिसके आधार पर यूजर इनको पसन्‍द करते हैं - Chrome यह Google के प्‍लेटफार्म पर बनाया गया इंटनरेट ब्राउजर है, इसका अपना अलग लुक है, यह तेज गति से काम करता है, इसमें कई सारे प्‍लगइन प्रीलोडेड होते हैं। इसे सितम्‍बर, 2008 में लांच किया गया था। बाद में इसका मोबाइल वर्जन भी लांच किया गया। Mozilla Firefox यह लगभग 10 वर्ष पुराना लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर है, इसको वर्ष 2002 में Mozilla Corporation ने लांच किया था, Mozilla Firefox एक तेज गति का ब्राउजर है, सभी प्रकार के फांन्‍ट को सपोर्ट करता है, कुछ दिन पहले इसका हिन्‍दी वर्जन भी लांच किया गया था। Internet Explorer यह ब्राउजर Microsoft Corporation ने अगस्‍त, 1995 में विण्‍डोज 95 के साथ लांच किया था, इसने उपभोक्‍ताओं का इंटनेट का प्रथम बार अनुभव कराया आज के दौर में भी ज्‍यादातर यूजर इंटरनेट से मतलब Internet Explorer से ही है। Safari 2003 में Apple कम्‍पनी ने Safari को खास अपने ऑपरेटिंग सिस्‍टम मैक के लिये तैयार किया था प्रारम्‍भ यह सिर्फ उन्‍हीं के कम्‍प्‍यूटरों का सपोर्ट करता था, लेकिन बाद में इसका विण्‍डोज वर्जन भी लांच किया गया। Opera Opera Software ASA ने वर्ष 1994 में एक बहुत तेज गति वाला ब्राउज़र लांच किया जिसकी गति को आज तक कोई मात नहीं दे पाया है यह आज भी सर्वाधिक गति वाला ब्राउज़र है। Epic पहला भारतीय ब्राउजर यह 12 भारतीय भाषओं को समर्थन देता है, इसके अलावा इनमें कई ऐसे फीचर एड किये गये है, जो आपको पसन्‍द आयेगें इसे Hidden Reflex ने जो एक भारतीय इंजिनियर है (श्री आलोक भारद्वाज) द्वारा स्‍थापित किया गया है ने 2010 में लांच किया था। इसे मोजिला के प्‍लेटफार्म पर बनाया गया है,

वायरस क्या होता है

वायरस क्या होता है वायरस बहुत माहिर साफ्टवेयर प्रोग्रामों दवारा कुछ ऐसे साफ्टवेटर डिजाइन किये जाते है। जो किसी भी कम्प्यूटर में प्रवेश कर सकते है तथा उसके डाटा को खराब कर सकते है और कुछ ही समय में आपके कम्प्यूटर पर कब्जा कर लेते है ओैर विन्डो को खराब या करप्‍ट कर देते है। एन्टीवाइरस कम्प्यूटर में इस्‍टाल करने से वह कम्प्यूटर के अन्दर छिपे वाइरस को ढूढता लेता है उसे क्लीन कर देता है। एंटीवायरस क्या होता है और ये कैसे काम करता है एन्टीवाइरस के पास सभी वाइरसों नामों की एक लिस्ट होती है जब हम उसको इंस्टाल करते है वो वह अपनी लिस्ट से वाइरसों के नामों को मैच करता है और मैच हो जाने पर वह उन्हें डिलीट कर देता है एन्टीवाइरस अच्छी तरह से काम करे इसके लिए जरूरी है कि उसे इन्टरनेट के माध्यम से उसे डेली अपडेट किया जाए। कंप्यूटर को वायरस से कैसे बचाये वायरस से बचाव:- किसी भी लुभावने व विज्ञापनों वाले र्इ-मेल को कम्प्यूटर में नही खोलना चाहिए जिस र्इ-मेल आइडी को नही जानते है उस र्इ-मेल आइडी को नही खोलना चाहिए। नकली और पाइरेटेड सी0 डी0 व डी0वी0डी0 का यूज कम्प्यूटर में नही करना चाहिए। किसी दूसरे कम्प्यूटर की पेन ड्राइव अपने कम्प्यूटर में लगाये तो उसे एन्‍टीवायरस दवारा स्केन कर लेना चहिए।