गुरुवार, 9 मार्च 2017

जिंदा आदमी की निकाल लेती आंखें

जिंदा आदमी की आंखें निकाल लेती थी ये डकैत, देखों आज कहां पहुंच गई Amarujala.com 08 Mar 2017 09:35 डकैत फक्कड़ के साथ बीहड़ में दहशत कायम करने वाली कुसुमा नाइन आज पूरी तरह से बदल चुकी है। कुसुमा के बारे में कहा जाता है कि वह जिंदा आदमी की आंखें निकाल लेती थी। लेकिन अब उसने जुर्म का रास्त छोड़ दिया है। फिलहाल, वह कानपु जेल में बंद है और अपने जुर्म की सजा काट रही है। कानून ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कुसुमा पर कानपुर शहर और कानपुर देहात कोर्ट में 11 मुकदमे थे। इनमें से ज्यादातर छूट चुके हैं। कानपुर जेल में वह पूरे समय पूजा-पाठ में लगी रहती है। जेल में ही थोड़ा-बहुत पढ़ना-लिखना सीखा है। वह रजिस्टर पर राम-राम लिखती है। कुसुमा नाइन हमेशा साथी बंदियों को समझाती रहती है कि भगवान ने प्रायश्चित का मौका दिया है इसे जाया न करें। जेल प्रशासन के मुताबिक कुसुमा को एक मुकदमे में उम्रकैद की सजा हुई है, जिसकी अपील उसने हाईकोर्ट में कर रखी है। जिला जेल में एंजेल्स क्लब और ऑल इंडिया वूमेन डेवलपमेंट एंड ट्रेनिंग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में महिला दिवस पर डकैत कुसुमा नाइन को साथी बंदियों से सौहार्दपूर्ण व्यवहार और अच्छे चालन के लिए शांति अवार्ड दिया गया। अन्य महिला बंदियों को भी सम्मानित किया गया। संस्थाओं ने महिला बैरक को एक एलईडी टीवी भी दिया।

13march ,के बाद नही चलेंगे 2000और 500के ये नोट पढें

जरूरी सूचनाः 13 मार्च के बाद नहीं चलेंगे 2000 और 500 रुपए के नोट, क्योंकि... INDIA VOICE 10 Mar. 2017 04:04 नई दिल्लीः अगर आपकी जेब में 500 या 2000 रुपए का नोट रखा है तो सावधान हो जाएं। अगर आपने ये गलती की तो आपके 500 और 2000 के नोट बेकार हो जाएंगे। उन्हें बैंक स्वीकार नहीं करेगी। ऐसे में अगर आप होली खेलने जा रहे हैं तो बेहतर है कि अपनी जेब को खाली कर लें। होली खेलते वक्त अगर आपकी जेब में 500 और 2000 के नोट रंग गए तो उन्हें बैंक स्वीकार नहीं करेगी। होली के रंग में रंगे नोटों को बदलने के लिए आपको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में ही जाना पड़ेगा।आपको बता दें कि इस बावत आरबीआई ने बैंकों को गाइडलाइन दी है। आरबीआई ने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बैंकों को गाइड लाइन जारी की है। जिसके तहत बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वो रंग लगे या फिर पेन से लिखे 500 और 2000 के नोट को स्वीकार न करें। पंजाब एंड सिंध बैंक के चीफ मैनेजर ने इस बाबत जानकारी दी है कि आरबीआई की तरफ से ऐसी गाइड लाइन जारी की गई है कि अगर 500 और 2,000 रुपये के नोटों पर कोई रंग या कोई पेन चलाया जाता है तो वह नोट बैंकों में जमा नहीं होंगे।नोटबंदी के बाद आरबीआई ने क्लीन नोट पॉलिसी जारी करते हुए बैंकों को ये निर्देश दिए है। सिंडिकेट बैंक के डीजीएम केके अग्रवाल के मुताबिक अब अगर नए नोटों में कोई रंग जाए या पिर कोई उसपर कुछ लिख देता है तो बैंक उसे स्वीकार नहीं करेगी। इसके लिए शख्स को खुच आरबीआई में जाकर जमा कराना होगा। उन्होंने बताया कि इसे लेकर फेसबुक और वॉट्सऐप पर नई करंसी को लेकर चल रहे मेसेज काफी हद तक सही है। ऐसे में बेहतर है कि आप नए नोटों पर कुछ भी लिखने या फिर रंग लगाने से बचे, वरना आपकी मुश्किल बड़ सकती है। संदर्भ पढ़ें

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भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव की आंतकवादी फिल्म होली पर धमाल मचायेगी

खेसारी लाल यादव की 'आतंकवादी' होली पर धमाल मचाएगी ! खेसारी लाल यादव की 'आतंकवादी' होली पर धमाल मचाएगी। Written by: shivani verma | Fri, Feb 10, 2017, 18:45 [IST] श्रेयश फिल्म्स के बैनर तले बनी साल की बहुचर्चित फ़िल्म 'आतंकवादी' को होली के शुभ मौके पर प्रदर्शित किया जाएगा। दर्शकों के चहीते अभिनेता खेसारी लाल यादव इस फ़िल्म से दर्शकों के बीच पहली बार एक आतंकवादी की भूमिका में आएंगे।निर्माता प्रेम राय द्वारा निर्माण किये गए इस फ़िल्म का निर्देशन एम आय राज द्वारा किया गया है और फ़िल्म में खेसारी के अपोजिट शुभी शर्मा नजर आएंगी।

भोजपुरी स्टार पवन सिहं की योद्धा अर्जुन पंडित पुरी हुई

पवन सिंह की 'योद्धा अर्जुन पंडित' की शूटिंग पूरी राजदेव फिल्म्स के बैनर तले बन रही फ़िल्म 'योद्धा अर्जुन पंडित' की शूटिंग पूरी कर ली गयी है। Written by: Shivani Verma | Thu, Feb 9, 2017, 18:15 [IST] लगभग एक महीने से चल रही राजदेव फिल्म्स के बैनर तले बन रही फ़िल्म 'योद्धा अर्जुन पंडित' की शूटिंग पूरी कर ली गयी है। धमाकेदार एक्शन से भरपूर इस फ़िल्म की शूटिंग मुम्बई से सटे पनवेल के सूर्या फार्म हॉउस में और उसके आसपास की जा रही थी।

भोजपुरी फिल्म राधे रंगीला की शुरू हुई शुटिंग

भोजपुरी फिल्म राधे रंगीला की सिलवासा में शुरू हुई शूटिंग। आरपी फिल्म्स विजन के बैनर तले बन रही भोजपुरी फ़िल्म 'राधे रंगीला' की शूटिंग सिलवासा में शुरू हो गई है। Written by: shivani verma | Fri, Jan 20, 2017, 19:15 [IST] आरपी फिल्म्स विजन के बैनर तले बन रही भोजपुरी फ़िल्म 'राधे रंगीला' की शूटिंग सिलवासा में शुरू हो गई है। इस फ़िल्म में भोजपुरी फ़िल्म जगत के कई जाने माने चेहरे हैं जिनमें राकेश मिश्रा, राधे श्याम, अमरीश सिंह, संगीता तिवारी, इनुश्री, आनंद मोहन, इसराइल खान,अरुण दुबे, नेहा सिंह, अनन्या चौबे, रीतू मिश्रा शामिल हैं।

बाँलीवुड का सबसे पगला डायरेक्टर

बॉलीवुड का सबसे पगला डायरेक्टर जिसने भारत की सबसे बड़ी फिल्म बनाई Lallan Top 9 Mar. 2017 18:36 बॉलीवुड के इतिहास में ये ऐसा डायरेक्टर था जो अपनी सिर्फ एक फिल्म के लिए जाना जाता है. इस आदमी को फिल्म बनाने की कोई खास ट्रेनिंग नहीं थी. पर अपने वक्त के सबसे बड़े लोगों को अपने हाथ में ले के घूमता था ये शख्स. नाम था के आसिफ. पूरा नाम करीमुद्दीन आसिफ. फिल्म बनाई थी मुगल-ए-आजम. उत्तर प्रदेश के इटावा में से निकले आसिफ बंबई में अपने नाम का डंका बजा आये. जिद्दी आदमी थे. मंटो इनके बारे में लिखते हैं कि कुछ खास किया तो नहीं था, पर खुद पर भरोसा इतना था कि सामने वाला इंसान घबरा जाता था. बड़े गुलाम अली खान से अपने बतरस से लेकर अपनी फिल्म में बड़े-बड़े गीतकारों से मुगल-ए-आजम के लिए 72 गाने लिखवाने की कहानियां हैं आसिफ की. 9 मार्च 1971 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से आसिफ की मौत हो गई थी. उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में केवल दो फ़िल्में बनाईं ‘फूल'(1945) और ‘मुग़ल-ए-आज़म’ (1960). उनकी पहली फिल्म तो कुछ खास कमाल नहीं कर सकी लेकिन दूसरी फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ ने इतिहास बना दिया. ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को बनाने में 14 साल लगे थे. ये फिल्म उस वक़्त बननी शुरू हुई जब हमारे यहां अंग्रेजों का राज था. शायद ये एक कारण भी हो सकता है जिसके चलते इसको बनाने में इतना वक़्त लगा. ये उस दौर की सबसे महंगी फिल्म थी, इस फिल्म की लागत तक़रीबन 1.5 करोड़ रूपये बताई जाती है. जब फिल्में 5-10 लाख रुपयों में बन जाती थीं. भारतीय सिनेमा के इतिहास में ये फिल्म कई मायनों में मील का पत्थर साबित हुई. आइए आसिफ और इस फिल्म से जुड़े कुछ किस्से पढ़ते हैं: #1. इस फिल्म का आइडिया आसिफ को आर्देशिर ईरानी की फिल्म ‘अनारकली’ को देखकर आया था. इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने अपने अपने दोस्त शिराज़ अली हाकिम के साथ एक फिल्म बनाने का फैसला किया. शिराज़ उनकी फिल्म प्रोड्यूस कर रहे थे. फिल्म में चंद्रबाबू, डी.के सप्रू और नरगिस को साइन किया गया. 1946 में फिल्म की शूटिंग बॉम्बे टाकीज स्टूडियो में शुरू हुई. अभी शूटिंग शुरू ही हुई थी कि पार्टीशन की प्रक्रिया शुरू हो गयी जिसके कारण फिल्म के प्रोड्यूसर शिराज़ को हिंदुस्तान छोड़कर जाना पड़ा. 1952 में फिल्म को दोबारा नए सिरे से नए प्रोड्यूसर और कास्टिंग के साथ शुरू किया गया. #2. इस फिल्म में अकबर के रोल के लिए आसिफ उस वक्त के मशहूर अभिनेता चंद्रमोहन को लेना चाहते थे. पर चंद्रमोहन आसिफ के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थे. आसिफ को उनकी आंखें पसंद थीं. कह दिया था कि मैं दस साल इंतजार करूंगा पर फिल्म तो आपके साथ ही बनाऊंगा. पर कुछ समय बाद एक सड़क हादसे में चंद्रमोहन की आंखें ही चली गईं. #3. फिल्म के म्यूजिक को लेकर आसिफ बड़े ही गंभीर थे. उन्हें इस फिल्म के लिए बेहद ही उम्दा संगीत की दरकार थी. नोट से भरे ब्रीफ़केस को लेकर आसिफ मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद के पास पहुंचे और ब्रीफ़केस थमाते हुए कहा कि उन्हें अपनी फिल्म के लिए यादगार संगीत चाहिए, ये बात नौशाद साहब को बिलकुल नहीं भाई. उन्होंने नोटों से भरा ब्रीफ़केस खिड़की से बाहर फ़ेंक दिया और कहा कि म्यूजिक की क्वालिटी पैसे से नहीं आती. बाद में आसिफ ने नौशाद से माफी मांग ली. वो अंदाज भी ऐसा था कि नौशाद हंस के मान गए. #4. नौशाद फिल्म के लिए बड़े गुलाम अली साहब की आवाज़ चाहते थे, लेकिन गुलाम अली साहब ने ये कहकर मना कर दिया कि वो फिल्मों के लिए नहीं गाते. लेकिन आसिफ ज़िद पर अड़ गए कि गाना तो उनकी ही आवाज में रिकॉर्ड होगा. उनको मना करने के लिए गुलाम साहब ने कह दिया कि वो एक गाने के 25000 रुपये लेंगे. उस दौर में लता मंगेशकर और रफ़ी जैसे गायकों को एक गाने के लिए 300 से 400 रुपये मिलते थे. आसिफ साहब ने उन्हें कहा कि गुलाम साहब आप बेशकीमती हैं ,ये लीजिये 10000 रुपये एडवांस. अब गुलाम अली साहब के पास कोई बहाना नहीं था. उनका गाना फिल्म में सलीम और अनारकली के बीच हो रहे प्रणय सीन के बैकग्राउंड में बजता है. #5. फिल्म के एक सीन में पृथ्वीराज कपूर को रेत पर नंगे पांव चलना था. उस सीन की शूटिंग राजस्थान में हो रही थी जहां की रेत तप रही थी. उस सीन को करने में पृथ्वीराज कपूर के पांव पर छाले पड़ गए थे. जब ये बात आसिफ को पता चली तो उन्होंने भी अपने जूते उतार दिए और नंगे पांव गर्म रेत पर कैमरे के पीछे चलने लगे. अब कोई कुछ नहीं कह पाया था. #6. सोहराब मोदी की ‘झांसी की रानी'(1953) भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म थी. पर 1955 आते-आते रंगीन फ़िल्में बनने लगी थीं. इसी को देखते हुए आसिफ ने भी ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ सहित कुछ हिस्सों की शूटिंग टेक्निकलर में की जो उन्हें काफी पसंद आई. इसके बाद उन्होंने पूरी फिल्म को टेक्निकलर में दोबारा शूट करने का फैसला किया. लेकिन पहले ही फिल्म की शूटिंग में 10 साल से ज्यादा निकल चुके थे और बजट भी कई गुना बढ़ गया था. इन्हीं चीज़ों से परेशान होकर फिल्म के निर्माता और वितरकों ने दोबारा शूटिंग करने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. 14 साल में बनी फिल्म आधा कलर और आधा ब्लैक एंड वाइट में रिलीज़ हुई. #7. इस फिल्म के दौरान इससे जुड़े लोगों की निजी ज़िन्दगी में भी काफी हलचल हो रही थी. एक तरफ दिलीप कुमार और मधुबाला का 9 साल पुराना रिश्ता ख़त्म हो चुका था. मधुबाला की मां ने दिलीप से शादी ना होने देने के लिए हरसंभव कोशिश की थी. दोनों कलाकरों ने पूरी फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दूसरे से बात नहीं की. वही दूसरी तरफ फिल्म के निर्देशक आसिफ ने दिलीप कुमार की बहन अख्तर बेगम से शादी कर ली. एक बार अख्तर बेगम और आसिफ में झगड़ा हुआ. दिलीप बचाव करने पहुंचे तो आसिफ ने कह दिया कि अपना स्टारडम मेरे घर से बाहर रखो. दिलीप कुमार इतना नाराज हुए कि फिल्म के प्रीमियर तक में नहीं गए थे. उन्होंने ये फिल्म भी 10 साल बाद देखी थी. #8. इस फिल्म में भारतीय इतिहास में पहली बार सेना के हाथी, घोड़ों और सैनिकों का इस्तेमाल किया गया था. सलीम और अकबर के बीच युद्ध का सीन फिल्माने के लिए जयपुर रेजिमेंट के सैनिकों को भी लिया गया था. इसके लिए आसिफ ने तत्कालीन भारतीय रक्षामंत्री कृष्णा मेनन से बाकायदा इज़ाज़त ली थी. इस सीन की शूटिंग के दौरान रक्षामंत्री खुद मौजूद थे. कहा ये भी जाता है कि इस सीन की शूटिंग में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा था क्योंकि हाथी बमों की आवाज़ सुनकर इधर उधर भागने लगते थे और उनको नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता था. इसलिए कुछ हाथियों को, जो सेना से नहीं थे, अंधा कर दिया गया था. #9. फिल्म के एक गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को फिल्माने में 10 लाख रुपये खर्च किये गए, ये वो उस दौर की वो रकम थी जिसमें एक पूरी फिल्म बन कर तैयार हो जाती थी. 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद साहब ने ये गाना चुना था. इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही थी जो उन्हें उस गाने के लिए चाहिए थी. उस गाने को आज तक उसके बेहतरीन फिल्मांकन के लिए याद किया जाता है.उसी फिल्म के एक और गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ के लिए मोहम्मद रफ़ी के साथ 100 गायकों के कोरस से गवाया गया था. इस फिल्म को बड़ा बनाने के लिए हर छोटी चीज़ पर गौर किया गया था. #10. इस फिल्म के एक सीन में दिलीप कुमार को मधुबाला को थप्पड़ मारना था. उस फिल्म की शूटिंग के दौरान हीं दिलीप कुमार और मधुबाला का ब्रेकअप हुआ था. वो थप्पड़ बहुत धीरे धीरे मार रहे थे. या यूं कहें कि वो उन्हें मार नहीं पा रहे थे. दिलीप कुमार की इस हरकत से आसिफ बेहद खफा हो गए और उन्होंने खुद ही मधुबाला को थप्पड़ मारने का फैसला किया. बहुत जोर से मार दिया था. #11. इस फिल्म की शूटिंग के लिए बड़े भव्य सेट बनवाए गए थे, लेकिन फिल्म के कुछ खास हिस्सों की शूटिंग करने के लिए लाहौर के शीशमहल का डुप्लीकेट सेट बनवाया गया जिसमें शीशे का उपयोग किया गया था. लेकिन सेट पर लाइटिंग करने में दिक्कत होने लगी क्योंकि शीशे से लाइट रिफ्लेक्ट हो रहा था. फिल्म से जुड़े काम के लिए ब्रिटिश डायरेक्टर डेविड लीन को भी बुलाया गया था, जिनका कहना था कि ऐसे सेट पर शूटिंग करना संभव नहीं है. लेकिन आसिफ साहब ने अपने क्रू के साथ मिलकर सभी शीशों पर मोम की एक पतली परत चढ़ा दी जिससे रिफ्लेक्शन की समस्या दूर हो गयी और शूटिंग शुरू हो गयी. लेकिन इससे विजुअल्स धुंधले होने लगे. इसके बाद सिनेमेटोग्राफर आर डी माथुर ने शीशों पर झीने कपड़े डालकर शूटिंग शुरू कर दी. शीशमहल को 500 ट्रकों की हेडलाइट और 100 रिफलेक्टर्स से रोशन किया गया था. #12. फिल्म को बहुत ही बड़े लेवल पर बनाया जा रहा था इसलिए कई बार मेकर्स को खुद भी बहुत कुर्बानी देनी पड़ रही थी. फिल्म के डायरेक्टर आसिफ खुद सर से पैर तक क़र्ज़ में डूबे हुए थे. फिल्म के एक प्रोड्यूसर मोहम्मद अली जिन्ना के रिश्तेदार थे. उन्होंने जिन्ना का एक घर टाटा के यहां गिरवी रख दिया था. लेकिन जब फिल्म रिलीज़ होकर इतनी बड़ी ब्लॉकबस्टर हुई उसके बाद उन्होंने वो घर छुड़ाया नहीं, कंपनी को दे दिया. ये घर आज भी मालाबार हिल्स में है. अब से एक इंश्योरेंस कंपनी के पास है जो उस वक्त टाटा की ही हुआ करती थी.

प्याज लेहसुन अनुसंधान निदेशालय

मुख्य पृष्ठसमाचारपरामर्शबीज की आपुर्तीनिविदाJobsआर.एफ.डी.संपकॅ करेस्वच्छ भारतअधिकार-पत्रसंपर्क English (United Kingdom) हमें जानें निदेशालय के बारे में संगठन – रुपरेखा ए.आय.एन.आर.पी.ओ.जी. आय.एस.ए. कर्मचारी हमारे निदेशक समितियाँ सेबायें प्रशिक्षण परामर्श पुस्तकालय सुचना का अधिकार सर्तकता सुविधाऐ प्रयॉगशाला विशेष उपकरण अतिथि गृह संगॉष्ठी कक्ष शीत भंडारण Related Links http://www.icar.org.in/ http://www.fao.org/ http://www.nafed-india.com http://www.nhb.gov.in http://www.iht.edu.in आगंतुक पटल जलवायु एवं मिट्टी की आवश्यकता प्याज शीतोष्ण जलवायु की फसल है लेकिन इसे उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी लगाया जा सकता है। हल्के मौसम में इसकी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है जब न अत्यधिक गरमी या ठंड हो और न ही अत्यधिक वर्षा। वैसे, प्याज के पौधे मजबूत होते हैं और युवा अवस्था में ठंडे तापमान का भी सामना कर सकते हैं। भारत में लघु दिवस प्याज मैदानों में लगाया जाता है, जिसे 10-12 घंटे लंबे दिन की आवश्यकता होती है। दीर्घ दिवस प्याज को 13-14 घंटे प्रकाश दिन की आवश्यकता होती है और यह पहाड़ियों में उगाया जाता है। वनस्पति विकास के लिए, कम प्रकाश समय के साथ कम तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि उच्च तापमान के साथ लंबा प्रकाश समय प्याज के विकास और परिपक्वता के लिए आवश्यक है। वनस्पति चरण और प्याज के विकास के लिए अनुकूलतम तापमान क्रमशः 13-24o सें. और 16-25o सें. है। इसकी अच्छी वृध्दि के लिए 70 सापेक्ष आर्द्रता की आवश्यकता होती है। जहाँ मानसून के दौरान अच्छे वितरण के साथ औसतन वार्षिक वर्षा 650-750 मि.मी. हो वहाँ प्याज की उपज अच्छी आती है। कम (<650 मीमी) या भारी (>750 मीमी) वर्षा के क्षेत्र इस फसल के लिए उपयुक्त नहीं है। मृदा प्याज सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है जैसे कि रेतीली, दोमट, गाद दोमट और भारी मिट्टी। सफल प्याज की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट और जलोढ़ हैं जिसमें जल निकासी प्रवृत्ती के साथ अच्छी नमी धारण क्षमता और पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ हों। भारी मिट्टी में उत्पादित प्याज खराब हो सकते हैं। वैसे भारी मिट्टी पर भी प्याज सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, अगर खेती के लिए क्षेत्र की तैयारी बहुत अच्छी हो और रोपन से पहले जैविक खाद का प्रयोग किया जाए। प्याज की फसल के लिए मृदा सामू इष्टतम 6.0 - 7.5 होना चाहिए, लेकिन प्याज हल्के क्षारीय मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। प्याज की फसल अत्यधिक अम्लीय, क्षारीय और खारी मिट्टी और जल जमाव के लिए अधिक संवेदनशील है। प्याज 6.0 के नीचे सामू की मिट्टी में सूक्ष्म तत्व की कमी की वजह से या कभी-कभी ॲल्युमिनीयम या मैगनीज विषाक्तता होने के कारण कामयाब नहीं है। प्याज की फसल के लिए विद्युत चालकता संतृप्ति 4.0 डीएस/मी. है। जब यह इस स्तर से अधिक होती है तब फसल की उपज में गिरावट शुरु हो जाती है। LAST_UPDATED2 शॉघ गृह परियॉजनाऐ बाहय वित्तपॉषित परियॉजनाऐ सहयोग प्याज की विकसित किस्मे विकसित तकनीकी सफलता की कहानियां प्रकाशन Agropedia सूखे के लिए सलाह प्याज जलवायु एवं मिट्टी मौसम प्याज की किस्मे पौधशाला खेत की तैयारी रोपाई खाद खरपतवार प्रबंधन सिंचाई प्रबंधन फसल प्रणाली अंतर-वर्ती फसल कीट एवं रोग कटाई श्रेणीकरण भंडारण लहसुन प्रसंस्करण बीज उत्पादन प्राप्त करें समाचार पत्र वार्षिक प्रतिवेदन रोजगार व्हिजन २०५० प्रगतिशील किसान अंक-विवरन मौसम का विवरण This website belongs to ICAR - Directorate of Onion and Garlic Research, Indian Council of Agricultural Research, an autonomous organization under the Department of Agricultural Research and Education, Ministry of Agriculture, Government of India Contact | RTI | Disclaimer | Privacy Statement This website is designed by Sh. Shaikh H.C,Sr. Technical Officer, and Dr. S. Anandhan, Sr. Scientist, DOGR, Rajgurunagar

भारत मे ई शासन बहुत तेजी से बढ़ रही है

ई-शासन बदलती सेवा वितरण प्रणाली भारत में ई-शासन 'अच्छे शासन' का पर्याय बनता जा रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग नागरिकों, व्यापारियों और सरकारी संगठन को ही नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को सूचना और प्रौद्योगिकी की सहायता से विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहे है। इसी क्रम में 2006 में शुरू की राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के तहत भारत भर में साझा सेवा केंद्र (सीएससी) स्थापित किए गये हैं। ये साझा सेवा केंद्र आम आदमी को सीधे तौर पर लाभान्वित कर सहज,सुलभ और उनके घर के द्वार तक सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। देशभर में 1 लाख से ज्यादा(सीएससी वेबसाइट) साझा सेवा केंद्र अलग-अलग ब्रांड नाम अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विकासपीडिया ई-शासन भाग का मुख्य ध्यान नागरिकों के लिए उपलब्ध ऑनलाइन सेवाएँ, राज्यों की ई-शासन पहल, ऑनलाइन विधिक सेवाओं, मोबाइल शासन, सूचना के अधिकार पर जानकारी उपलब्ध कराकर, देशभर में चल रहे ई-शासन अभियान में सहायता प्रदान करना है। ग्रामीण उद्यमियों (वीएलई) के सशक्तीकरण के महत्व को ध्यान में रखते हुए, भारतीय विकास प्रवेशद्वार ने “वीएलई कार्नर" का निर्माण कर न केवल एक मंच पर आने का अवसर दिया बल्कि उनके ज्ञान-भंडार को विभिन्न अध्ययन संसाधनों से समृद्ध करने में प्रयासरत है। भारत का ग्रामीण भाग विभिन्न संस्थाओं और उभरती आईसीटी पहल का लाभ लेने के लिए तैयार रहा है और भारत विकास प्रवेशद्वार बहुभाषाओं में उपलब्ध आवश्यक सामग्री और सेवाओं से लाभान्वित होने के लिए आह्वान करता है। भारत में ई-शासन भारत में ई-शासन भाग राष्ट्रीय ई-शासन योजना,राज्यों की ई-शासन सेवाओं और ई-शासन संसाधन के बारे में जानकारी देता है। सूचना का अधिकार सूचना का अधिकार भाग के अंतर्गत अधिकार का अर्थ, उसके उपयोग की प्रक्रिया,अपील के विभिन्न चरण,उपयोगी संपर्क की जानकारी और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का ब्यौरा दिया गया है। वीएलई के लिए संसाधन यह भाग साझा सेवा कार्यक्रम,ऑनलाईन प्रदत्त की जा रही सेवाएं,भारत विकास प्रवेशद्वार के विभिन्न उत्पाद एवं सेवाओं सहित कम्प्यूटर में भारतीय भाषा के पढ़ने में आ रही समस्याओं के समाधान की उपयोगी जानकारी देता है। ई-शासन ऑनलाईन सेवाएं यह भाग ई-शासन ऑनलाईन सेवाएं के संक्षिप्त परिचय के साथ उससे संबंधित विभिन्न उपयोगी लिंक जानकारी के बारे में जानकारी देता है। भारत में विधिक सेवाएँ यह भाग विधिक सेवाओं में ई-शासन की शुरुआत, राष्ट्रीय विधि स्कूल और विधि क्षेत्र से जु़ड़ीं महत्वपूर्ण लिंक संसाधनों की जानकारी देता है। मोबाइल शासन इस अनुभाग में भारत में उभरते मोबाइल शासन और एक संक्षिप्त परिचय के साथ विभिन्न संबंधित उपयोगी लिंक जानकारी के बारे में जानकारी देता है. 

ऊर्जा

ऊर्जा ऊर्जा संरक्षण में वृद्धि, ऊर्जा के स्तर में सुधार और नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि कर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के मामले में निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बना जा सकता है। यह ऊर्जा विषय पर आधारित भाग विभिन्न संदर्भों,अवधारणाओं एवं सफल कहानियों के माध्यम से ऊर्जा के विभिन्न रूपों की सूचना पहुँचाने का प्रयास कर रहा है जिससे आम लोग उसका उपयोग एवं उससे लाभ उठाने को प्रेरित हों। ऊर्जा-कुछ मूल बातें इस भाग में ऊर्जा की मूलभूत बातों के अंतर्गत ऊर्जा के स्त्रोत,ऊर्जा के प्रकार,ऊर्जा की इकाई और ऊर्जा एवं उसके उपयोग जैसी जानकारी दी गई है। ऊर्जा प्रौद्योगिकी इस भाग में ऊर्जा संरक्षण,ऊर्जा दक्षता,हरित ऊर्जा उत्पादन और वर्षा जल संरक्षण से जुड़ी विभिन्न प्रौद्यागिकी के बारे में जानकारी प्रदान करता है। उत्तम प्रथा इस भाग में समुदाय की ऊर्जा और पानी की मांग पर विभिन्न अनुभावों और प्रयोगों को प्रस्तुत किया गया है। महिलाएं और ऊर्जा यह भाग महिलाओं और ऊर्जा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करता है। नीतिगत सहायता इस भाग में सरकार सहित अन्य एजेंसियों से जुड़ी विभिन्न नीतियों और योजनाओं की जानकारी प्रस्तुत की गई है। ग्रामीण नवाचार यह भाग ग्रामीण स्तर पर जुड़े नवाचारों की जानकारी देता है। पर्यावरण यह भाग पर्यावरण से जुड़ी नीति,सुझाव प्रौद्योगिकी और अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रस्तुत करता है।

स्वास्थ्य पर एक लेख

twitter facebook YouTube RSS Google Plus Participate in Discussions होम (घर) / स्वास्थ्य शेयर स्वास्थ्य महिला स्वास्थ्य महिला स्वास्थ्य उसकी पूरी जिंदगी के दौरान-यौवन से लेकर रजोनिवृत्ति तक बहुत महत्वपूर्ण है। इस पोर्टल के माध्यम से किशोर बालिका स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षित मातृत्व और अच्छे प्रजनन स्वास्थ्य की देखभाल आदि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान दी गई है। बाल स्वास्थ्य बच्चों का विकास एक जटिल एवं सतत प्रक्रिया है। इसी क्रम में यह भाग बाल स्वास्थ्य से जुड़ीं विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने का अवसर देता है। आयुष चिकित्सा और होम्योपैथी (भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी) विभाग मार्च, 1995 में बनाया। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रुप में अपनी पहचान हासिल कर यह विभाग अपनी उपयोगिता से लोकप्रिय होते हुए महत्वपूर्ण स्थान बना रहा है। पोषाहार जनसंख्या विस्फोट और भोजन की मांग हमेशा साथ-साथ चलते हैं। यह भाग पोषाहार के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुए उनकी स्वस्थ्य जीवन में उपयोगिता बताता है। बीमारियां-लक्षण एवं उपाय पारंपरिक बीमारियों के अलावा लोगों की कार्यशैली और उनके आस-पास के पर्यावरणों में आ रहे परिवर्तनों से अनेक नवीन बीमारियों के लक्षण चिकित्सकों के लिए चिंता के विषय हैं। यह भाग पारंपरिक बीमारियों के साथ अनेक नवीन बीमारियों के कारकों को स्पष्ट कर जागरुकता लाने का प्रयास करता है। स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान स्वच्छता की एक समग्र परिभाषा में स्वच्छ पेयजल, तरल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पर्यावरण और व्यक्तिगत स्वच्छता आदि को शामिल किया जाता है जिसका समुदाय/परिवारके स्वास्थ्य अथवा व्यक्ति पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। इस भाग में इसकी जानकारी दी गयी है। मानसिक स्वास्थ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए कहा है कि एक व्यक्ति जो अपने या अपनी खुद की क्षमताओं को पहचानता है वह सामान्य जिंदगी के तनाव का अच्छी तरह से सामना कर सकता है। यह भाग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ीं विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने का अवसर देता है। स्वास्थ्य योजनाएं 12 अप्रैल, 2005 में शुरू किये गए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में महिलाओं सहित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार, वंचित समूहों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत और सक्षम बनाने के साथ कुशल स्वास्थ्य सेवा वितरण बढ़ाना आदि लक्ष्य निर्धारित हैं। यह भाग इससे जुड़ीं महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने का अवसर देता है। प्राथमिक चिकित्सा प्राथमिक चिकित्सा तात्कालिक और अस्थायी देखभाल अथवा दुर्घटना या अचानक बीमारी का शिकार होने की स्थिति में एक प्रशिक्षित चिकित्सक की सेवाएं प्राप्त करने से पहले दी जाती है। इसी क्रम में यह भाग प्राथमिक चिकित्सा से जुड़ीं जानकारियों को प्रस्तुत कर जागरुकता लाने का प्रयास करता है। जहाँ महिलाओं के लिए डॉक्टर न हो यह भाग उन स्थितियों से जुड़ीं सभी जानकारियों को देता है जिनमें महिलाओं के लिए किसी डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है। महिलाओं के जीवन में आने वाली इन स्वास्थ्य समस्याओं का उल्लेख एवं उनके उपाय प्रशिक्षित लोगों द्वारा दिए गए हैं। जीवनशैली के विकार : भारतीय परिदृश्य आधुनिक विज्ञान ने उन्नत स्वच्छता, टीकाकरण और एंटीबायोटिक्स तथा चिकित्सकीय सुविधाओं के माध्यम से अनेक संक्रामक बीमारियों से सामान्यत: होने वाले मृत्यु के खतरे को कम कर दिया है। इसी क्रम में यह भाग इस से जुड़ीं विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने का अवसर देता है।

समाज कल्याण एक लेख

twitter facebook YouTube RSS Google Plus Participate in Discussions होम (घर) / समाज कल्याण शेयर समाज कल्याण भारतीय संविधान की मुख्य विशेषता एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। सविंधान की प्रस्तावना और राज्य के नीति निर्देशक तत्वों से यह स्पष्ट है कि हमारा लक्ष्य सामाजिक कल्याण है। प्रस्तावना भारतीय लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक-न्याय सुरक्षित करने का वादा करती है। यहाँ दिये गये भारतीय संविधान के कुछ निम्नलिखित अनुच्छेद कल्याणकारी राज्य के बारे में बताते हैं: राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा— 1(1) राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था की, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्राणित करे, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा।(अनुच्छेद 38) सभी नागरिक, पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार है (अनुच्छेद 39ए)। कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि--राज्य, उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योग के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवनस्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक या सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा।(अनुच्छेद 43) कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार--राज्य अपनी आर्थिक सामनर्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।(अनुच्छेद 41) अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि--राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के, विशिष्टतया, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उसकी संरक्षा करेगा।(अनुच्छेद 46) इन निर्देशों से कल्याणकारी राज्य का दर्शन प्रदर्शित होता है। भारत आर्थिक योजना से अपने इस आदर्श को पूरा करने का प्रयास कर रही है। लगातार पंचवर्षीय योजनाओं और प्रगतिशील कानूनों से सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी कदम उठाये गये है जिससे आम आदमी लाभान्वित हुआ है। इन्हीं भावना के साथ, समान उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में विकासपीडिया पोर्टल भारतीय भाषाओं में विभिन्न अधिकारों,योजनाओं,कार्यक्रमों और महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से संबंधित संस्थाओं की नवीनतम,विश्वसनीय,राज्य-विशेष विषय सामग्री प्रस्तुत करता है। महिला और बाल कल्याण भारत सरकार का उद्देश्य ऐसी योजनाओं, नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करना है- जिससे विधानों/ कानूनी संशोधनों, मार्गदर्शनों एवं समन्वय द्वारा महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में काम कर रहे सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों को समर्थन मिल सके। यह भाग इससे जुड़े अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालता है। अनुसूचित जाति कल्याण भारत के संविधान में अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य कमजोर वर्गों के संरक्षण और सुरक्षा कई उपायों को अपनाया गया है| यह भाग इन सामाजिक समूहों के लिए स्थापित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग जैसे संवैधानिक निकाय संस्थाओं की जानकारी देता है। अनुुसूचित जनजाति कल्याण यह भाग देश की कुल आबादी का 8.14% और 15% क्षेत्रफल पर निवास करने वाले आदिवासियो के लिए संवैधानिक प्रावधानों की जानकारी देते हुए उनके विकास पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरुरत पर बल देता है। पिछड़ा वर्ग कल्याण भारत सरकार ने अपने नागरिकों को उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति के आधार पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रुप में वर्गीकृत किया है। यह भाग इनके पिछड़े वर्ग के कल्याण से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करता है। असंगठित क्षेत्र का कल्याण श्रम और रोजगार मंत्रालय ने असंगठित क्षेत्र में बुनकर, हैंडलूम कामगार, मछुआरे और मछुआरों और बीड़ी निकालने वाले जैसे रोज़गारों को शामिल करते हुए उनके कल्याण की सुनिश्चिता के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून 2008 से लागू किया जिसमें उनकी सामाजिक सुरक्षा से जुड़े अनेक पहलुओं को शामिल किया गया है। वित्तीय समावेशन एक पीढ़ी पहले की तुलना में आज की वित्तीय दुनिया बहुत जटिल है। इसका प्रभाव हमारे जीवन के प्रत्येक भाग पर हुआ है । इसी क्रम में विशेष रूप से ग्रामीण नागरिक उपभोक्ताओं को व्यापक वित्तीय उत्पाद और सेवाओं की जानकारी और उन तक पहुंच बनाने के लिए उन्हें सक्षम करने की जरुरत है। अल्पसंख्यक कल्याण भारत सरकार ने 29 जनवरी 2006 को अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों की दिशा में और अधिक ध्यान केंद्रित करने के दृष्टिकोण से और अल्पसंख्यकों को लाभान्वित करने के लिए समग्र नीति, नियोजन, समन्वय और विनियामक ढ़ांचे और विकास कार्यक्रमों की समीक्षा सुविधा के लिए को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय बनाया था। विकलांग व्यक्तियों का सशक्तीकरण सामाजिक न्याय तथा सशक्तीकरण मंत्रालय का विकलांगता विभाग, विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने का प्रयास करता है,इस भाग में विभाग द्वारा सशक्तीकरण के लिए चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागिरकों के कल्याण के लिए कार्यगत है एवं राज्य सरकारें एवं गैर सरकारी संगठन भी इस दिशा में अपना योगदान दे रहे हैं। इस भाग में इसकी जानकारी दी गई है। ग्रामीण गरीबी उन्मूलन ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विकास एवं कल्याण संबंधी कार्यकलापों का नोडल मंत्रालय होने के नाते, ग्रामीण विकास मंत्रालय देश के समग्र विकास की रणनीति में प्रमुख भूमिका निभाता है। शहरी गरीबी उन्मूलन यह भाग भारतीय राज्य व्यवस्था की संघीय संरचना में, आवास और शहरी विकास से संबंधित मामले भारत के संविधान द्वारा राज्य सरकारों को सौंपे गए मामलों और संविधान (74वें संशोधन) अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों को दिये गये अधिकारों के साथ शहरी गरीबी के उन्मूलन के लिए किये जा रहे कार्यों की जानकारी देता है। गैर सरकारी संगठन-स्वैच्छिक क्षेत्र स्वैच्छिक क्षेत्र ने जागरूकता बढ़ाने, सामाजिक एकजुटता, सेवा वितरण, प्रशिक्षण, और अनुसंधान के अभिनव समाधानों के माध्यम से गरीबी, अभाव, भेदभाव को समाप्त करने का खोजने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वैच्छिक क्षेत्र लोगों और सरकार के बीच एक प्रभावी गैर राजनीतिक कड़ी के रूप में कार्य कर रहा है। आपदा प्रबंधन यह भाग आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के साथ आपदा प्रबंधन की शीर्ष संस्था और विभिन्न आपदाओं में लोग बचाव करने की पूर्व जरुरी तैयारी की जानकारी देता है। सामाजिक जागरुकता सामाजिक जागरुकता के अंतर्गत महिला सशक्तीकरण से लेकर बाल विवाह,कन्या भ्रूण हत्या, जादू टोना एवं मानव व्यापार आदि जैसे समसामयिक समस्याओँ के कारण के साथ उनके निदान के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी गई है। सामाजिक सुरक्षा यह विषय सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं भोजन का अधिकार,आवास सुरक्षा,रोजगार,पेंशन एवं मातृत्व लाभ आदि की जानकारी देता है। 

प्राथमिक शिक्षा

शिक्षा प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा ऐसा आधार है जिसपर देश तथा इसके प्रत्येक नागरिक का विकास निर्भर करता है। हाल के वर्षों में भारत ने प्राथमिक शिक्षा में नामांकन, छात्रों की संख्या बरकरार रखने, उनकी नियमित उपस्थिति दर और साक्षरता के प्रसार के संदर्भ में काफी प्रगति की है। जहाँ भारत की उन्नत शिक्षा पद्धति को भारत देश के आर्थिक विकास का मुख्य योगदानकर्ता तत्व माना जाता है, वहीं भारत में आधारभूत शिक्षा की गुणवत्ता फिलहाल एक चिंता का विषय है। भारत में 14 साल की उम्र तक के सभी बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना संवैधानिक प्रतिबद्धता है। देश के संसद ने वर्ष 2009 में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम' पारित किया था जिसके द्वारा 6 से 14 साल के सभी बच्चों के लिए शिक्षा एक मौलिक अधिकार हो गई थी। हालांकि देश में अभी भी आधारभूत शिक्षा को सार्वभौम नहीं बनाया जा सका है। इसका अर्थ है बच्चों का स्कूलों में सौ फीसदी नामांकन और स्कूलिंग सुविधाओं से लैस हर घर में उनकी संख्या को बरकरार रखना। इसी कमी को पूरा करने हेतु सरकार ने वर्ष 2001 में सर्व शिक्षा अभियान योजना की शुरुआत की थी, जो अपनी तरह की दुनिया में सबसे बड़ी योजना थी। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में सूचना व संचार प्रौद्योगिकी शिक्षा क्षेत्र में वंचित और संपन्न समुदायों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, के बीच की दूरी पाटने का कार्य कर रहा है। भारत विकास प्रवेशद्वार ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत में मौलिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण हेतु प्रचुर सामग्रियों को उपलब्ध कराकर छात्रों तथा शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने की पहल की है। बाल अधिकार बाल अधिकार आज के समय की सबसे बड़ी और उभरती हुई जरुरत है, जिसके बारे में लोगों में जानकारी का अभाव है। इस भाग में ऐसे कई बाल अधिकारों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रण का उद्देश्य बच्चों के बाल अधिकारों का हनन होने से रोकना और उनके अधिकार सुरक्षित करना है। नीतियां और योजनाएं 6 से 14 साल की उम्र के बीच के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। इस 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुच्छेद 21 ए जोड़ा गया और इसे कार्यान्वित करने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी इस भाग में दी गई है। बाल जगत मल्टीमीडिया सामग्री के विभिन्न भाग विज्ञान खंड आदि रचनात्मक सोच और सीखने की प्रक्रिया में बच्चों में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं। इसी तरह के अन्य उदाहरणों को इस भाग में प्रस्तुत किया गया है। शिक्षक मंच शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया की अनेक महत्वपूर्ण बातें शिक्षार्थी जीवन में इस प्रक्रिया की उपयोगिता सिद्ध करती हैं। विभिन्न कौशल के साथ शिक्षक की विद्यार्थी के व्यवहार और सीखने के अनुभव के साथ समग्र विकास में किस तरह भूमिका होती है- इसकी संक्षिप्त जानकारी यह भाग देता है। ऑनलाइन मूल्यांकन यह भाग ऑनलाइन मूल्यांकन के अंतर्गत वेब संसाधनों और स्त्रोत की सहायता से गणित,विज्ञान,भूगोग की स्वमूल्यांकन प्रक्रिया को दर्शाते हुए राज्य,उनकी राजधानियों और भारत के नदियों के नाम और उनकी विशेषताओं के बारे में जानने का अवसर देता है। शिक्षा की ओर प्रवृत करने की पहल इस भाग में बहुप्रतिभा सिद्धांत की व्याख्या करते हुये बुद्धि के विभिन्न प्रकार (शाब्दिक,तार्किक आदि) के बारे में गार्नर के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत को प्रस्तुत किया गया है। यह भाग बताता है कि प्रत्येक व्यक्ति की सीखने की शैली,शिक्षा में इसके उपयोग के साथ स्कूल में बहु-प्रतिभा सिद्धान्त अपनाने के अनेक लाभ हैं। कैरियर मार्गदर्शन कैरियर में मार्गदर्शन से भविष्य को बेहतर तरीके से आकार देने में मदद मिलती है। यह भाग पाठकों को उपलब्ध विभिन्न अध्ययन और 10 वीं कक्षा, स्नातक के बाद मिलने वाले रोजगार के अवसरों की जानकारी के साथ इससे जुड़ीं अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने का अवसर देता है। कंप्यूटर शिक्षा इस भाग के विभिन्न विषय आपकी सूचना और प्रौद्योगिकी की जानकारी में इज़ाफा करते हुए उसके माध्यम से क्षमता निर्माण में उसके द्वारा होने वाले महत्वपूर्ण योगदान की जानकारी देते हैं। संसाधन लिंक यह भाग शिक्षा क्षेत्र में उपयोगी सरकारी,वैश्विक संसाधन,प्रशिक्षण एवं आदान-प्रदान योग्य संसाधन,बाल अधिकार व प्रचार संसाधन आदि की जानकारी देते हुए और शिक्षा समाचार स्त्रोत की उपयोगिता बताते हुए इस क्षेत्र में कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों को भी जानने का अवसर देता है। चर्चा मंच शिक्षा का चर्चा मंच शिक्षा से जुड़े विभिन्न विषयों पर आपको अपने विचारों को प्रस्तुत करने के साथ अन्यों के साथ अपने विचारों और सूचनाओं को आदान-प्रदान करने का अवसर भी देता है।  Dinesh Prajapat Mar 06, 2017 03:17 PM

भारत मे दोमट मिट्टी की एक परिचय

twitter facebook YouTube RSS Google Plus Participate in Discussions होम (घर) / कृषि / सर्वोत्कृष्ट कृषि पहल / राज्यों में सर्वोत्कृष्ट कृषि पहल / जैविक खेती / उत्तराखंड में जैव विविधता आधारित जैविक कृषि / कृषि योग्य मिट्टी-एक संक्षिप्त परिचय शेयर Views ब्यू संपादन Suggest योगदानकर्ता अवस्था संपादित करने के स्वीकृत कृषि योग्य मिट्टी-एक संक्षिप्त परिचय CONTENTS परिचय सतही मिट्टी बनाम अवमिट्टी पादप वृद्धि हेतु आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी के अवयव खनिज मिट्टी का आयतनात्मक संगठन खनिज मिट्टी का भारात्मक संगठन मिट्टी की अम्लीयता व क्षारीयता (पी०एच०) मिट्टी की संरचना एवं गठन भारत की मिट्टियाँ परिचय मिट्टी-भूमि की सतही परत होती है जो पृथ्वी के भू-भाग के एक पतले आवरण के रूप में ढकती है और जल एवं वायु क उपयुक्त मात्रा मिलने पर सभी पौधों के आधार एवं जीविका प्रदान करती है| मिट्टी प्राक्रतिक खनिज पदार्थों और कार्बिनक पदार्थों के सड़ने एवं प्राकृतिक प्रक्रियाओं के प्रभाव से विकसित हुई है| मिट्टी एक प्रकार से जीवंत संरचना है| मिट्टी का जन्म जैविक पदार्थों एवं चट्टानों से होता है और यह परिपक्व अवस्था में पहुँच कर कई प्रकार की परतों के रूप में विकसित होती है| जीवित पदार्थों के समान, मिट्टी का भी धीरे-धीरे विकास होता है| मिट्टी में पौधे तथा जंतु निरंतर सक्रिय रहते हैं जिससे इसमें लगातार परिवर्तन होता रहता है इसलिए मिट्टी को एक गतिशील कार्बिनक एवं खनिज पदार्थों का एक प्राकृतिक समुच्चय भी कहते है| मिट्टी में पाए जाने वाले जीव एवं सूक्ष्म जीव मिट्टी के विशेष कार्यों को प्रभावित करते हैं| सतही मिट्टी बनाम अवमिट्टी मिट्टियों की गहराई कुछ इंचों से लेकर सैंकड़ों तथा कभी-कभी हजारों फीट तक होती है| कृषि योग्य मिट्टी में कृषि कार्यों जैसे जुताई, गुड़ाई करने से मिट्टी की ऊपरी सतह की कुछ इंचों में परिवर्तन होता है| इन क्रियाओं के फलस्वरूप मिट्टी में दो स्पष्ट परतें बनती हैं| मिट्टी की ऊपरी परत जिसमें कृषि करते समय औजार तथा यंत्र आदि चलाते हैं, सतही मिट्टी कहलाती है| सतही मिट्टी लगभग 6 इंच गहरी होती है और अपेक्षाकृत अधिक भुरभुरी तथा गहरे रंग की होती है| सतही मिट्टी में पौधों की जड़ों की संख्या अधिक होती है| मिट्टी में कार्बिनक पदार्थ एवं पौधों को जीवन प्रदान करनेवाले पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक पाई जाती है साथ ही साथ इसमें सूक्ष्म जीवों की संख्या और रासायनिक एवं जैविक क्रियाएँ भी अधिक होती है| सतही मिट्टी के नीचे की परत को अवमिट्टी कहा जाता है जिस की गहराई कुछ इंच से लेकर सैकड़ों फीट तक हो सकती है| इस परत को कणों की संरचना के आधार पर तीन भागों में बाँटा गया है| यह सतही मिट्टी की अपेक्षा हल्के रंग की तथा सख्त होती है| इसमें महीन कणों एवं लवणों की मात्रा एक समान होती है| अवमिट्टी सतही मिट्टी की अपेक्षा कम उपजाऊ होती अहि| एक सख्त अवमिट्टी में जल निकास उचित न होने पर जल भराव हो जाता है जिससे मिट्टी में हवा की कमी होने से फसलों एवं पेड़-पौधों की वृद्धि बुरी तरह प्रभावित होती है| मिट्टी, पादप वृद्धि का एक माध्यम पौधों की वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया :- जलवायु कारक जैव कारक मिट्टी कारक मिट्टी के सभी भौतिक, रासायनिक और जैविक गुण और मिट्टी में होने वाली सभी प्रक्रियाएं मिट्टी से पौधों को खनिज तत्व एवं जल प्रदान करने की क्षमता को प्रभावित करती है| वास्तव में मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए लगभग सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम है| पादप वृद्धि हेतु आवश्यक पोषक तत्व सभी पौधों को पानी वृद्धि के लिए मुख्यतः 20 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जैसे कि: कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर तथा अन्य सूक्ष्म तत्व आयरन, बोरोन, मैगनीज, कॉपर, जस्ता, मोलिबिडीनम, सोडियम, क्लोरीन, तथा सिलिकॉन आदि| पौधों को नाइट्रोजन मिट्टी एवं हवा दोनों से प्राप्त होती है| वायु एवं जल से पौधों को कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन प्राप्त होती है| जल मिट्टी का एक प्रमुख अंग है जो आवश्यक पोषक तत्वों को पौधों द्वारा ग्रहण करने हेतु मुख्य विलयक के रूप में सर्वाधिक मात्रा में पौधों द्वारा ग्रहण किया जाता है| मिट्टी के अवयव कृषि योग्य मिट्टी में तीन अवस्थाएँ पाई जाती हैं ठोस, द्रव एवं गैस, पौधों को खाद्य तत्व प्रदान करने में केवल ठोस एवं द्रव अवस्थाएँ ही महत्वपूर्ण हैं| मिट्टी के आयतन का लगभग 50% भाग ठोस पदार्थों से घिरा होता है तथा शेष भाग में रन्ध्र होते हैं| जिसमें जल एवं वायु उपस्थित होती हैं, इस प्रकार मिट्टी के मुख्य अवयव खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ और जल एवं वायु हैं| खनिज मिट्टी का आयतनात्मक संगठन वायु शुष्क मिट्टी में आयतनानुसार 45-50% खनिज पदार्थ, लगभग 40% वायु, 5-10% जल और 5% कार्बनिक पदार्थ होते हैं| सिल्ट में आयतनात्मक संगठन हवा 25% जल 25% जैविक कार्बन 5% खनिज पदार्थ 45% खनिज मिट्टी का भारात्मक संगठन एक घनफुट मिट्टी में 31 कि० ग्रा० खनिज पदार्थ, 6.5 कि० ग्रा० जल, 1.2 कि० ग्रा० जीवांश पदार्थ 1.6 कि० ग्रा० वायु होती है| अधिकांश मिट्टियों की ऊपरी परत में भार के अनुसार 1-6% कार्बनिक मिट्टी होता है, यह मिट्टियों में पौधों एवं पशुओं के अवशेषों से प्राप्त होता है| कार्बनिक मिट्टी में पौधों के अवशेष लगातार मिलते रहते हैं| जैविक पदार्थों के मिट्टी में जीवों द्वारा विघटन की प्रक्रियाओं से ह्यूमस बनता है, ह्यूमस का रंग प्रायः काला या बादामी होता है इसमें जल एवं पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता अधिक होती है| मिट्टी की अम्लीयता व क्षारीयता (पी०एच०) मिट्टी के पी०एच० मान द्वारा अम्लीयता व क्षारीयता का ज्ञान होता है मिट्टी को पी०एच० मान द्वारा तीन भागों में बाँटा गया है अम्लीय मिटटी, क्षारीय मिट्टी एवं उदासीन मिट्टी| है अम्लीय मिटटी विलयन में विभिन्न तत्व आयन्स के रूप में होते हैं जैसे H, NO3, SO4 तथा क्षारीय आयन्स OH,CA++, Mg++, Na+, H+ आदि तत्व पाए जाते हैं| यदि मिट्टी में हाइड्रोक्साइड आयन्स (OH) के सान्द्रण से अधिक होता है तो मिट्टी अम्लीय बनती है और अगर आयन्स (OH) के सान्द्रण हाइड्रोजन आयन्स (H) से अधिक होता है तो मिट्टी क्षारीय बनती है| इसके विपरीत हाइड्रोजन आयन्स (H) एवं हाइड्रोक्साइड आयन्स (OH) समान मात्रा में होते हैं तो मिट्टी उदासीन बनती है| भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का पी०एच० मान द्वारा प्रायः 4 से 10 तक पाया गया है| पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली मिट्टियों प्रायः अम्लीय होती है और उनका पी०एच० मान-7.0 से कम होता है इन मिट्टियों का पी०एच० मान 4.0 से 6.8 तक होता है| क्षारीय मिट्टी का पी०एच० मान-7.5 से 10.0 तक होता है| उदासीन मिट्टी का पी०एच० मान-6.8 से 7.2 तक होता है| भारत में पाई जाने वाली कृषि योग्य मिट्टी का पी०एच० मान-6.8 से 7.5 तक अच्छा माना जाता है| उदासीन मिट्टी अम्लीय मिट्टी क्षारीय मिट्टी पी०एच० 7.5 6.0 6.5 7.0 7.5 8.0 8.5 पी०एच० अत्यधिक अम्लीय माध्यम अम्लीय हल्की अम्लीय सामान्य अम्लीय सामान्य अम्लीय हल्की अम्लीय माध्यम अम्लीय अत्यधिक अम्लीय मिट्टी की संरचना एवं गठन मिट्टी के खनिज कण विभिन्न आकार के होते हैं जो बालू, सिल्ट तथा क्ले कहलाते हैं| मिट्टी के कणों के आपसी अनुपात से मिट्टी की संरचना होती है| बालू , सिल्ट तथा क्ले के कणों के अनुपात के आधार पर मिट्टी को एक नाम दिया जाता है| इस प्रकार जो नाम दिया जाता है वह मिट्टी की संरचना एवं गठन के अतिरिक्त मिट्टी के गुणों को भी दर्शाता है| जैसे बलुई मिट्टी और दोमट मिट्टी आदि| कणों के आकार के आधार पर मिट्टी का नामकरण समान्यतः निम्नवत किया जाता है| क्रम सं. मिट्टी के प्रकार कण का व्यास (मि० मी०) 1 मोटी बालू 2.0- 0.20 2 महीन बालू 0.2- 0.02 3 सिल्ट 0.02 - 0.002 4 क्ले 0.002 से कम भारत की मिट्टियाँ भारत में पच्चीस प्रकार के खेती योग्य मृदायें जाती हैं| इनमें से मुख्य मृदाओं का विवरण निम्नवत हैं: दोमट मिट्टी- ये भारत के सबसे महत्वपूर्ण और उपजाऊ मिट्टी है| भारत में इन मिट्टियों का क्षेत्रफल लगभग 300.000 वर्ग मील है| ये मिट्टियाँ-पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम की सुरमाघाटी तथा ब्रह्मापुत्र, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, और मध्य प्रदेश में नर्मदा, ताप्ती नदियों की सम्पूर्ण घाटियों में पाई जाती है| इस मिट्टी का रंग गहरा भूरा या भूरा होता है तथा इस मिट्टी में क्ले की मात्रा अधिक पायी जागी है| यह मिट्टी अधिकांशतः बलुई दोमट या भुरभुरी होती है| इस मिट्टी का पी०एच० मान-6.8 से 7.5 तक पाया जाता है तथा मिट्टी में कभी-कभी नाइट्रोजन की कमी पायी जाती है| किन्तु अन्य मृदाओं की अपेक्षा इसमें फास्फोरस की मात्रा पर्याप्त होती है तथा पोटाश की मात्रा 0.1 से 0.35% पाई जाती है| ये मिट्टी –गेंहूँ, कपास, मक्का, चना ज्वार, बाजरा, तेलीय बीजों, गन्ना, सब्जियाँ तथा विभिन्न प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त होती है| कपास की काली मिट्टी यह भारतीय मिट्टी का दूसरा प्रमुख समूह है इनका क्षेत्रफल लगभग 2,00,000 वर्ग मील है| ये दक्षिण भारत में दक्षिणी आधे भाग, दक्कन के पठार, महाराष्ट्र के एक बड़े भाग, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश के पशिचमी भाग, उत्तरप्रदेश में काली मिट्टी गंगा नदी के निचले क्षेत्रों में तथा तमिलनाडु के कुछ भागों में फैली हुई है| इस मिट्टी का रंग काला होता है जो टिटेनीफेरस मेगनेटाइट की उपस्थिति के कारण होता है तथा गीली मिट्टी चिपचिपी होती है| गर्मियों में जल के अधिक मात्रा में वाष्पीकरण होने से इनमें सिकुड़न होने लगती है| जिससे बड़ी-बड़ी तथा गहरी दरारें पड़ जाती हैं| इस मिट्टी में लोहा मन्टमोरिलोनाइट तथा वीडेलाइट समूह की मात्र अधिक मात्र अधिक पाई जाती है इस मिट्टी में चूना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जबकि पोटेशियम व फास्फोरस की मात्रा भी काफी होती है| इस मिट्टी का पी०एच० मान-8.5 से 9.0 तक पाया जाता है| इसमें कार्बनिक पदार्थ कम तथा क्ले की मात्रा 35-50% तक पाई जाती है| इस मिट्टी में कपास की अच्छी फसल होती इसके अलावा, ज्वार, बाजरा, गेंहूँ, धनिया, प्याज, तम्बाकू, सब्जियाँ तथा नीबू वर्गीय फलों की अच्छी पैदावार होती है| लाल मिट्टी भारत में लाल एवं पीली मिट्टी का क्षेत्रफल लगभग 2,00,000 वर्ग मील है| ये मिट्टी मैसूर, उड़ीसा, बम्बई प्रान्त के दक्षिण-पूर्वी भाग, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के पूर्वी भाग, राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों तथा तमिलनाडु में लगभग दो तिहाई कृषि क्षेत्र में पाई जाती है| इनकी उत्पत्ति ग्रेनाइट तथा सिल्ट आदि खनिजों से हुई है| इन में अपघटन ऑक्साइड खनिज की मात्रा अधिक होती है तथा क्ले भाग में केओलीनाइट की मात्रा की मात्रा भी अधिक पाई जाती है| इस मृदा का पी०एच० मान-6.0 से 7.5 तक पाया जाता है तथा इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, कैल्सियम व कार्बनिक पदार्थ की कमी पाई जाती है इस मिट्टी में सिंचाई का उचित प्रबंध होने पर दलहन, बाजरा, ज्वार, गेंहूँ तथा कपास की खेती की जा सकती है| शुष्क मिट्टी ये मृदायें शुष्क तथा अर्द्धशुष्क प्रदेशों में पायी जाती है| इस प्रकार की मिट्टी का का क्षेत्रफल लगभग 40,000 वर्ग मील है| इस प्रकार की मिट्टी राजस्थान के मरुस्थल, काठियावाड़, दक्षिणी पंजाब, तथा उत्तरप्रदेश के पशिचमी भाग में पायी जाती है| इन क्षेत्रों में वर्षा बहुत मात्रा कम मात्रा होती है| यहाँ की जलवायु शुष्क रहती है| इन क्षेत्रों में लीचिंग की अपेक्षा वाष्पीकरण अत्यधिक होता है जिससे मिट्टी में विलेय लवण ऊपर आ जाते हैं| इस प्रकार की मिट्टी का पी०एच० मान-0.8-9.5 तक पाया जाता है| मुख्य रूप से ये मृदायें बलुई होती हैं इनमें पानी तथा जीवांश पदार्थ सूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है और यह मिट्टी बहुत कम उपजाऊ होती है| इस प्रकार की मिट्टी में सिंचाई की उचित व्यवस्था होने पर ज्वार, बाजरा, ग्वार, लोबिया, मोठ, जई, जौ, चना, गेंहूँ सरसों आदि उगाई जा सकती है| स्रोत: उत्तराखंड राज्य जैव प्रौद्योगिकी विभाग; नवधान्य, देहरादून पृष्ठ मूल्यांकन (13 वोट)

युपी मे खत्म होगी BJP का वनवास 251-279 सिटे बता रही है एक्जीटपोल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सात चरणों में पूरा हो चुका है. गुरुवार को एग्जिट पोल के नतीजे आए. इंडिया-टुडे-एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल नतीजों के मुताबिक, यूपी में कमल खिल सकता है. बीजेपी न केवल सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है बल्कि उसे पूर्ण बहमुत भी मिल सकता है. बता दें कि 2012 चुनाव में 59.40 % प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जबकि इस बार चुनावों में वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 60.03% पहुंच गया. अब इंतजार 11 मार्च को होने वाली मतगणना का. आपको यह भी बता दें कि यूपी में सरकार बनाने के लिए पार्टियों को 202 सीटें हासिल करनी होंगी. ये हैं एग्जिट पोल के आंकड़े बीजेपी+सहयोगी: बीजेपी (241-265), अपना दल (6-8), एसबीएसपी (4-6)- कुल (251-279) सपा+कांग्रेस: सपा (78-97), कांग्रेस (10-15)- कुल (88-112) बीएसपी: 28-42 आरएलडी: 2-5 अन्य: 4-11 एग्जिट पोल के मुताबिक चुनावों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को कुल 36 प्रतिशत वोट मिले. जबकि सपा और कांग्रेस के पक्ष में महज 30 फीसदी. मायावती की बीएसपी के पक्ष में जनता ने 22 फीसदी मतदान किया जबकि अन्य को कुल 12 प्रतिशत वोट मिले आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 15.21 प्रतिशत ही वोट मिले थे. मतलब इन चुनावों में बीजेपी को मोदी लहर का फायदा होता नजर आ रहा है उसके वोट शेयर में गुणात्मक वृद्धि उसी का नतीजा हैं. सपा को 2012 में हुए विधानसभा चुनावों में कुल 29.29 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस को 13.26 फीसदी. मतलब साफ है कि इस बार यूपी की जनता ने सपा-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में कुछ कम मतदान किया. मायावती का जादू इन चुनावों में भी नहीं चला, पिछले चुनावों में बीएसपी को कुल 25.95 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि इन चुनावों में 22 फीसदी. इंडिया-टुडे-एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल (चरणवार) प्रथम चरण (73 सीट): बीजेपी ने मारी बाजी बीजेपी: 50 सपा-कांग्रेस: 7 बीएसपी: 7 अन्य: 2 कड़ा मुकाबला: 7 सीटों पर दूसरा चरण (67 सीट): गठबंधन ने बनाई बढ़त बीजेपी: 21 सपा-कांग्रेस: 30 बीएसपी: 3 अन्य: 0 कड़ा मुकाबला: 13 सीटों पर तीसरा चरण (69 सीट): बीजेपी आगे बीजेपी: 39 सपा-कांग्रेस: 15 बीएसपी: 8 अन्य: 0 कड़ा मुकाबला: 7 सीटों पर चौथा चरण (53 सीट): बीजेपी आगे बीजेपी: 37 सपा-कांग्रेस: 5 बीएसपी: 0 अन्य: 4 कड़ा मुकाबला: 7 सीटों पर पांचवा चरण (52 सीट): बीएसपी को सिर्फ एक सीट बीजेपी: 26 सपा-कांग्रेस: 12 बीएसपी: 1 अन्य: 0 कड़ा मुकाबला: 13 सीटों पर छठवां चरण (49 सीट): बीजेपी सबसे आगे बीजेपी: 34 सपा-कांग्रेस: 8 बीएसपी: 5 अन्य: 0 कड़ा मुकाबला: 2 सीटों पर सातवां चरण (40 सीट): बीजेपी सबसे आगे बीजेपी: 34 सपा-कांग्रेस: 1 बीएसपी: 2 अन्य: 2 कड़ा मुकाबला: 1 सीटों पर टाइम्स नाउ: बीजेपी को बहुमत टाइम्स नाउ-वीएमआर के सर्वे के मुताबिक यूपी बीजेपी में 210 से 230 सीटें मिल सकती हैं. चुनावों में सपा-कांग्रेस गठबंधन को 110 से 130 सीटें मिलने का अनुमान बताया जा रहा है. वहीं, बीएसपी को सिर्फ 67 से 74 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है. एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार यूपी में अन्य को 8 सीटें मिल सकती हैं. सर्वे के मुताबिक पश्चिम यूपी, अवध, रुहेलखंड, बुंदेलखंड और पूर्वी यूपी के अधिकतर हिस्सों में बीजेपी बढ़त बनाती दिख रही है. न्यूज एक्स चैनल: बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी न्यूज एक्स चैनल के मुताबिक किसी पार्टी को यूपी में पूर्ण बहुमत नहीं मिल रहा है. हालांकि जादुई नंबर (202) के सबसे नजदीक बीजेपी ही पहुंचती नजर आ रही है.बीजेपी: 185सपा-कांग्रेस: 120 बीएसपी: 90 अन्य: 08 एबीपी: बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन में कांटे की टक्कर न्यूज चैनल एबीपी के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में पूर्ण बहुमत किसी पार्टी को मिलता नजर नहीं आ रहा है. हालांकि सबसे बड़ी पार्टी बनकर बीजेपी ही उभर रही है. बीजेपी: 164-176सपा-कांग्रेस: 156-169बीएसपी: 60-72अन्य: 2-6 पहला चरण: बीजेपी को बढ़त (15 जिलों की 73 सीट) बीजेपी को पहले फेज में बढ़त मिल रही है. पहले चरण में 73 सीटों में से बीजेपी को 33-39 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, सपा को 20-26 सीटें ही मिलेंगी. बसपा को 12-16 सीटें से ही संतोष करना पड़ेगा. जबकि अन्य को 0-2 सीटें मिल सकती हैं. दूसरा चरण: सपा निकली आगे (11 जिलों की 67 सीट)बीजेपी: 15-21सपा-कांग्रेस: 37-43बीएसपी: 7-11अन्य: 0-2 तीसरा चरण: सपा-बीजेपी में कांटे की टक्कर (12 जिलों की 69 सीट)बीजेपी: 27-33सपा-कांग्रेस: 25-31बीएसपी: 9-13अन्य: 0-2 चौथा चरण: बीजेपी ने मारी बाजी (12 जिलों की 53 सीट)बीजेपी: 27-33सपा-कांग्रेस: 16-22 बीएसपी: 2-6अन्य: 0-2 पांचवा चरण: गठबंधन ने मारी बाजी (11 जिलों की 52 सीट)बीजेपी: 14-20सपा-कांग्रेस: 21-27 बीएसपी: 8-12अन्य: 0-2 छठवां चरण: बीजेपी को बढ़त (7 जिलों की 49 सीट)बीजेपी: 18-24सपा-कांग्रेस: 14-20बीएसपी: 8-12अन्य: 0-2 सातवां चरण: बीजेपी ने मारी बाजी (7 जिलों की 40 सीट)बीजेपी: 15-21सपा-कांग्रेस: 9-15बीएसपी: 6-8 अन्य: 0-2 इंडिया टीवी: बीजेपी सबसे आगे इंडिया टीवी-सी वोटर्स के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिल रहा है. हालांकि बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखाया जा रहा है. बीजेपी: 155-167 एसपी-कांग्रेस: 135-147 बीएसपी: 81-93 आपको बता दें कि पिछली विधानसभा चुनावों में जनता ने अखिलेश को सत्ता सौंपी थी. 2012 के चुनावों में सपा 224, बीएसपी को 80, बीजेपी को 47 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं जबकि 24 सीटों पर अन्य दल और निर्दलीय पत्याशियों को मिली थीं. आपको यह भी बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ 6 निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे

उत्तर प्रदेश मे सुनामी भगवा परचम सभी हुए मोदी मय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए समर्थन के सुनामी पर सवार बीजेपी उत्तर प्रदेश के किले पर भगवा फहराती दिख रही है. उत्तर प्रदेश के चुनावी इतिहास में सबसे शानदार जीतों में से एक बीजेपी हासिल करती नजर आ रही है. इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस-माय-इंडिया के चुनाव उपरांत विश्लेषण के मुताबिक बीजेपी उत्तर प्रदेश में विस्मयकारी ढंग से 251-279 सीट पर जीत हासिल करने जा रही है. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को महज 88-112 सीट पर जीत हासिल होगी. जहां तक बीएसपी का सवाल है तो उसके लिए अनुमान बहुत निराशाजनक हैं. बीएसपी को सिर्फ 28-42 सीट पर ही जीत मिती दिख रही है. बीजेपी के लिए उत्तराखंड से भी अच्छी खबर आती दिख रही है. यहां 70 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 46 से 53 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान है. बीजेपी गोवा में भी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर कर आती दिख रही है लेकिन बहुमत से दूर रह सकती है. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बीजेपी को 18-22 सीट पर जीत मिल सकती है. कांग्रेस के लिए पंजाब और मणिपुर से राहत की खबर है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के सरकार बनाने का अनुमान है. एक्सिस-माय-इंडिया के अनुमान के मुताबिक पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी से मिली कड़ी चुनौती से पार पाने में सफल होती दिख रही है. 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में कांग्रेस को 62 से 71 सीट मिलने का अनुमान है. पहली बार पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए उतरी आम आदमी पार्टी भी शानदार दमखम दिखाते हुए 42 से 51 सीट हासिल करती दिख रही है. सत्तारूढ़ अकाली दल-बीजेपी गठबंधन का प्रदेश से लगभग सफाया होता दिख रहा है. गठबंधन को सिर्फ 4 से 7 सीट मिलने का अनुमान है. एक्सिस-माय-इंडिया के चुनाव उपरांत निष्कर्षों का गहराई से अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि बीजेपी यूपी में कगार पर पहुंचने के बाद जीत को छीनती दिखाई दे रही है. यूपी में पहले चरण के मतदान से पहले एक्सिस ने जो आखिरी ओपिनियन पोल किया था उसके मुताबिक बीजेपी के प्रदर्शन का ग्राफ गिरता और एसपी-कांग्रेस गठबंधन का उठता दिखाई दे रहा था. यूपी में पहले चरण के चुनाव से पहले हवा का रुख अखिलेश के समर्थन में बहता दिख रहा था. लेकिन युवा मुख्यमंत्री को लगता है दोहरी बाधा ने नुकसान पहुंचाया. अखिलेश ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल की लड़ाई जीतने के बाद भी शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव से खुद को अलग नहीं किया. साथ ही उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिला लिया. ये दोनों बातें ही मुख्यमंत्री के लिए पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसी दिख रही हैं. एक्सिस पोल संकेत देता है कि अगर समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाया होता और अखिलेश की सकारात्मक छवि के सहारे अकेले ही चुनावी मैदान में ताल ठोकती तो बेहतर कारगुजारी दिखाती. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक कांग्रेस ने जिन 114 सीट पर चुनाव लड़ा उनमें से सिर्फ 10-15 पर ही जीत हासिल करने जा रही है. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी को खुद 78-97 सीट पर जीत मिलने का अनुमान है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में जिस तरह टिकटों का बंटवारा किया था उस पर उन्हें स्थानीय नेताओं से आलोचना सुननी पड़ी थी. लेकिन एक्सिस-माय-इंडिया के अनुमान के मुताबिक बीजेपी के मास्टर रणनीतिकार के लिए उत्तर प्रदेश फिर भाग्यशाली रणक्षेत्र साबित होने जा रहा है. दिल्ली और बिहार में बड़ी हार झेलने के बाद यूपी में शानदार जीत ये साबित करने के लिए काफी होगी कि क्यों अमित शाह को बीजेपी का नंबर वन चुनाव रणनीतिकार माना जाता है. पोल आंकड़ों के मुताबिक यूपी में बीजेपी की संभावित शानदार जीत के सबसे बड़े कारणों में से एक गैर यादव ओबीसी वोटों को चट्टान की तरह बीजेपी के साथ जोड़ना रहा है. जो नजर आता है वो ये है कि गैर यादव ओबीसी मतदाताओं ने खुद को समाजवादी पार्टी के शासन में उपेक्षित महसूस किया. ऐसे में इन मतदाताओं का एकजुट होकर बीजेपी के पाले में जाना बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के कारणों में से एक हो सकता है. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक बीजेपी 57 फीसदी कुर्मी वोट, 63 फीसदी लोध वोट और बाकी गैर यादव ओबीसी वोटों में से 60 फीसदी हासिल करने जा रही है. इनमें से अधिकतर जातियों ने पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी का समर्थन किया था. यही वजह थी कि समाजवादी पार्टी ने 2012 विधानसभा चुनाव में अपने बूते बहुमत हासिल किया था. अमित शाह का एक ये भी मास्टरस्ट्रोक रहा कि उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी में बीजेपी के प्रदेश प्रमुख के तौर पर प्रोजेक्ट किया. मौर्य की इस प्रोन्नति से पार्टी गैर यादव ओबीसी मतदाताओं को ये संदेश देने में सफल रही कि अगर बीजेपी यूपी में जीतती है तो उन्हें भी सत्ता में बड़े पैमाने पर भागीदारी मिलेगी. साथ ही बीजेपी इस छवि को तोड़ने में भी सफल रही कि वो सवर्णों या बनियों के प्रभुत्व वाली पार्टी है. अगर एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित होते हैं तो केशव प्रसाद मौर्य यूपी के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए अग्रणी दावेदार होंगे. पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय को लुभाने के लिए जी-तोड़ प्रयास और कुर्मियों के प्रभुत्व वाले अपना दल से गठबंधन करना बीजेपी के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता नजर आ रहा है. इससे बीजेपी ने सवर्णों और गैर यादव ओबीसी का जो इंद्रधनुषी गठजोड़ तैयार किया वो यूपी में बड़ी जीत का आधार बनता नजर आ रहा है. एक्सिस-माय-इंडिया के अनुमान दिखाते हैं कि कांग्रेस से गठबंधन करना समाजवादी पार्टी के लिए किसी भी लिहाज से सही साबित नहीं हुआ. एसपी-कांग्रेस गठबंधन के खाते में मुस्लिमों के 70 फीसदी वोट जाते दिख रहे हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी को कांग्रेस से गठबंधन किए बिना भी मुस्लिमों के इतने ही वोट मिलते रहे हैं. एसपी-कांग्रेस गठबंधन को यादवों के 80 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. ये उससे थोड़ा ज्यादा है जो एक्सिस ओपिनियन पोल ने दिसंबर 2016 में दिखाया था. यद्यपि ये दिखता है कि अखिलेश विकास के क्षेत्र में अपने कार्यों को वोटों में तब्दील करने में सफल नहीं हो पाए. ना ही वो अपनी युवा अपील को अन्य समुदायों में वोटों की शक्ल में भुना पाए. युवाओं को लुभाने में एसपी-कांग्रेस गठबंधन ने कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन सभी आयु-वर्गों में वो बीजेपी से पिछड़ता नजर आ रहा है. युवा वोटरों का 34 फीसदी हिस्सा बीजेपी के खाते में जाता दिख रहा है. वहीं गठबंधन 31 फीसदी युवा वोटरों का समर्थन ही पाता नजर आ रहा है. बीएसपी को इस चुनाव में सबसे करारा झटका लगता दिख रहा है. ये स्थिति तब है जब पार्टी ने सबसे पहले टिकटों का बंटवारा किया था. मायावती अपनी पार्टी बीएसपी की गाड़ी पर अन्य समुदायों के वोटरों को चढ़ाने में पूरी तरह नाकाम होती नजर आ रही हैं. मायावती सिर्फ जाटव समुदाय में ही अपनी मजबूत पैठ बरकरार रखने में सफल रहीं. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक बीएसपी को 77 फीसदी जाटवों का समर्थन मिलता दिख रहा है. लेकिन गैर जाटवों पर बीजेपी की पकड़ तेजी से फिसलती जा रही है. एक्सिस पोल से संकेत मिलता है कि सिर्फ 43 फीसदी गैट जाटव ही बीएसपी का साथ देते दिख रहे है. वहीं बीजेपी को गैर जाटवों का बड़ा हिस्सा यानि 32 फीसदी मिलता दिख रहा है. बीएसपी की तालिका गिरकर 28-42 रह जाती है तो इस दलित पार्टी का अस्तित्व बने रहने पर ही कई सवालिया निशान लग सकते हैं. लगातार दो चुनावों में सत्ता से बाहर रहने से मायावती को अपने वोट बैंक को साथ जोड़े रखना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. एक्सिस-माय-इंडिया के आंकड़ों का जातिगत विश्लेषण किया जाए तो लगता है नोटबंदी के मुद्दे की वजह से बीजेपी से उसके पारंपरिक वोटर कोई खास विमुख नहीं हुए. बीजेपी को बनिया वोट का 64 फीसदी हिस्सा मिलता नजर आ रहा है. सवर्णों में भी बीजेपी की पकड़ बरकरार दिखती है. एक्सिस के अनुमान के मुताबिक बीजेपी को कायस्थ वोटों का 55 फीसदी, ब्राह्मण वोटों का 62 फीसदी और ठाकुर वोटों का भी 62 फीसदी हिस्सा मिलता दिख रहा है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो नोटबंदी का बम फूटने से पहले भी इन समुदायों का इतना ही समर्थन बीजेपी को मिल रहा था. ऐसा लगता है कि नोटबंदी का जो नकारात्मक असर था भी उसे यूपी में समाजवादी पार्टी के शासन में कानून और व्यवस्था की बदहाली को लेकर नकारात्मक अवधारणा ने कहीं पीछे छोड़ दिया. अतीत में एग्जिट पोल्स गलत साबित होते रहे हैं. ऐसे में संभावना है कि एक्सिस-माय-इंडिया का एग्जिट पोल पूरी तरह सटीक साबित ना हो. लेकिन अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं तो 1985 के बाद ये पहली बार होगा कि देश में राजनीतिक दृष्टि से सबसे अहम राज्य में कोई पार्टी 250 सीटों का आंकड़ा पार करेगी. 1985 में उत्तर प्रदेश में, जब उत्तराखंड अलग नहीं हुआ था, एनडी तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 425 सदस्यीय विधानसभा में 269 सीट जीतने में कामयाबी पाई थी. नवंबर 2000 में उत्तराखंड के यूपी से अलग होने के बाद कोई भी पार्टी प्रदेश में अधिकतम 224 के आंकड़े को ही छू पाई. 2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतने में ही कामयाबी पाई थी. एक्सिस-माय-इंडिया के अनुमान के मुताबिक ही यूपी विधानसभा चुनाव की मतगणना के नतीजे आते हैं तो ये शानदार जीत मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भी धार देती नजर आएगी. पोल सर्वेक्षकों ने अपनी बात कह दी है, अब इंतजार कीजिए भाग्य की देवी के पिटारे से क्या निकलता है.

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जल्द आ रहल बा १० क नोट

रिजर्व बैंक के मुताबिक 500 और 2000 रुपये की नई करेंसी के बाद अब वह 10 रुपये की नई करेंसी लेकर आ रही है. नई करेंसी महात्मा गांधी सीरीज-2005 की डिजाइन पर आधारित रहेगी. इस करेंसी में दोनों नंबर पैनल में इनसेट टेलर 'L' छपा होगा. रिजर्व बैंक ने कहा है कि नई करेंसी को मौजूदा गवर्नर उर्जित पटेल के नाम से प्रिंट किया जाएगा और करेंसी में प्रिंटिंग का वर्ष 2017 दिया जाएगा. हालांकि नई करेंसी के बावजूद सर्कुलेशन में चल रही पुरानी करेंसी भी पूरी तरह से मान्य रहेगी. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 8 नवंबर को नोटबंदी लागू होने के बाद देश में बेहतर सुरक्षा फीचर्स के साथ 500 और 2000 रुपये की करेंसी जारी की थी. अब 10 रुपये की प्रस्तावित नई करेंसी के भी सुरक्षा फीचर्स नई जारी की गई करेंसी जैसे होंगे. केन्द्र सरकार ने पूर्व में संचालित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित करने के पीछे कालेधन के अलावा उक्त करेंसी के फेक को अर्थव्यवस्था से बाहर करना था.