शुक्रवार, 24 मार्च 2017

पपीता लौटायगा लम्बे घने बाल जाने कैसे ?

"आज हम आपको ऐसी खबर बता रहे रहे है जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। अगर आप अपने बालों को लंबा घना और काला बनाने के तरह तरह के तरीके अपनाकर थक चुके हैं तो हम बताते हैं आपको इसका रामबाण इलाज जो आपकी समस्या को खत्म कर देगा।कहा जाता हैं कि पपीते में पपाइन नाम का एक एंजाइम होता है. यह एंजाइम आपके बालों को जडों से मजबूत कर उन्हें लंबा और खूबसूरत बनाता है।आज हम आपको पपीते से बनने वाले कुछ हैर मास्क बताने जा रहे हैं।इन्हें आप रसोई में मौजूद सामग्री के साथ आसानी से तैयार कर सकते हैं। - पपीता और दही से बनाएं हेयर मास्क : पपीते और दही का यह मास्क आपके बालों को मुलायम बनाएगा. साथ ही सर की खुजली से भी छुटकारा दिलाएगा. इस मास्क को तैयार करने के लिए कटोरी में पपीता डालें फिर उसमें 2 चम्मच दही मिलाएं. दोनों चीजों को मिलाकर एक मुलायम पेस्ट तैयार करें. फिर इस पूरे मास्क को अपने बालों में लगाकर उन्हें एक साफ तौलिए से लपेटें. पैक को बालों में एक घंटे के लिए रहने दें. बाद में अपने बालों को शैंपू से धोएं. - पपीता, नारियल का दूध और शहद : इन तीनों चीजों को मिलाकर बनने वाला मास्क आपके बालों को जड़ों से मजबूत बनाएगा. एक कटोरी में 3 चम्मच पपीता, 1 चम्मच नारियल का दूध और 1 चम्मच शहद दें. इन तीनों चीजों को मिलाकर एक मास्क तैयार करें. मास्क को एक घंटे तक बालों में रहने दें और बाद में शैंपू करके अपने बालों को धो लें. शैंपू के बाद कंडीश्नर भी लगाएं. हफ्ते में एक बार इस मास्क को अपने बालों में लगाएं. - पपीता, केला और शहद : अगर आप चाहती हैं कि आपके बाल चमकदार और स्ट्रेट लगे तो पपीते, केले और शहद से बनने वाले इस मास्क को आजमाएं. इसके लिए एक पके केले में 7-8 टुकडे़ पपीते के डालकर मसलें. फिर इसमें 1 चम्मच शहद डालें. इस सारी सामग्री से एक पेस्ट तैयार करें. इस पेस्ट को अपने पूरे बालों में लगाएं. इस पेस्ट को 2-3 घंटों के लिए रहने दें. बाद में अपने बालों को शैंपू से धोएं. - पपीता, नींबू के रस और शहद : खुजली और रूसी से छुटकारा पाने के लिए इस मास्क को सप्ताह में एक बार लगाएं. एक कटोरी में 8-9 टुकडे़ पपीते के लें. इन्हें मसल कर इसमें 2 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच शहद मिलाएं. इस मिश्रण को अपनी खोपड़ी में लगाएं और हलके हाथों से सर की मालिश करें. मास्क को 1 घंटे के लिए बालों में रहने दें और बाद में शैंपू करें." - पपीता लौटाएगा लंबे घने बाल, जानें कैसे करें इस्तेमाल http://tz.ucweb.com/3_1Kt75

आपके भी बाल अगर गिरते है तो अपनायें ये टिप्स

"आधुनिक दौर में आकर्षक व्यक्तित्व सभी की चाह है और हमारे बाल हमारे व्यक्तित्व को खासा प्रभावित करते हैं। यदि बाल स्वस्थ और घने हों तो व्यक्तित्व में निखार ले आते हैं। पर आज की जीवनशैली व प्रदूषित वातावरण में यह बहुत मुश्किल हो गया है। आपके बाल भी आपकी पसंद के अनुरूप नहीं हैं तो आयुर्वेदिक उपाय अपना कर अपने बालों को खूबसूरत बना सकते हैं। रसायन युक्त शैम्पू का इस्तेमाल आयुर्वेद का मानना है कि आज की जीवनशैली में अपने बालों को साफ करने और उनकी देखभाल के लिए लोग प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कम ही करते हैं। इन बनावटी शैम्पू और तेल से बाल रसायन के प्रभाव में आते हैं, जिससे बाल गिरने की समस्या बढ़ रही है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी शरीर में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी होने पर भी बाल गिरने लगते हैं। पेट की बीमारियों से ग्रस्त होना जिन लोगों को कब्ज, गैस आदि पेट संबंधी परेशानी रहती हैं, उन्हें भी बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है। सही शैम्पू का चयन करें अपने बालों के लिए शैम्पू बदल-बदल कर प्रयोग न करें, बल्कि ऐसे शैम्पू का चुनाव करें, जिससे आपके बाल न झड़ें या कम ही झडें और आपके बालों को लाभ पहुंचाए। बालों के लिए आयुर्वेद में सबसे बेहतर है रीठा, शिकाकाई और त्रिफला, जिसमें हरड़, बहेड़ा और आंवला शामिल होता है। इन सबके बीज निकाल कर मिश्रित पाउडर बना लें। अगर बाल लम्बे हैं तो दो कप पानी में चार चम्मच पाउडर मिला कर रात को भिगो कर रख दें। सुबह इसे अच्छी तरह सिर में लगा लें और आधे घंटे बाद पानी से अच्छी तरह धो लें। इस तरह हफ्ते में तीन दिन इसका प्रयोग करें। यह बालों को गिरने से रोकने में सहायक होता है। कैसा हो खान-पान बालों को गिरने से रोकने के लिए सुपाच्य, हल्का और पौष्टिक भोजन खाना चाहिए। ज्यादा तले-भुने भोजन का सेवन न करें, क्योंकि उससे पेट की परेशानी बढ़ सकती है, जो बालों के गिरने के लिए जिम्मेदार होती है।" - आपके भी बाल गिरते हैं तो अपनाएं आयुर्वेद के ये TIPS http://tz.ucweb.com/3_1JACY

नवरात्रियों मे कुछ गलतियों के कारण देवी हो सकती है क्रोधित

"चैत्र नवरात्र 28 मार्च से शुरू हो रहे हैं और 5 अप्रैल को समाप्त होंगे। नौ दिनों के इस नवरात्र में देवी दुर्गा की हम नौ रूपों में पूजा करते है। यूं तो साल भर में चार नवरात्र पड़ते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन नवरात्र लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है और बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में देवी के प्रकोप से बचने के लिए आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कौन सी है वो बातें- यदि आप नवरात्र में देवी की पूजा करते हैं या व्रत रखते हैं तो आपको ऐसे में काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। छोटी कन्याओं को नवरात्रों में पूजने का विधान है। ऐसे में किसी कन्या का यदि आपने गलती से भी अपमान किया तो देवी आपसे रूष्ट हो सकती हैं और आपको उनकें प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। नवरात्रों के अंत में कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही व्यक्ति को भोजन करने की अनुमती होती है। याद रहे ऐसे में कन्याओं को जूठा या बासी भोजन खिलाना आपको पाप का भागी बना सकता है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रों के नौ दिन लोगों को न तो नाखून न ही बाल काटवाना चाहिए और न ही शेविंग करनी चाहिए। ऐसा करने से देवी क्रोधित हो सकती हैं और आपको पूजा व व्रत का फल नहीं मिलता। जिस घर में कोई भी सदस्य माता का पूजन करता है या व्रत रखता है ऐसे घर में नौ दिन तक मांस मछली नहीं बनाई जानी चाहिए। इसके अलावा खाने में लहसुन व प्याज का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।" - नवरात्रियों में कुछ गलतियों के कारण हो सकती है देवी क्रोधित http://tz.ucweb.com/3_1Jzvd

गुजरात ATS ने दाउद को पकड़ लिया

"इसीलिए कहते हैं कि इतनी जल्दी गिल्ल नहीं होना चाहिए. ये बिल्कुल वैसा ही है, जैसे योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही सोशल मीडिया वाली जनता मंदिर-मंदिर जपने लगी थी. खैर, पकड़ा गया है. दाऊद पकड़ा गया है और गुजरात ATS ने ही पकड़ा है. ये दाऊद इब्राहिम के साथी शरीफ खान का गैंग्स्टर भतीजा दाऊद लाला है, जिसे अहमदाबाद के जुहापुरा से धरा गया है. दाऊद लाला पर राजस्थान में हत्या, फिरौती और रंगदारी के 10 से ज्यादा केस चल रहे हैं. राजस्थान की पुलिस लंबे समय से पगलाई हुई थी इस आदमी के पीछे. चाहिए था किसी भी कीमत पर. मिला गुजरात ATS की मदद से. और दाऊद लाला खुद चाहे जितना बड़ा अपराधी होता, पुलिस के लिए उसकी सबसे बड़ी पहचान यही है कि वो दाऊद इब्राहिम का भतीजा है. अहमदाबाद के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (ATS) जेके भट्ट ने बताया कि दाऊद की टिप राजस्थान पुलिस ने ही दी थी. उसके ऊपर इनाम भी था. उस पर सारे केस राजस्थान में चल रहे हैं, इसलिए गुजरात ATS उसे राजस्थान पुलिस को सौंप देगी. लेकिन दाऊद इब्राहिम को सीधा ऊपर पहुंचाने वाले थे अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वैसे दाऊद इब्राहिम… आई रिपीट दाऊद इब्राहिम को पकड़ने के लिए अजीत डोभाल ने 2005 में एक ऑपरेशन प्लान किया था. अभी वो देश के छठे नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर हैं. तो 2005 में होने वाला था ‘ऑपरेशन मुच्छड़’. इसमें दाऊद को सीधे ऊपर पहुंचाने की प्लानिंग थी. लेकिन मुंबई में मौजूद उसके चेले-चपाड़ों की वजह से खेला खराब हो गया था. 9 मई, 2005 को वो खास दिन था, जब दाऊद की बेटी महरुख का निकाह होने वाला था पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे जुनैद से. उसके बाद 23 जुलाई को दुबई के ग्रैंड हयात होटल में रिसेप्शन होना था. भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता चल गया था कि दाऊद इस पार्टी में आएगा. वो किस वक्त किस जगह होगा, इसकी पूरी इन्फर्मेशन जुटा ली गई थी. सबको पता था कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा दाऊद को टपकाने का. अपने पति के साथ दाऊद की बेटी 1993 मुंबई ब्लास्ट के बाद छोटा राजन दाऊद की डी कंपनी छोड़ चुका था. वो अपना अलग गैंग खड़ा करके दाऊद का दुश्मन नंबर वन बन गया. इस ऑपरेशन में उसकी मदद ली गई. उसके भरोसेमंद दो शार्प शूटर थे. विकी मल्होत्रा और फरीद तनाशाह. पश्चिम बंगाल के 24 परगना इलाके से भारत में उनकी एंट्री कराई गई. फिर ट्रेनिंग दी गई. प्लान बताया गया कि 23 जुलाई, 2005 को दाऊद आखिरी सांस लेगा. शूटर्स के कागजात तैयार किए गए. दुबई की टिकट बुक कर दी गई. IB का ये पूरा ऑपरेशन खुफिया था. दिल्ली के कुछ जिम्मेदार लोगों के अलावा इसकी खबर किसी को नहीं थी. डोभाल के दो आदमी भी दिल्ली में अरेस्ट हुए थे दाऊद इब्राहिम प्लान आखिरी दौर में था. दिल्ली में एक शाम अजीत डोभाल उन शार्प शूटर्स के साथ मीटिंग में थे. उनसे होटल की लोकेशन डिस्कस कर रहे थे कि किसकी तैनाती कहां होगी. उसी वक्त मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच वाली टीम वहां पहुंच गई. राजन गैंग के दोनों आदमी अरेस्ट. अजीत डोभाल ने पुलिस वालों को समझाया, पुचकारा, गुस्साए. लेकिन डिप्टी कमिश्नर धनंजय कमलाकर जिद पकड़े थे. अरेस्ट करके मुंबई ले गए दोनों को. इस तरह मुंबई पुलिस में जमे दाऊद के कारगुजारों और डोभाल के बंधे हाथों की वजह से दाऊद बच गया. डोभाल अब भी कोशिश कर रहे हैं." - गुजरात ATS ने दाऊद को पकड़ लिया http://tz.ucweb.com/3_1Jz5a

आसान तरीके से बढाये अपनी लम्बाई

"हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई कमी तो रह ही जाती है जिसे लाख चाहते हुए भी हम सुधार नहीं पाते। लेकिन यहां आपके शरीर से जुड़ी एक कमी का रामबाण इलाज है। अन्य परेशानियों से हट कर अगर बात करे उन लोगों की जिनकी लम्बाई कम रह जाती है, तो उन्हे बाकि लोगों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ताने सुनने पड़ते है। कभी टिंगु, तो कबी छोटू और भी न जाने क्या- क्या। अगर आप भी समाज के इन तानों का शिकार होते आए हैं तो अब आपके साथ ऐसा कुछ नहीं होता क्योंकि हम आपके लिए लाएं है एक ऐसा आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खा, जिसे अपना कर आप अपनी लम्बाई 2 से 6 इंच तक बढ़ा सकते हैं। तो आइए जानते है कि क्या है वो जादुई उपाय – सामग्री – ficus glomerata फूलों से करें घर के सभी दुख- दर्दो का अंत, जाने कैसे बरगद का फल – 50 ग्राम मिश्री – 50 ग्राम जीरा – 50 ग्राम बरगद पर फरने वाले फल को हम गुलर के नाम से भी जानते है, जो कि आपको आसानी से किसी भी पान की दुकान पर मिल सकता है। बनाने की विधि – Drinking milk लगातार बैठकर काम करना बना सकता है आपको ‘बीमार’, इससे बचने के लिए करें ये आसान उपाय सबसे पहले आपको तीनों वस्तुओं को अच्छे से पीस लेना है, पीसने बाद इसे एक अगल बर्तन में निकाल कर रख दें। अगर आपकी उम्र 18 वर्ष से कम है तो आपको इस पाउडर में से आधा चम्मच पाउडर ले कर दूध में मिला कर पिना है। man drinking milk ये 7 आसान उपाय कर, बस एक रात में ‘पिम्पल्स’ को कहें बाय-बाय यदि आपकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है तो आप एक चम्मच चूर्ण ले कर दुध में मिला कर पी लें। इस प्रक्रिया को 40 दिन तक लगातार दोहराएं, देखिएगा इससे आपकी लम्बाई के साथ- साथ आपका दिमाग भी पढ़ेगा और चेहरे पर चमक भी आएगी। अन्य उपाय turmeric milk क्या आप भी हैं लो ब्लडप्रेशर के शिकार, तो ज़रुर करें ये असरदार उपाय यदी आप दूध में हल्दी, मिश्री व शहद मिला कर सेवन करते हैं तो भी आपकी लम्बाई बढ़ जाएगी। किन्तु याद रहे कि ये उपाय केवल 21 वर्ष तक ही आपकी लम्बाई बढ़ा सकता है। संदर्भ पढ़ें" - इस आसान उपाय से आप भी बढ़ा सकते हैं 2-6 इंच तक की लम्बाई http://tz.ucweb.com/3_1JxWI

रामचरितमानस मल्लाह का भगवान राम को गंगा पार उतारना और प्रेम

केवट का प्रेम और गंगा पार जाना चौपाई : * जासु बियोग बिकल पसु ऐसें। प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसें॥ बरबस राम सुमंत्रु पठाए। सुरसरि तीर आपु तब आए॥1॥ भावार्थ:-जिनके वियोग में पशु इस प्रकार व्याकुल हैं, उनके वियोग में प्रजा, माता और पिता कैसे जीते रहेंगे? श्री रामचन्द्रजी ने जबर्दस्ती सुमंत्र को लौटाया। तब आप गंगाजी के तीर पर आए॥1॥ * मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥ चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥2॥ भावार्थ:-श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है,॥2॥ * छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥ तरनिउ मुनि घरिनी होइ जाई। बाट परइ मोरि नाव उड़ाई॥3॥ भावार्थ:-जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई (मेरी नाव तो काठ की है)। काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव उड़ जाएगी, मैं लुट जाऊँगा (अथवा रास्ता रुक जाएगा, जिससे आप पार न हो सकेंगे और मेरी रोजी मारी जाएगी) (मेरी कमाने-खाने की राह ही मारी जाएगी)॥3॥ * एहिं प्रतिपालउँ सबु परिवारू। नहिं जानउँ कछु अउर कबारू॥ जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू। मोहि पद पदुम पखारन कहहू॥4॥ भावार्थ:-मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन-पोषण करता हूँ। दूसरा कोई धंधा नहीं जानता। हे प्रभु! यदि तुम अवश्य ही पार जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणकमल पखारने (धो लेने) के लिए कह दो॥4॥ छन्द : * पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं। मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥ बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं। तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥ भावार्थ:-हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच-सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा। सोरठा : * सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे। बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥100॥ भावार्थ:-केवट के प्रेम में लपेटे हुए अटपटे वचन सुनकर करुणाधाम श्री रामचन्द्रजी जानकीजी और लक्ष्मणजी की ओर देखकर हँसे॥100॥ चौपाई : * कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेहिं तव नाव न जाई॥ बेगि आनु जलपाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥1॥ भावार्थ:-कृपा के समुद्र श्री रामचन्द्रजी केवट से मुस्कुराकर बोले भाई! तू वही कर जिससे तेरी नाव न जाए। जल्दी पानी ला और पैर धो ले। देर हो रही है, पार उतार दे॥1॥ * जासु नाम सुमिरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥ सोइ कृपालु केवटहि निहोरा। जेहिं जगु किय तिहु पगहु ते थोरा॥2॥ भावार्थ:-एक बार जिनका नाम स्मरण करते ही मनुष्य अपार भवसागर के पार उतर जाते हैं और जिन्होंने (वामनावतार में) जगत को तीन पग से भी छोटा कर दिया था (दो ही पग में त्रिलोकी को नाप लिया था), वही कृपालु श्री रामचन्द्रजी (गंगाजी से पार उतारने के लिए) केवट का निहोरा कर रहे हैं!॥2॥ * पद नख निरखि देवसरि हरषी। सुनि प्रभु बचन मोहँ मति करषी॥ केवट राम रजायसु पावा। पानि कठवता भरि लेइ आवा॥3॥ भावार्थ:-प्रभु के इन वचनों को सुनकर गंगाजी की बुद्धि मोह से खिंच गई थी (कि ये साक्षात भगवान होकर भी पार उतारने के लिए केवट का निहोरा कैसे कर रहे हैं), परन्तु (समीप आने पर अपनी उत्पत्ति के स्थान) पदनखों को देखते ही (उन्हें पहचानकर) देवनदी गंगाजी हर्षित हो गईं। (वे समझ गईं कि भगवान नरलीला कर रहे हैं, इससे उनका मोह नष्ट हो गया और इन चरणों का स्पर्श प्राप्त करके मैं धन्य होऊँगी, यह विचारकर वे हर्षित हो गईं।) केवट श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा पाकर कठौते में भरकर जल ले आया॥3॥ * अति आनंद उमगि अनुरागा। चरन सरोज पखारन लागा॥ बरषि सुमन सुर सकल सिहाहीं। एहि सम पुन्यपुंज कोउ नाहीं॥4॥ भावार्थ:-अत्यन्त आनंद और प्रेम में उमंगकर वह भगवान के चरणकमल धोने लगा। सब देवता फूल बरसाकर सिहाने लगे कि इसके समान पुण्य की राशि कोई नहीं है॥4॥ दोहा : * पद पखारि जलु पान करि आपु सहित परिवार। पितर पारु करि प्रभुहि पुनि मुदित गयउ लेइ पार॥101॥ भावार्थ:-चरणों को धोकर और सारे परिवार सहित स्वयं उस जल (चरणोदक) को पीकर पहले (उस महान पुण्य के द्वारा) अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनंदपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्रजी को गंगाजी के पार ले गया॥101॥ चौपाई : * उतरि ठाढ़ भए सुरसरि रेता। सीय रामुगुह लखन समेता॥ केवट उतरि दंडवत कीन्हा। प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा॥1॥ भावार्थ:-निषादराज और लक्ष्मणजी सहित श्री सीताजी और श्री रामचन्द्रजी (नाव से) उतरकर गंगाजी की रेत (बालू) में खड़े हो गए। तब केवट ने उतरकर दण्डवत की। (उसको दण्डवत करते देखकर) प्रभु को संकोच हुआ कि इसको कुछ दिया नहीं॥1॥ * पिय हिय की सिय जाननिहारी। मनि मुदरी मन मुदित उतारी॥ कहेउ कृपाल लेहि उतराई। केवट चरन गहे अकुलाई॥2॥ भावार्थ:-पति के हृदय की जानने वाली सीताजी ने आनंद भरे मन से अपनी रत्न जडि़त अँगूठी (अँगुली से) उतारी। कृपालु श्री रामचन्द्रजी ने केवट से कहा, नाव की उतराई लो। केवट ने व्याकुल होकर चरण पकड़ लिए॥2॥ * नाथ आजु मैं काह न पावा। मिटे दोष दुख दारिद दावा॥ बहुत काल मैं कीन्हि मजूरी। आजु दीन्ह बिधि बनि भलि भूरी॥3॥ भावार्थ:-(उसने कहा-) हे नाथ! आज मैंने क्या नहीं पाया! मेरे दोष, दुःख और दरिद्रता की आग आज बुझ गई है। मैंने बहुत समय तक मजदूरी की। विधाता ने आज बहुत अच्छी भरपूर मजदूरी दे दी॥3॥ * अब कछु नाथ न चाहिअ मोरें। दीन दयाल अनुग्रह तोरें॥ फिरती बार मोहि जो देबा। सो प्रसादु मैं सिर धरि लेबा॥4॥ भावार्थ:-हे नाथ! हे दीनदयाल! आपकी कृपा से अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। लौटती बार आप मुझे जो कुछ देंगे, वह प्रसाद मैं सिर चढ़ाकर लूँगा॥4॥ दोहा : * बहुत कीन्ह प्रभु लखन सियँ नहिं कछु केवटु लेइ। बिदा कीन्ह करुनायतन भगति बिमल बरु देइ॥102॥ भावार्थ:- प्रभु श्री रामजी, लक्ष्मणजी और सीताजी ने बहुत आग्रह (या यत्न) किया, पर केवट कुछ नहीं लेता। तब करुणा के धाम भगवान श्री रामचन्द्रजी ने निर्मल भक्ति का वरदान देकर उसे विदा किया॥102॥ चौपाई : * तब मज्जनु करि रघुकुलनाथा। पूजि पारथिव नायउ माथा॥ सियँ सुरसरिहि कहेउ कर जोरी। मातु मनोरथ पुरउबि मोरी॥1॥ भावार्थ:-फिर रघुकुल के स्वामी श्री रामचन्द्रजी ने स्नान करके पार्थिव पूजा की और शिवजी को सिर नवाया। सीताजी ने हाथ जोड़कर गंगाजी से कहा- हे माता! मेरा मनोरथ पूरा कीजिएगा॥1॥ * पति देवर सँग कुसल बहोरी। आइ करौं जेहिं पूजा तोरी॥ सुनि सिय बिनय प्रेम रस सानी। भइ तब बिमल बारि बर बानी॥2॥ भावार्थ:-जिससे मैं पति और देवर के साथ कुशलतापूर्वक लौट आकर तुम्हारी पूजा करूँ। सीताजी की प्रेम रस में सनी हुई विनती सुनकर तब गंगाजी के निर्मल जल में से श्रेष्ठ वाणी हुई-॥2॥ * सुनु रघुबीर प्रिया बैदेही। तब प्रभाउ जग बिदित न केही॥ लोकप होहिं बिलोकत तोरें। तोहि सेवहिं सब सिधि कर जोरें॥3॥ भावार्थ:-हे रघुवीर की प्रियतमा जानकी! सुनो, तुम्हारा प्रभाव जगत में किसे नहीं मालूम है? तुम्हारे (कृपा दृष्टि से) देखते ही लोग लोकपाल हो जाते हैं। सब सिद्धियाँ हाथ जोड़े तुम्हारी सेवा करती हैं॥3॥ * तुम्ह जो हमहि बड़ि बिनय सुनाई। कृपा कीन्हि मोहि दीन्हि बड़ाई॥ तदपि देबि मैं देबि असीसा। सफल होन हित निज बागीसा॥4॥ भावार्थ:-तुमने जो मुझको बड़ी विनती सुनाई, यह तो मुझ पर कृपा की और मुझे बड़ाई दी है। तो भी हे देवी! मैं अपनी वाणी सफल होने के लिए तुम्हें आशीर्वाद दूँगी॥4॥ दोहा : * प्राननाथ देवर सहित कुसल कोसला आइ। पूजिहि सब मनकामना सुजसु रहिहि जग छाइ॥103॥ भावार्थ:-तुम अपने प्राणनाथ और देवर सहित कुशलपूर्वक अयोध्या लौटोगी। तुम्हारी सारी मनःकामनाएँ पूरी होंगी और तुम्हारा सुंदर यश जगतभर में छा जाएगा॥103॥ चौपाई : * गंग बचन सुनि मंगल मूला। मुदित सीय सुरसरि अनुकूला॥ तब प्रभु गुहहि कहेउ घर जाहू। सुनत सूख मुखु भा उर दाहू॥1॥ भावार्थ:-मंगल के मूल गंगाजी के वचन सुनकर और देवनदी को अनुकूल देखकर सीताजी आनंदित हुईं। तब प्रभु श्री रामचन्द्रजी ने निषादराज गुह से कहा कि भैया! अब तुम घर जाओ! यह सुनते ही उसका मुँह सूख गया और हृदय में दाह उत्पन्न हो गया॥1॥ * दीन बचन गुह कह कर जोरी। बिनय सुनहु रघुकुलमनि मोरी॥ नाथ साथ रहि पंथु देखाई। करि दिन चारि चरन सेवकाई॥2॥ भावार्थ:-गुह हाथ जोड़कर दीन वचन बोला- हे रघुकुल शिरोमणि! मेरी विनती सुनिए। मैं नाथ (आप) के साथ रहकर, रास्ता दिखाकर, चार (कुछ) दिन चरणों की सेवा करके-॥2॥ * जेहिं बन जाइ रहब रघुराई। परनकुटी मैं करबि सुहाई॥ तब मोहि कहँ जसि देब रजाई। सोइ करिहउँ रघुबीर दोहाई॥3॥ भावार्थ:-हे रघुराज! जिस वन में आप जाकर रहेंगे, वहाँ मैं सुंदर पर्णकुटी (पत्तों की कुटिया) बना दूँगा। तब मुझे आप जैसी आज्ञा देंगे, मुझे रघुवीर (आप) की दुहाई है, मैं वैसा ही करूँगा॥3॥ * सहज सनेह राम लखि तासू। संग लीन्ह गुह हृदयँ हुलासू॥ पुनि गुहँ ग्याति बोलि सब लीन्हे। करि परितोषु बिदा तब कीन्हे॥4॥ भावार्थ:-उसके स्वाभाविक प्रेम को देखकर श्री रामचन्द्रजी ने उसको साथ ले लिया, इससे गुह के हृदय में बड़ा आनंद हुआ। फिर गुह (निषादराज) ने अपनी जाति के लोगों को बुला लिया और उनका संतोष कराके तब उनको विदा किया॥4॥

राजा दक्ष क कहानी

दक्ष प्रजापति प्रजापति दक्ष शिवांश भगवान वीरभद्र और बकरे के सिर के साथ दक्ष। देवनागरी दक्ष सहबद्धता प्रजापति पत्नी प्रसूति द वा ब दक्ष प्रजापति को अन्य प्रजापतियों के समान ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र के रूप में रचा था। दक्ष प्रजापति का विवाह स्वयंभुव मनु की तृतीय कन्या प्रसूति के साथ हुआ था। संतान संपादित करें दक्ष प्रजापति की पत्नी स्वायम्भूव मनु पुत्री प्रसूति ने सोलह कन्याओं को जन्म दिया जिनमें से स्वाहा नामक एक कन्या का अग्नि देव का साथ, सुधा नामक एक कन्या का पितृगण के साथ सती नामक एक कन्या का भगवान शंकर के साथ और शेष तेरह कन्याओं का धर्म के साथ विवाह हुआ। धर्म की पत्नियों के नाम थे- श्रद्धा, मैत्री, दया, शान्ति, तुष्टि, पुष्टि, क्रिया, उन्नति, बुद्धि, मेधा, तितिक्षा, द्वी और मूर्ति। दक्ष प्रजापति ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें द्वेषवश उन्होंने अपने जामाता भगवान शंकर और अपनी पुत्री सती को निमन्त्रित नहीं किया। शंकर जी के समझाने के बाद भी सती अपने पिता उस यज्ञ बिना बुलाये ही चली गईं। यज्ञस्थल में दक्ष प्रजापति ने सती और शंकर जी का घोर निरादर किया। अपमान न सह पाने के कारण सती ने तत्काल यज्ञस्थल में ही योगाग्नि से स्वयं को भस्म कर दिया। सती की मृत्यु का समाचार पाकर भगवान शंकर ने वीरभद्र के द्वारा उस यज्ञ का विध्वंश करा दिया। वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर भी काट डाला। बाद में ब्रह्मा जी की प्रार्थना करने पर भगवान शंकर ने दक्ष प्रजापति को उसके सिर के बदले में बकरे का सिर प्रदान कर उसके यज्ञ को सम्पन्न करवाया। सती का आत्मदाह संपादित करें दक्ष के प्रजापति बनने के बाद ब्रह्मा नें उसे एक काम सौंपा जिसके अंतर्गत शिव और शक्ति का मिलाप करना था। उस समय शिव तथा शक्ति दोनों अलग रहे और शक्ति के बिना शिव शव हैं, शिव पागलों की तरह जंगल में विचरण कर रहे थे जिससे विश्व का सर्वनाश हो सकता था। इसीलिये दक्ष को कहा गया कि वो शक्ति माता का तप करकर उन्हें प्रसन्न करें तथा पुत्री रूप में प्राप्त करे। तपस्या के उपरांत माता शक्ति ने दक्ष से कहा,"मैं पुत्री तो हो जाऊँ परंतु मेरा मिलन शिव से ना हुआ तो मैं आत्मदाह कर लूँगी, ना मैं उनका अपमान सहुंगी। शक्ति के रूप में सती का जन्म हुआ। ब्रह्मा अपने तीन सिरों से वेदपाठ करते तथा एक सिर से वेद को गालियाँ भी देते जिससे क्रोधित हो शिव ने उनका एक सिर काट दिया, ब्रह्मा दक्ष के पिता थे अत: दक्ष क्रोधित हो गया। शिव से बदला लेने की बात करने लगा। राजा दक्ष की पुत्री ‘सती’ की माता का नाम था प्रसूति। यह प्रसूति स्वायंभुव मनु की तीसरी पुत्री थी। सती ने अपने पिती की इच्छा के विरूद्ध कैलाश निवासी शंकर से विवाह किया था। सती ने अपने पिता की इच्छा के विरूद्ध रुद्र से विवाह किया था। रुद्र को ही शिव कहा जाता है और उन्हें ही शंकर। पार्वती-शंकर के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र- गणेश, कार्तिकेवय और पुत्री वनलता। जिन एकादश रुद्रों की बात कही जाती है वे सभी ऋषि कश्यप के पुत्र थे उन्हें शिव का अवतार माना जाता था। ऋषि कश्यप भगवान शिव के साढूं थे। मां सती ने एक दिन कैलाशवासी शिव के दर्शन किए और वह उनके प्रेम में पड़ गई। लेकिन सती ने प्रजापति दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह कर लिया। दक्ष इस विवाह से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि सती ने अपनी मर्जी से एक ऐसे व्यक्ति से विवाह किया था जिसकी वेशभूषा और शक्ल दक्ष को कतई पसंद नहीं थी और जो अनार्य था। दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद और पुत्री को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई। लेकिन दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। सती के लिए अपने पति के विषय में अपमानजनक बातें सुनना हृदय विदारक और घोर अपमानजनक था। यह सब वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और इस अपमान की कुंठावश उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। सती को दर्द इस बात का भी था कि वह अपने पति के मना करने के बावजूद इस यज्ञ में चली आई थी और अपने दस शक्तिशाली (दस महाविद्या) रूप बताकर-डराकर पति शिव को इस बात के लिए विवश कर दिया था कि उन्हें सती को वहां जाने की आज्ञा देना पड़ी। पति के प्रति खुद के द्वारा किए गया ऐसा व्यवहार और पिता द्वारा पति का किया गया अपमान सती बर्दाश्त नहीं कर पाई और यज्ञ कुंड में कूद गई। बस यहीं से सती के शक्ति बनने की कहानी शुरू होती है। दुखी हो गए शिव जब : यह खबर सुनते ही शिव ने वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को अपने सिर पर धारण कर शिव ने तांडव नृत्य किया। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा सती के शरीर के टुकड़े करने शुरू कर दिए। शक्तिपीठ: इस तरह सती के शरीर का जो हिस्सा और धारण किए आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्ति पीठ अस्तित्व में आ गए। देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का जिक्र है, तो देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों की चर्चा की गई है। वर्तमान में भी 51 शक्तिपीठ ही पाए जाते हैं, लेकिन कुछ शक्तिपीठों का पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में होने के कारण उनका अस्तित्व खतरें में है।[1] इन्हें भी देखें संपादित करें

याद आये बचपन

बचपन की बाते वैसै हमेशा सबको याद आती है, हम उसी बचपन की कुछ यादें  आप सबके बीच शेयर करने जा रहे है,जब होस सभाले तो तिसरी कक्षा मे थे, तब हम सब  पटरी लेकर पढ़ने जाते थे,उस समय लिखने की जगह चाक के बजाय दुध्दी आती थी,स्कूल जाते तो १ नं. २ नं. कहकर अक्सर जाते रहते हमेशा यही ईन्तजार रहता कि कब घंटी बजे घर जाये रेसिस्टेंस मे गेन्तडी खेलना घर जाकर गोली खेलना तब कबड्डी  कुडी कुदना और जब बकरी चराने जाते तो उतुल पुतुल खेलना ,पेड़ों पर चढकर आती पाती खेलना जब रात को किसी की बारात आती तो विडियो की आवाज सुनकर माता पिता की चोरी से दुर दुर तक चले जाना उस समय किसी किसी के यहा टीवी रहा करता था,वो भी ब्लैकेन वाईट टीवी रहती थी,उस समय एक धारावाहिक युग आता था,ये धारावाहिक देखना क लिए हम घंटी छोड़कर भाग आते थे,लिखने के लिए कलम दवाद हुआ करता था,वो भी कलम सरपत की ढाडा की बनाकर लिखते थे

Last 7 Day: jio ने फिर बताए प्राइम मेंबरशिप के फायदे देखे 4 फोटो

गैजेट डेस्क। रिलायंस जियो का फ्री हैप्पी न्यू ईयर ऑफर 31 मार्च को खत्म हो जाएगा। ऐसे में कंपनी लगातार अपने 100 मिलियन यूजर्स को प्राइम मेंबरशिप से जोड़कर उन्हें ज्यादा फायदा देना चाहती है। इसके लिए उसने अब फेसबुक पर कुछ फोटो शेयर किए हैं। इन फोटो में प्राइम मेंबरशिप के फायदे बताए गए हैं। ऐसे यूजर्स जो अब तक प्राइम मेंबरशिप को नहीं समझ सके हैं वो इन फोटो को देखकर इसके फायदे जान सकते हैं। कंपनी इसके लिए पहले भी फेसबुक पर कुछ फोटो शेयर कर चुकी है। ये हैं प्राइम मेंबरशिप के फायदे... - सबसे पहले यूजर को 99 रुपए में प्राइम मेंबरशिप लेना होगी, जिसकी वैलिडिटी मार्च 2018 तक होगी। - प्राइम मेंबरशिप लेने की लास्ट डेट 31 मार्च है। इससे पहले ही यूजर को ये प्लान लेना होगा। - प्लान लेने के बाद मंथली 303 रुपए में फ्री वॉइस कॉलिंग और अनलिमिटेड डाटा (1GB 4G डाटा के साथ) मिलेगा। - एक साल के लिए जियो प्रीमियम ऐप्स का सब्सक्रिप्शन फ्री मिलेगा। - सभी जियो सर्विसेस (Broadband, DTH and more) के लिए प्री-एक्सेस मिलेगा। - जियो और जियो पार्टनर्स स्टोर्स पर स्पेशल डिस्काउंट ऑफर्स मिलेंगे। - 31 मार्च के पहले प्राइम मेंबरशिप लेकर 303 रुपए या 499 रुपए का रिचार्ज कराने पर 4G डाटा एक्स्ट्रा मिलेगा। आगे देखिए वो फोटोज जो रिलायंस जियो ने प्राइम मैंबरशिप को बताने के लिए शेयर किए हैं" - Last 7 Day: Jio ने फिर बताए प्राइम मेंबरशिप के फायदे, देखें ये 4 फोटो http://tz.ucweb.com/3_1IIYO

भगवान के कल्कि अवतार से होगा कलयुग का अंत

भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं| भगवान विष्णु ईश्वर के तीन मुख्य रुपों में से एक रूप हैं इन्हें त्रिमूर्ति भी कहा जाता है ब्रह्मा विष्णु, महेश के मिलन से ही इस त्रिमूर्ति का निर्माण होता है| सर्वव्यापक भगवान श्री विष्णु समस्त संसार में व्याप्त हैं कण-कण में उन्हीं का वास है उन्हीं से जीवन का संचार संभव हो पाता है संपूर्ण विश्व श्री विष्णु की शक्ति से ह ी संचालित है वे निर्गुण, निराकार तथा सगुण साकार सभी रूपों में व्याप्त हैं| पुराणों में भगवान विष्णु के दशावतारों का वर्णन है। इनमें से नौ अवतार हो चुके हैं, दसवें अवतार का आना अभी शेष है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का यह अवतार कल्कि अवतार कहलाएगा। पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह अवतार होगा, इसलिए इस दिन कल्कि जयंती का पर्व मनाया जाता है। भगवान विष्णु के प्रमुख अवतार- जब-जब पृथ्वीलोक पर धर्म की हानि हुई तब- तब भगवान विष्णु ने अपने भक्तों को बचाने व धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिए| भगवान विष्णु के कुछ अवतार इस प्रकार हैं- मत्स्य अवतार- इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली का रूप धरा और पृथ्वी के जल मग्न होने पर ऋषि- मुनियों समेत कई जीवों की रक्षा की| भगवान ने ऋषि की नाव की रक्षा की थी तथा ब्रह्मा जी ने पुनः जीवन का निर्माण किया| एक अन्य कथा अनुसार शंखासुर राक्षस जब वेदों को चुरा कर सागर में छुपा गया तब विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके वेदों को मुक्त करके उन्हें पुनः स्थापित किया| कूर्म अवतार- इस अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर समुद्रमंथन के समय मंदर पर्वत को अपने कवच पर संभाला था उनकी सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की| वराहावतार अवतार- इस अवतार में भगवान विष्णु ने पृथ्वी कि रक्षा की थी, एक पौराणिक कथा अनुसार भगवान ने हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध किया था| हिरण्याक्ष हिरण्यकश्यप का भाई था| नरसिंहावतार- इस अवतार में भगवान श्रीहरि ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी| इसके अलावा वामन अवतार में विष्णु जी बौने के रूप में प्रकट हुए तथा राजा बलि से देवतओं की रक्षा की, त्रेता युग में 'राम' अवतार लेकर लंकापति रावण का वध किया| द्वापर में 'कृष्णावतार' हुआ| इस अवतार में कंस का किया, 'परशुराम अवतार' में विष्णु जी ने असुरों का संहार किया| माना जाता है कि भविष्य में कलयुग का अंत करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे| कल्कि अवतार की कथा- धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में विस्तृत वर्णन है। उसके अनुसार कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिर भी हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजे जाने लगे हैं। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है।

राज हरिश्चंद्र पर एक नजर

राजा हरिश्चंद्र अयोध्या के प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा थे जो सत्यव्रत के पुत्र थे। ये अपनी सत्यनिष्ठा के लिए अद्वितीय हैं और इसके लिए इन्हें अनेक कष्ट सहने पड़े। ये बहुत दिनों तक पुत्रहीन रहे पर अंत में अपने कुलगुरु वशिष्ठ के उपदेश से इन्होंने वरुणदेव की उपासना की तो इस शर्त पर पुत्र जन्मा कि उसे हरिश्चंद्र यज्ञ में बलि दे दें। पुत्र का नाम रोहिताश्व रखा गया और जब राजा ने वरुण के कई बार आने पर भी अपनी प्रतिज्ञा पूरी न की तो उन्होंने हरिश्चंद्र को जलोदर रोग होने का शाप दे दिया। रोग से छुटकारा पाने और वरुणदेव को फिर प्रसन्न करने के लिए राजा वशिष्ठ जी के पास पहुँचे। इधर इंद्र ने रोहिताश्व को वन में भगा दिया। राजा ने वशिष्ठ जी की सम्मति से अजीगर्त नामक एक दरिद्र ब्राह्मण के बालक शुन:शेपको खरीदकर यज्ञ की तैयारी की। परंतु बलि देने के समय शमिता ने कहा कि मैं पशु की बलि देता हूँ, मनुष्य की नहीं। जब शमिता चला गया तो विश्वामित्र ने आकर शुन:शेप को एक मंत्र बतलाया और उसे जपने के लिए कहा। इस मंत्र का जप कने पर वरुणदेव स्वयं प्रकट हुए और बोले - हरिश्चंद्र , तुम्हारा यज्ञ पूरा हो गया। इस ब्राह्मणकुमार को छोड़ दो। तुम्हें मैं जलोदर से भी मुक्त करता हूँ। यज्ञ की समाप्ति सुनकर रोहिताश्व भी वन से लौट आया और शुन:शेप विश्वामित्र का पुत्र बन गया। विश्वामित्र के कोप से हरिश्चंद्र तथा उनकी रानी शैव्या को अनेक कष्ट उठाने पड़े। उन्हें काशी जाकर श्वपच के हाथ बिकना पड़ा, पर अंत में रोहिताश्व की असमय मृत्यु से देवगण द्रवित होकर पुष्पवर्षा करते हैं और राजकुमार जीवित हो उठता है। कथा संपादित करें राजा हरिश्चन्द्र ने सत्य के मार्ग पर चलने के लिये अपनी पत्नी और पुत्र के साथ खुद को बेच दिया था। कहा जाता है- [1] [2] चन्द्र टरै सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार, पै दृढ श्री हरिश्चन्द्र का टरै न सत्य विचार। इनकी पत्नी का नाम तारा था और पुत्र का नाम रोहित। इन्होंने अपने दानी स्वभाव के कारण विश्वामित्र जी को अपने सम्पूर्ण राज्य को दान कर दिया था, लेकिन दान के बाद की दक्षिणा के लिये साठ भर सोने में खुद तीनो प्राणी बिके थे और अपनी मर्यादा को निभाया था, सर्प के काटने से जब इनके पुत्र की मृत्यु हो गयी तो पत्नी तारा अपने पुत्र को शमशान में अन्तिम क्रिया के लिये ले गयी। वहाँ पर राजा खुद एक डोम के यहाँ नौकरी कर रहे थे और शमशान का कर लेकर उस डोम को देते थे। उन्होने रानी से भी कर के लिये आदेश दिया, तभी रानी तारा ने अपनी साडी को फाड़कर कर चुकाना चाहा, उसी समय आकाशवाणी हुयी और राजा की ली जाने वाली दान वाली परीक्षा तथा कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी की जीत बतायी गयीं इन्हें भी देखें संपादित करें

रिलीज़ से पहले रजनीकांत के 2.0 रिकार्ड तोड़ा बाहुबली 2 का

बाहुबली 2' और रजनीकांत के 2.0 में कड़ी टक्कर है. दोनों ही फिल्में रिलीज से पहले ही कई रिकार्ड्स बना रहे हैं और फैंस को दोनों ही फिल्मों के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार भी है. 'बाहुबली 2' का दिखेगा दम, भारत में 6500 स्क्रीन्स पर होगी रिलीज 'बाहुबली 2' ने ट्रेलर व्यूज के मामले में रजनीकांत की फिल्म कबाली का रिकॉर्ड तो तोड़ दिया है लेकिन 2.0 ने सेटेलाइट राइट्स के मामले में 'बाहुबली 2' को पीछे छोड़ दिया है. 24 घंटे से कम वक्त में बाहुबली 2 के ट्रेलर को मिले 2 करोड़ 30 लाख व्यूज 2.0 के हिंदी, तेलगु और तमिल वर्जन के सेटेलाइट राइट्स 110 करोड़ रुपये में बिके हैं, जबकि 'बाहुबली 2' को 78 करोड़ रुपये से ही संतुष्ट रहना पड़ा है. 78 करोड़ रुपये में से हिंदी वर्जन के सेटेलाइट राइट्स 50 करोड़ रुपये में खरीदे गए हैं और मल्यालम, तमिल और तेलगु वर्जन के राइट्स 28 करोड़ में खरीदे गए हैं. बता दें कि 'बाहुबली 2', 28 अप्रैल को रिलीज होगी.