गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

1 जनवरी से मोदी सरकार देगी ये 3 गिफ्ट, आप भी उठाएं फायदा

नई दिल्‍ली. 2017 खत्‍म होने को है और 2018 शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में आपको सरकार की ओर से भी नए साल के कुछ तोहफे मिलने जा रहे हैं। दरअसल सरकार ने देश में 1 जनवरी 2018 से कुछ नए नियम लागू करने का फैसला किया है, जिससे आपको फायदा पहुंचने वाला है।
नए साल पर सरकार के ये तोहफे आपकी जिंदगी को और आसान बनाने वाले हैं। आइए जानते हैं कि नए साल की शुरुआत पर सरकार आपको क्‍या नए तोहफे देने जा रही है और इनसे आपको कैसे फायदा होगा-
1. घर बैठे मोबाइल सिम की आधार से लिंकिंग

1 जनवरी, 2018 से आपको घर बैठे अपनी मोबाइल सिम आधार से लिंक कराने की सुविधा मिलने वाली है। वैसे तो यह सुविधा 1 दिसंबर से शुरू होने वाली थी लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की तैयारी पूरी न होने के चलते इसे 1 महीना आगे बढ़ा दिया गया। अब आप 1 जनवरी से ओटीपी व अन्‍य जरिए से सिम को घर बैठे आधार से लिंक कर सकेंगे।
आगे पढ़ें- क्‍या है अगला तोहफा

2. डेबिट कार्ड से भुगतान होगा आसान

1 जनवरी, 2018 से डेबिट कार्ड से भुगतान सस्‍ता होने वाला है क्‍योंकि नए साल पर RBI द्वारा जारी नए MDR चार्ज लागू होंगे। MDR यानी मर्चेंन्‍ट डिस्‍काउंट रेट वह चार्ज है जो डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर दुकानदार पर लगता है। इसे ग्राहक को नहीं देना होता है लेकिन कई दुकानदार डेबिट कार्ड ट्रांजैक्‍शन करने वालों से 2 फीसदी चार्ज लेते हैं। RBI के नए नियम के मुताबिक अब 20 लाख रुपए तक सालाना टर्नओवर वालों के लिए MDR 0.40 फीसदी तय किया गया है, वहीं इससे ज्‍यादा टर्नओवर वालों के लिए 0.9 फीसदी है। 20 लाख तक टर्नओवार वालों के लिए प्रति ट्रांजैक्‍शन MDR 200 रुपए से ज्‍यादा नहीं होगा वहीं 20 लाख से अधिक टर्नओवर वालों के लिए MDR प्रति ट्रांजैक्‍शन 1,000 रुपए से ज्‍यादा नहीं होगा।वहीं सरकार ने 2000 रुपए तक की खरीदारी पर MDR खुद ही वहन करने का फैसला भी किया है।
आगे पढ़ें- एक और नए नियम के बारे में

3. गोल्‍ड ज्‍वैलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य

सरकार 1 जनवरी 2018 से 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट ज्वैलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर सकती है। इससे ग्राहकों को गोल्‍ड ज्‍वैलरी की शुद्धता को लेकर आसानी होगी। दरअसल वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) चरणबद्ध तरीके से हॉलमार्किंग लागू कराना और अनिवार्य बनाना चाहती है। इसके लिए उसने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) को सिफारिशें भी भेजी हैं। हॉलमार्किंग को तीन चरणों में अनिवार्य किया जाएगा, जिसमें 22 शहरों में पहले हॉलमार्किंग अनिवार्य की जाएगी। इन शहरों में मुंबई, नई दिल्‍ली, नागपुर, पटना जैसे शहर शामिल हैं। दूसरे चरण में 700 शहर और आखिर में देश के बाकी शहरों में इसे लागू किया जाएगा।

गैस सिलेंडर में एक फायदे की बात छुपी होती , अक्सर नहीं बताते डिस्ट्रीब्यूटर

रसोई गैस के लिए प्रयोग होने वाले सिलेंडर में एक फायदे की बात छुपी होती है। लेकिन, ये फायदे की बात डिस्ट्रीब्यूटर कंज्यूमर्स को नहीं बताते। दरअसल, सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका बीमा यानी इंश्योरेंस हो जाता है। 50 लाख रुपए तक होने वाले इस इंश्योरेंस की जानकारी लोगों को नहीं होती। सिलेंडर का इंश्योरेंस इसकी एक्सपायरी से जुड़ा होता है। अक्सर लोग सिलेंडर की एक्सपायरी डेट की जांच किए बिना ही इसे खरीद लेते हैं। लेकिन सिलेंडर की एक्सपायरी भी होती है, इस बात जानकारी भी डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं देते। दिलचस्प है कि तकरीबन पांच प्रतिशत सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट होते हैं। एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है।

50 लाख तक का होता है इंश्योरेंस
गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का एक्सीडेंट बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से एक्सीडेंट होने पर पीड़ित इंश्योरेंस का क्लेम कर सकता है। साथ ही, सामूहिक एक्सीडेंट होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है।
सिलेंडर पर भी बदल जाती है एक्सपायरी
एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो वर्ष आगे की होती है। एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं।
ऐसे करें एक्सपायरी डेट की पहचान
हो सकता है बड़ा हादसा
ले सकते हैं ऐक्शन
गैस कनेक्शन के साथ लाखों का बीमा
हाल ही में आरटीआई से खुलासा हुआ है कि गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का एक्सीडेंट बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से एक्सीडेंट होने पर पीड़ित बीमे का क्लेम कर सकता है। साथ ही, सामूहिक एक्सीडेंट होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है। इसके लिए एक्सीडेंट होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसी और लोकल थाने को सूचना देनी होगी व एक्सीडेंट में मृत्यु या घायल होने पर महत्वपूर्ण प्रमाण लेटर उपलब्ध कराना होगा।
एजेंसी अपने क्षेत्रीय ऑफिस व फिर क्षेत्रीय ऑफिस बीमा कंपनी को मामला सौंप देता है, लेकिन इस क्लेम के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना महत्वपूर्ण है। जो इस प्रकार

100 मैच खेलकर भी कभी शून्य(0) पर आउट न होने वाले 5 खिलाड़ी, टॉप पर ये 2 भारतीय दिग्गज


क्रिकेट की दुनिया मे कई ऐसे बल्लेबाज हुए हैं जिन्होंने अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया है और इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया है। इसी के तहत आज क्रिकेट जगत के ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में जानेंगे जो कि लगातार 100 मैच खेलने पर भी जीरो पर कभी आउट नहीं हुए। इसमें दो भारतीय दिग्गजों का नाम भी शामिल है, जिसमें पहला नाम राहुल द्रविड़ का है और दूसरा मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में जो कि 100 मैच खेलकर भी शून्य(0) पर आउट नहीं हुए।

1. राहुल द्रविड़

Third party image reference
भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़़ इस सूची में सबसे ऊपर हैं। अपने समय के भारतीय मध्यक्रम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज राहुल द्रविड़ विश्व के ऐसे एकलौते बल्लेबाज हैं जो कि 10 जनवरी से 2000 से लेकर 6 फरवरी 2004 तक लगातार 173 पारियों में शून्य पर आउट नहीं हुए।

2. सचिन तेंदुलकर

Third party image reference
विश्व क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को कहा जाता है, उन्होंने क्रिकेट के कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किए हुए हैं। वनडे क्रिकेट में सबसे अधिक 49 आैर टेस्ट क्रिकेट में 51 शतक लगाने सचिन एकलौते बल्लेबाज हैं। सचिन ने 23 जुलाई 2008 से लेकर 14 नवंबर 2013 तक कुल मिलाकर लगातार 136 पारियों में शून्य(0) आउट न होने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था।

3. एलेक स्टीवर्ट

Third party image reference
इंग्लैंड टीम के पूर्व दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ी एलेक स्टीवर्ट, जो कि अपनी टीम के सफलतम विकेटकीपर बल्लेबाज रहे हैं। एलेक ने 17 मार्च 1994 से लेकर 28 नवंबर 1998 तक लगातार 135 पारियों में शून्य पर आउट नहीं होने का रिकॉर्ड बनाया है।

4. कार्ल हूपर

Third party image reference
वेस्टइंडीज टीम के पूर्व दाएं हाथ के बल्लेबाज कार्ल हूपर ने ढेरों रिकॉर्ड बनाए हैं और भारत के खिलाफ अहम मैचों में भी हूपर ने बढ़िया खेल का प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने 06 दिसंबर 1997 से लेकर 23 फरवरी 2003 तक लगातार 122 पारियां खेली हैं, जिसमे से वे एक बार भी शून्य पर आउट नहीं हुए हैं।

5. जेरेमी कूनी

Third party image reference
न्यूजीलैंड टीम के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी जेरेमी कूनी कीवी टीम के सबसे शानदार बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। 09 जनवरी 1983 से लेकर 28 मार्च 1987 तक वह लगातार 117 परियों में शून्य पर आउट नहीं हुए थे।

सबसे ज्यादा गेंदे खेलकर 0 पर आउट होने वाले 5 बदनसीब भारतीय बल्लेबाज, चौथा नाम चौकाने वाला

टेस्ट क्रिकेट हो या एक दिवसीय क्रिकेट, क्रीज पर मौजूद हर बल्लेबाज का सबसे पहला मकसद जल्द से जल्द अपना पहला रन पूरा करना होता है। कोई बल्लेबाज अपना पहला रन छक्के, चौके या सिंगल ले कर पूरा करता है, या कोई बल्लेबाज कई गेंदे खेलकर भी पारी का पहला रन बनाने को तरस जाता है और अंत में अपना विकेट बिना कोई रन बनाये गवां देता है। इसका नवीनतम उदाहरण हम भारत और श्रीलंका टेस्ट सीरीज के पहले मैच में देख चुके हैं जब दिनेश कार्तिक काफी देर तक श्रीलंकाई गेंदबाजों के विरूद्ध अपना पहला रन बनाने के लिए संघर्ष करते दिखाई दिये थे। केवल दिनेश कार्तिक ही नहीं अन्य दिग्गज भारतीय बल्लेबाज भी ऐसी परिस्थितियों में फंस चुकें है। आइए एक नजर दौड़ते है उन भारतीय बल्लेबाजों पर जो सबसे ज्यादा गेंदे खेल कर भी बिना रन बनाये शुन्य पर आउट हो गए।

Copyright Holder: RunBhoomi
1. दिनेश कार्तिक- धर्मशाला में 10 दिसम्बर 2017 को खेले गए भारत-श्रीलंका एक दिवसीय सीरीज के पहले मैच में दिनेश कार्तिक अपने पहले रन की खोज में 18 गेंदे खेल गए पर अंत में उन्हें बिना अपना खाता खोले शून्य पर पवेलियन लौटना पड़ा।

2. एकनाथ सोलकर- इंग्लैंड के विरुद्ध 15 जुलाई 1974 को ओवल क्रिकेट ग्राउंड में खेले गए एक वनडे मैच के दौरान भारतीय बल्लेबाज एकनाथ सोलकर 17 गेंदे खेल कर भी अपनी पारी का पहला रन नहीं पाये और शुन्य पर आउट हो गए।

3. डब्ल्यू वी रमन- जोहेन्सबर्ग,13 दिसंबर 1992, जब दक्षिण अफ्रीका के विरूद्ध बल्लेबाजी करने मैदान में उतरे डब्ल्यू वी रमन ने 16 गेंदे खेली पर अपना पहला रन ढूंढने में वे नाकामयाब रहे और 0 पर अपना विकेट गवां दिया।

4. सौरव गांगुली- सबसे ज्यादा गेंदे खेलकर शुन्य पर आउट होने बल्लेबाजों में दादा का नाम भी शुमार है। सौरव गांगुली श्रीलंका के साथ कोलंबो में एक वनडे मैच के दौरान उस वक्त आउट हो गए जब वे 16 गेंदे खेलने के बाद अपने पहले रन की खोज में थे। अंत में उन्हें बिना कोई रन बनाये मैदान छोड़ना पड़ा।

5. भुवनेश्वर कुमार- भुवनेश्वर कुमार को उनकी स्विंग गेंदबाजी के साथ-साथ अच्छी बल्लेबाजी के लिए भी याद किया जाता है। पर 11 जुलाई 2013 को पोर्ट ऑफ स्पेन में श्रीलंका के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए भुवनेश्वर कुमार 15 गेंदे खेलकर भी अपना पहला रन बनाने में असफल रहे और शुन्य पर अपना विकेट खो दिया।

अगर हाल ही के मैच की बात करे तो दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए समय न मिल पाने के कारण दक्षिण अफ्रीका जैसे माहोल का आभास कराने के लिए भारत-श्रीलंका सीरीज में तेज पिच का निर्माण किया गया था। तब पहले वनडे मैच में 4 भारतीय बल्लेबाज शुन्य पर आउट हुए थे, जिसमे 18 गेंदों पर 0 शून्य रन बनाने वाले बल्लेबाज दिनेश कार्तिक भी शामिल थे। अब जब भारत को दक्षिण अफ्रीका की असली पिचों पर बल्लेबाजी करनी है तब क्या कार्तिक का ये रिकॉर्ड बच पाएगा या और कोई और अन्य भारतीय बल्लेबाज इस रिकॉर्ड को अपने नाम कर ले

वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट से रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाजों की सूची

भारत के कई खिलाड़ियों ने वनडे क्रिकेट में बड़ी तेजी से रन बनाए हैं | इसीलिए आज हम उन्हीं भारतीय बल्लेबाजों की बात करेंगे जिन्होंने वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं |

Third party image reference
भारत के युवा खिलाड़ी हार्दिक पांड्या ने अपने वनडे करियर में 118.73 की स्ट्राइक रेट से 602 रन बनाए हैं और इसी के साथ वह इस सूची में पहले स्थान पर हैं | यूसुफ पठान ने अपने वनडे करियर में 113.60 की स्ट्राइक रेट से 810 रन बनाए हैं और इसी के साथ वह इस सूची में दूसरे स्थान पर हैं | भारत के खिलाड़ी केदार जाधव इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने अपने वनडे करियर में 109.32 की स्ट्राइक रेट से 797 रन बनाए हैं |

Third party image reference
भारत के खिलाडी वीरेंद्र सहवाग इस सूची में चौथे स्थान पर हैं, जिन्होंने अपने वनडे करियर में 104.44 की स्ट्राइक रेट से 7995 रन बनाए हैं | भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव इस सूची में पांचवें स्थान पर हैं, जिन्होंने अपने वनडे करियर में 95.07 की स्ट्राइक रेट से 3783 रन बनाए हैं |

इन सब खिलाड़ियों के अलावा इस सूची में सुरेश रैना, शिखर धवन और विराट कोहली जैसे खिलाड़ी शामिल हैं | इन खिलाड़ियों के बारे में अपनी राय देने के लिए नीचे कमेंट करें और रोजाना क्रिकेट से जुड़ी कोई भी खबर पाने के लिए हमें फॉलो करें |

भारत केन्द्र सरकार की बड़ी जीत तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लोकसभा में पास

नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं के सम्मान और हक की एक जंग सुप्रीम कोर्ट के बाद अब लोकसभा में भी जीत ली गई है। तीन तलाक को गैरकानूनी ठहराने वाला विधेयक गुरुवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया।
इससे पहले सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की थी। राज्यसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल लेगा।
कांग्रेस के रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि वहां भी विधेयक पारित कराना बहुत मुश्किल नहीं होगा। सरकार के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक जीत भी होगी।
जब कभी मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण की चर्चा होगी, उस वक्त राजीव गांधी के समय शाहबानो मामला और मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का जिक्र जरूर होगा।
गुरुवार सुबह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पेश किया। राजनीतिक मजबूरी से ही सही एआइएम, मुस्लिम लीग, राजद, अन्नाद्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों को छोड़कर विधेयक का खास विरोध नहीं हुआ।
जाहिर तौर पर छोटे दल राजनीतिक लिहाज से अल्पसंख्यक मतों पर नजरें जमाए थे। लेकिन, कांग्रेस के लिए यह नामुमकिन था।
यही कारण है कि कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बाहर भले ही इसका विरोध किया, पार्टी ने सदन के अंदर इसका समर्थन किया। विधेयक पर चर्चा के दौरान संशोधन भी पेश किए गए। इसे स्थायी समिति में भेजने की मांग भी हुई। लेकिन, वह खारिज हो गई।
कांग्रेस की ओर से चर्चा में भाग लेते हुए सुष्मिता देव ने पीड़ित महिलाओं के लिए अलग से फंड बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है।
लेकिन, इस विधेयक पर विस्तृत विचार होना चाहिए। इसीलिए इसे स्थायी समिति को भेजना चाहिए। राजद के जयप्रकाश यादव ने तीन तलाक देने वालों के लिए तीन साल की सजा पर एतराज जताया।
ओवैसी सबसे ज्यादा मुखर विरोध में दिखे। उन्होंने इसे मूलभूत अधिकारों के खिलाफ बताते हुए सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाया। बीजद जैसे दलों के साथ-साथ उनका विरोध इस बात पर भी था कि जब तीन तलाक का अस्तित्व ही नहीं है, तो फिर विधेयक क्यों?
सरकार के लिए यह बड़ी राजनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। इसका एक संकेत सुबह ही भाजपा संसदीय दल की बैठक में भी दिखा था, जहां राजीव गांधी के काल में शाहबानो को न्याय नहीं मिलने की बात कही गई।
पिछले चुनावों में मुस्लिम महिलाओं का भाजपा की ओर झुकाव की बातें आती रही हैं। सख्त कानून जाहिर तौर पर एक अहम राजनीतिक मुद्दा हो सकता है।
इसलिए पड़ी कानून की जरूरत
विधेयक पर आपत्तियों का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया है। फिर भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सौ मामले सामने आए हैं। उन्होंने एक खबर का जिक्र करते हुए कहा कि एक महिला को इसलिए तलाक दे दिया गया, क्योंकि वह सुबह जल्द नहीं जगी।
ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए सजा का प्रावधान जरूरी है। मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ इस संवेदना को किसी भी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम देशों ने भी कानून बनाए हैं। ऐसे में क्या हमें आखें बंद कर लेनी चाहिए।
ऐसा होगा नया कानून
- मुस्लिम वुमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा।
- यह कानून सिर्फ एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत के मामलों में ही लागू होगा।
-कानून लागू होने के बाद एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी होगा। यह संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा।
-इसमें दोषी पति को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
-तीन तलाक का हर रूप चाहे वह लिखित हो, बोला गया हो या इलेक्ट्रॉनिक रूप में हो, गैरकानूनी होगा।
-पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट की अदालत में गुजारा भत्ता और नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांग सक