बुधवार, 8 मार्च 2017

कटप्पा खुद ही बताई दिहेन की बाहुबली के काहे मारेल

कटप्पा ने खुद बताया कि बाहुबली को क्यों मारा! News State 9 Mar. 2017 12:45 लोड करने के लिए क्लिक करें फाइल फोटो मुंबई: 'बाहुबली 2' का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि सबसे बड़े सवाल का जवाब इसी फिल्म में मिलेगा। यह सवाल है- कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? लेकिन एक इंटरव्यू में कटप्पा का किरदार निभा रहे सत्यराज ने खुद बताया कि आखिर उन्होंने बाहुबली को क्यों मारा था। साउथ सिनेमा के वेटरन एक्टर्स में शामिल सत्यराज (62) का असली नाम रंगराज सुब्बैया है। उन्होंने अब तक करीब 200 फिल्मों में काम किया है। सत्यराज ने फिल्म आलोचक अनुपमा चोपड़ा के कई सवालों के लाजवाब जवाब दिए। अनुपमा ने जब सत्यराज से पूछा कि कटप्पा ने आखिर बाहुबली को क्यों मारा? तो उन्होंने कहा, 'क्योंकि डायरेक्टर ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। इसलिए मैंने बाहुबली को मार डाला।' प्रभास, राणा दग्गुबाती, अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया, राम्या कृष्णन और सत्यराज जैसे सितारों के अभिनय से सजी 'बाहुबली 2' 28 अप्रैल को रिलीज होगी। 'बाहुबली' के पहले भाग को लोगों ने बहुत पसंद किया था। फिल्म भारतीय सिनेमा की आज तक की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक है।

आपन मिरजापुर के बारे सबकुछ

मिर्जापुर मिर्जापुर जिला मानचित्र मिर्जापुर जिला तथ्य राज्य उत्तर प्रदेश जिला मिर्जापुर जिला मुख्यालय मिर्जापुर जनसंख्या (2011) 2496970 विकास 0.18 लिंग अनुपात 903 साक्षरता 68.48 क्षेत्रफल (वर्ग किमी) 4522 घनत्व (/ वर्ग किमी) 561 तहसील चुनार, लालगंज, मरीहा, मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र मिर्जापुर विधानसभा क्षेत्र छंबे, चुनार, मझावन, मरीहा, मिर्जापुर भाषाएं हिंदी, उर्दू, अगरिया, अवधि नदियां गंगा अक्षांश-देशांतर 25.01344,82.655239 पर्यटन स्थल चुनार, विंधाचल मंदिर, तारकेश्वर महादेव, पुण्यजल नदी, नागकुंड, महा त्रिकोण, अश्टभुजा देवी मंदिर, शिवपुर सीता कुंड, कंती शरीफ, विंधाम झरना आदि सरकारी कॉलेज/विश्वविद्यालय नरात्तम सिंग पद्म सिंह शायकीय डिग्री कॉलेज श्रीमति इंहदरा गांधी राजकीय महाविद्यालय, केबी पीजी कॉलेज जीडी बिनानी पीजी कॉलेज कमला आर्य कन्या महाविद्यालय, वनस्थली महाविद्यालय, राजदीप महिला महाविद्यालय, लालता सिह राजकीय महिला महाविद्यालय, रामखिलावन सिंह पीजी कॉलेज श्री बोधना राम महाविद्यालय, श्री कृष्ण डिग्री महाविद्यालय, शिवलोक श्रीनेत महाविद्यालय, विंध्यवासिनी महिला महाविद्यालय आदि उत्तर प्रदेश के जिले अमरोहा गाज़ीपुर बलिया लखनऊ अमेठी गोंडा बस्ती ललितपुर अम्बेडकर नगर गोरखपुर बहराइच वाराणसी अलीगढ़ गौतम बुद्ध नगर बागपत शामली आगरा चंदौली बांदा शाहजहाँपुर आजमगढ़ चित्रकूट बाराबंकी श्रावस्ती इटावा जालौन बिजनौर संत कबीर नगर इलाहाबाद जौनपुर बुलंदशहर संत रविदास नगर उन्नाव झाँसी मऊ सम्भल एटा देवरिया मथुरा सहारनपुर औरैया पीलीभीत महाराजगंज सिद्धार्थ नगर कन्नौज प्रतापगढ़ महोबा सीतापुर कानपुर देहात फतेहपुर मिर्जापुर सुल्तानपुर कानपुर नगर फर्रुखाबाद मुजफ्फरनगर सोनभद्र कासगंज फिरोजाबाद मुरादाबाद हमीरपुर कुशीनगर फैजाबाद मेरठ हरदोई कौशाम्बी बदायूं मैनपुरी हाथरस लखीमपुर खीरी बरेली रामपुर हापुड़ गाजियाबाद बलरामपुर रायबरेली अंतिम संशोधन : जुलाई 12, 2016

दिनेश लाल (निरहुआ) क जिवनी

पाखी हेगड़े (अभिनेत्री) पत्नी पाखी हेगड़े (अभिनेत्री) बच्चे बच्चे आदित्य (सात वर्ष) और अमित (चार वर्ष) शौहरत वेतन 40 लाख / फिल्म (INR) दिनेश लाल यादव के बारे में कुछ विशेष जानकारियां दिनेश लाल यादव धूम्रपान करते हैं ?: ज्ञात नहीं दिनेश लाल यादव शराब पीते है ?: ज्ञात नहीं दिनेश भोजपुरी सिनेमा में सबसे अधिक महँगे अभिनेता है। निरहुआ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के एक लोकप्रिय अभिनेता और गायक है। निरहुआ को एक साल में 5 भोजपुरी हिट फिल्में देने का एक रिकॉर्ड है (पटना से पाकिस्तान, निरहुआ रिक्सेवाला 2, जिगरवाला, राजाबाबू और गुलामी)। 2012 में उन्हें Bigg बॉस 6 के लिए चुना गया था लेकिन 9 सप्ताह के बाद उन्हें निकलना पड़ा था। दिनेश को उनकी फिल्म निरहुआ हिंदुस्तानी के लिए BIFA 2015 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया था। दिनेश लाल की ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और फिजी यात्रा के पश्चात् उनका जीवन ही बदल गया परिणामस्यरूप उनके शो को एक बड़ी सफलता साबित हुई है। 2012 में उन्हें भोजपुरी फिल्म गंगा देवी में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का शौभाग्य प्राप्त हुआ। 2016 में उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में अपने योगदान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारती सम्मान पुरस्कार प्राप्त किया। प्रियंका चोपड़ा हॉट और सेक्सी अभिनेत्री के गुप्त रहस्य Sponsored Sponsored पढ़ने से ही खिल उठेगा आप का मन- अनार के अलौकिक गुण बादाम, सौन्दय, शीघ्र पतन एवं वीर्य की समस्या का समाधान कैसे करता है कडुवे बादाम की रामबाण दवा एवं अवगुण करुण नायर का कमाल रचा इतिहास एलर्जी लक्षण, कारण, इलाज Sponsored More from InfoHindi: रवि किशन की जीवनी – Ravi Kishan Biography in Hindi शाहरुख खान की जीवनी Shahrukh Khan Biography in Hindi कडुवे बादाम की रामबाण दवा एवं अवगुण Merit & Demerits of Almond मनोज तिवारी की जीवनी Manoj Tivari Biographi in Hindi प्रियंका चोपड़ा की जीवनी Priyanka Chopra Biography in Hindi राजनंदिनी मिस अर्थ इंडिया 2015| Biography of Rajnandini Borpuzari दीपिका पादुकोण की जीवनी Deepika Padukone Biography in Hindi प्रमोद तिवारी की जीवनी – Pramod Tiwari Biography in Hindi आराधना मिश्रा की जीवनी Aradhana Mishra Biography in Hindi जगेश्वर प्रसाद यादव की जीवनी Jageshwar Prasad Yadav Biography in Hindi Comments Comments Related Posts दीपा कर्माकर ओलिंपिक में रचा इतिहास Deepa Karmakar Bio सलमान खान की जीवनी Salman Khan Biography in Hindi प्रमोद तिवारी की जीवनी – Pramod Tiwari Biography in Hindi 4 Comments desh mukh Reply most welcome to dinesh lal Yadav snkiranyadav Reply Thank you Sandeep kumar Reply Aap ak ache Aavenata aap ka film dekhane me ve bahut maja lagta hai (sandeep kumar) (age/17sall) (class 10 roll 38)(school—s g b k sahu inter school warisaligang nawada)(haapey new year) snkiranyadav Reply Thank you Leave a Reply Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारत क्रिकेट कप्तान विराट कोहली के पाली उमिरकर अवार्ड से नवाजल गईल

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को सत्र में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बीसीसीआई के सालाना अवॉर्ड्स समारोह- 2017 में सम्मानित किया गया. कोहली को वर्ष 2015-16 के सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के लिए पॉली उमरीगर सम्मान से नवाजा गया. कोहली तीसरी बार ये सम्मान हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं. बंगलुरु में आयोजित समारोह में आर अश्विन को भी इस सत्र में शानदार प्रदर्शन और वेस्टइंडीज में 2016 के प्रदर्शन के लिए सीके नायडू पुरस्कार दिया गया. अश्विन ने चार टेस्ट मैचों में 17 विकेट हासिल किए थे. पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कोहली ने कहा कि उनके लिए पिछले 10 से 12 महीने शानदार रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा 'मैं इससे परेशान नहीं होता कि कौन क्या सोच रहा है, ड्रेसिंग रूम में भी यही सोच बनी है. हमने साथ में जीतना और हारना सीखा है'. कप्तान कोहली ने कहा 'मैं सभी प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता हूं.

जम्मू कश्मीर म आतंकियों के डीजी धमकी कहलन की परिवार हमार पास ही नाहीं तुम्हार पास भी हउअन

जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही हिंसा को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस अब सख्त रूप अपना सकती है. बुधवार को जम्मू-कश्मीर के डीजी एसपी वैद्य ने आतंकवादियों को चेतावनी देते हुए कहा कि वह पुलिसवालों के परिवारों को निशाना ना बनाये, याद रखें कि उनके भी परिवार हैं. अगर तुम हमारे परिवारवालों को नुकसान पहुंचाओगे तो हम भी तुम्हारे परिवार के साथ ऐसा ही करेंगे. जम्मू-कश्मीर के डीजी वैद्य ने कहा कि पुलिस के परिवार को इस लड़ाई में नहीं लाना चाहिए, अगर हमनें ऐसा किया तो उन्हें बुरा लगेगा. एसपी के परिवार को दी थी धमकी डीजी एसपी वैद्य का यह बयान उस वक्त आया है, जब कुछ आतंकवादियों ने एक पुलिसवाले के घर में घुस गए थे और उन्हें धमकाया था कि वह पुलिसवाला नौकरी छोड़ दे. बीते शनिवार लगभग 10 आतंकी शोपियां में एक डिप्टी एसपी के घर पहुंच गये थे, जहां उन्होंने एसपी के परिवार को धमकाया था. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक एसपी के परिवारवालों ने कहा कि आतंकी धमकी देते हुए यह कह रहे थे कि पुलिस हमारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही है साथ ही हमारी मदद करने वालों को भी नुकसान पहुंचा रही है. यह उसी का बदला है.

पंचायत भवन के बार मे जान ल लोग

Home About us Act & Rules PR Policy RTI Service Rules GO'S P. Elections Contact us Website is under mentainence. Login will available soon पंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज अधिनियमों अर्थात् उ.प्र. पंचायत राज अधिनियम-1947 एवम् उ.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1961 में अपेक्षित संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक विकेन्द्रीकरण एवं प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था जिसके द्वारा की गई संस्तुतियों के अध्ययनोंपरान्त तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति (एच.पी.सी.) द्वारा वर्ष 1997 में 32 विभागों के कार्य चिन्हित कर पंचायती राज संस्थाओं को हस्तान्तरित करने की सिफारिश की गयी थी। प्रदेश सरकार संवैधानिक भावना के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार एवं दायित्व सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध है। अधिक पढ़ें.. विभागीय दस्तावेज Circulars Budgets Forms Letters Office Orders Tenders SRC 8th Meeting Minutes 28 Dec, 2016 (RGPSA) Minutes of State Executive Committee Minutes of Meeting of State Review Meeting held on 22-12-2015 Minutes of Meeting of State Review Meeting held on 11-1-16 Dr. Ram Manohar Lohia Samagra Date 13 June, 2013 Questionnaire of panchayat empowerment and accessibility incentive scheme for Gram Panchayat more.. उत्तर प्रदेश में पंचायतीराज विभाग द्वारा क्रियान्वयित योजनायें पंचायती राज विभाग के अंतर्गत क्रियान्वित योजनायें 1. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) 2. पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (BRGF) 3. राजीव गाँधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान (RGPSA) 4. डा० राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना 5. पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (PSP) 6. राज्य वित्त आयोग (SFC) 7. अंत्येष्टि स्थलों का विकास (ग्रामीण) 8. ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) 9. 14वां वित्त आयोग 10. सेनेटरी नैपकिन 11. पंचायत उद्योग 12. पंचायत भवन Plan Plus Reports Plan Plus Monitoring Report Plan Plus Defaulters Report 14th FC Reports 14th FC Details Search This Site Click here to Search CLTS Community-Led Total Sanitation (CLTS) समाचार एवं घटनाक्रम सरकारी कर्मचारी के मान्यता प्राप्त सेवा संघो के पदाधिकारीयों अध्यक्ष एवं सचिव दो पदाधिकारियों को विशेष आकस्मिक अवकाश की अवधि 14 दिवस से 30 दिवस की जाती है। Revised List of new Panchayat Secretaries posting details of Barabanki List of new Panchayat Secretaries posting details. District wise allotment of Fourteenth Finance Commission (14 FC) basic grant Block and Gram Panchayat wise 1st intalment of Fourteenth Finance Commission (14 FC) basic grant more.. नागरिक चार्टर नागरिक चार्टर प्रशाशनिक ढांचा विभागीय प्रशाशनिक ढांचा (pdf) पंचायती राज आधिकारिक संपर्क Designation Wise Contacts District Wise Contacts Contacts Lists (Pdf) Contacts of PR Functionary & Members हिंदी उपयोगिता Hindi Writing Kruti-Dev to Unicode Translation Tool

पंचायत उघोग के बारे मे जान ल लोग

Act & Rules PR Policy RTI Service Rules GO'S P. Elections Contact us Website is under mentainence. Login will available soon ग्राम पंचायतों की संयुक्त समितियों द्वारा संचालित पंचायत उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की अर्थव्यवस्था को नयी दिशा देने, उन्हें आय के निजी स्त्रोत प्रदान करने एंव ग्रामीण अर्थ एवं बेरोजगारी की स्थिति पर प्रभावी नियंत्रण आदि के उद्देश्य से पंचायती राज विभाग द्वारा प्रदेश की गांव पंचायतों के निजी प्रयत्नों से पंचायत उद्योगों का एक मौलिक एंव देश में अपने ढंग का अग्रणी कार्य क्रम क्रि यान्वित किया जा रहा है। प्रदेश में पंचायत उद्योगों की अग्रगामी योजना का सूत्रपात वर्ष 1961 में चिनहट पंचायत उद्योग, लखनऊ की स्थापना से पचंायत राज अधिनियम 1947 की धारा 30 की व्यवस्थाओं के अन्तर्गत किए गये प्राविघानों के अनुसार दो या दो से अधिक ग्राम पंचायतों के एक लिखित विलेख द्वारा स्थापित करके किया गया था। वर्तमान में प्रदेश में 805 पंचायत उद्योग कार्य कर रहे हैं। जनपदवार पंचायत उद्योगों की संख्या परिशिष्ट-8 पर संलग्न है। पंचायत उद्योगों के उत्पादन कार्य को आगे बढानें की दृष्टि से प्रदेश के प्रत्येक जनपद-मुख्यालय पर केन्द्रीय प्रिंटिग प्रेस की स्थापना का निर्णय लिया गया। वर्त मान में प्रदेश के 43 जनपदों में 46 प्रिंटिग प्रेस स्थापित हंै। जनपदवार प्रिन्टिग पे्रसों की स्थिति परिशिष्ट-9 पर संलग्न है। पंचायत उधोगो में किये जाने वाले कार्य इन उद्योगों द्वारा लकड़ी तथा स्टील के फर्नीचर जैसे - कुर्सी, मेज, आलमारी, रैक, बुक-केसेज, टावल स्टैण्ड, तख्त, डेस्क, ब्लैक बोर्ड, पलंग, चकला, बेलन, खिड़की, चारपाई के पाये, सोफा सेट, नाव, बैलगाड़ी, डनलप गाडी की बाडी, शौचालय सेट, हयूम पाइप, नांद, सीमेंट की नाली, वाशबेसिन, सीमेन्ट के ब्लाक, कुदाल, खुरपा, फावड़ा, बाल्टी, पावर थे्रशर, हंगडा तथा अन्य विभिन्न प्रकार के सामान, हजारा ग्रेनविन, आलमारी रैक, फ्रुटसेफ, पानी की टंकी, टब आदि बनाने का कार्य सम्पन्न हो रहा है। इसके अतिरिक्त थैले, टाटपट्टी, पैकिंग, केसेज, चक्की आटा पत्थर, टोकरी, रिगांल की चटाई, पत्थर की स्लेट व सीमेन्ट के चैके, कोल्हू, तेल की धानी, जूते चप्पल, बुग्गी, साबुन, फाइल कवर, निवाड़, छपाई के लिए प्रिटिंग प्रेस, लकड़ी के खिलौने, बेसिक पाठशालाओं में प्रयोग आने वाला समस्त साज-सज्जा का सामान आदि का उत्पादन किया जाता है। पंचायत उद्योगों द्वारा वर्ष 1961-62 से पंचायत राज अधिनियम के अन्तर्गत संयुक्त समितिया स्थापित करके कारोबार प्रारम्भ किया और उत्तरोत्तर उनके कारोबार में वृद्धि होती गयी। वर्ष 1976 में पंचायत उद्योगों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन के आदेश संख्या - 5038 ग/33-371-74 दिनांक 16 जुलाई, 1976 के अंतर्गत पंचायत उद्योग द्वारा निर्मित वस्तुओं को समस्त सरकारी विभागों एवं अर्द्धसरकारी विभागों को पंचायत उद्योगों से सामान क्रय करने के लिए टेण्डर या कोटेशन आदि मांगने से अवमुक्त करते हुए निर्देश जारी किये गए हैं। शासन ने पंचायत उद्योगों द्वारा उत्पादित सामान की बिक्री के लिए टेण्डर कोटेशन से छूट प्रदान करते हुए यह स्पष्ट आदेश दिए हैं कि प्र देश के समस्त विभागों, पंचायती राज संस्थाओं, स्थानीय निकायों, निगमों और बेसिक शिक्षा संस्थाओं आदि द्वारा अपनी साज-सज्जा आदि की सामग्री इन पंचायत उद्योगों से ही क्रय की जाये। सम्बंधित दस्तावेज एवं शासनादेश उत्तर प्रदेश में पंचायत उद्योगों द्वारा उत्पादित एवं पूर्ती की जाने वाली वस्तुओ की सूची (प्रमुख शासनादेश) - 1990 तक संशोधित उत्तर प्रदेश में पंचायत उद्योगों द्वारा उत्पादित एवं पूर्ती की जाने वाली वस्तुओ की सूची (प्रमुख शासनादेश) - 1992-93 तक संशोधित

ऊत्तर प्रदेश ग्राम पचांयत बारे मा

Website is under mentainence. Login will available soon विभाग के बारे में पंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज अधिनियमों अर्थात् उ.प्र. पंचायत राज अधिनियम-1947 एवम् उ.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1961 में अपेक्षित संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक विकेन्द्रीकरण एवं प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था जिसके द्वारा की गई संस्तुतियों के अध्ययनोंपरान्त तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति (एच.पी.सी.) द्वारा वर्ष 1997 में 32 विभागों के कार्य चिन्हित कर पंचायती राज संस्थाओं को हस्तान्तरित करने की सिफारिश की गयी थी। प्रदेश सरकार संवैधानिक भावना के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार एवं दायित्व सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध है। पंचायती राज व्यवस्था का संक्षिप्त इतिहास (ग्राम पंचायतें अतीत से वर्तमान तक) भारत के प्राचीनतम उपलब्ध ग्रन्थ ऋग्वेद में ‘सभा’ एवम् ‘समिति’ के रूप में लोकतांत्रिक स्वायत्तशासी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। इतिहास के विभिन्न अवसरों पर केन्द्र में राजनैतिक उथल पुथलों के बावजूद सत्ता परिवर्तनो से निष्प्रभावित रहकर भी ग्रामीण स्तर पर यह स्वायत्तशासी इकाइयां पंचायतें आदिकाल से निरन्तर किसी न किसी रूप में कार्यरत रही हैं। उत्तर प्रदेश मे पंचायतों के विकास का प्रथम चरण (1947 से 1952-53) संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम 1947 दिनांक 7 दिसम्बर, 1947 ई0 को गवर्नर जनरल द्वारा हस्ताक्षरित हुआ और प्रदेश में 15 अगस्त, 1949 से पंचायतों की स्थापना हु ई। इसके बाद जब देश का संविधान बना तो उसमें पंचायतों की स्थापना की व्यापक व्यवस्था की गई। संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद- 40 में यह निर्देश दिये गये हैं कि राज्य पंचायतों की स्थापना के लिए आवश्यक कदम उठायें और ग्रामीण स्तर पर सभी प्रकार के कार्य एवं अधिकार उन्हें देने का प्रयत्न करें। 15 अगस्त, 1949 से उत्तर प्रदेश की तत्कालीन पाच करोड़ चालीस लाख ग्रामीण जनता को प्रतिनिधित्व करने वाली 35,000 पंचायतों ने कार्य करना प्रारम्भ किया। साथ ही लगभग 8 हजार पंचायत अदालतें भी स्थापित की गई । सन् 1951-52 में गाव सभाओं की संख्या बढ़कर 35,943 तथा पंचायत अदालतों की संख्या बढ़कर 8492 हो गई। 1952 से पंचायतों ने ग्रामीण जीवन में सुनियोजित स्तर पर राष्ट्र निर्माण का कार्य करना आरम्भ किया। इस वर्ष पहली पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ हुई। योजना की सफलता के लिए शासन द्वारा पंचायत अदालत स्तर पर विकास समितियों के सदस्य मनोनीत किए गये। ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत मंत्री, विकास समितियों का भी मंत्री नियुक्त किया गया। जिला नियोजन समिति में भी प्रत्येक तहसील से एक प्रधान मनोनीत किया गया। 1952-53 में जमींदारी विनाश के पश्चात गाव समाज की स्थापना हुई और गाव सभाओं के अधिकार बढ़ाये गये। पंचायतों के विकास का दूसरा चरण (1953-54 से 1959-60) 1953-54 में पंचायतों की सक्रियता एवं विभिन्न विकास सम्बन्धी कार्यक्र मों में उनका सहयोग बढ़ाने के लिए विधान सभा के सदस्यो की एक समिति नियुक्त की गयी। इस समिति के सुझावों को दृष्टि में रखकर पंचायत राज संशोधन विधेयक तैयार किया गया जो पंचायतों के अगले दूसरे आम चुनाव में क्रियान्वित हुआ। 1955 में पंचायतों का दूसरा आम चुनाव सम्पन्न हुआ। जिसमें गांव सभा व गांव समाज के क्षेत्राधिकार को एक कर दिया गया। 250 या इससे अधिक जनसंख्या वाले हर गांव में गांव सभा संगठित करते हुए दूसरे आम चुनाव में गांव पंचायतों की संख्या बढ़कर 72425 हो गयी। 1957-58 में पंचायतों के क्षेत्रीय परिवर्तन के कारण उनकी संख्या 72425 के स्थान पर 72409 ही रह गयी जबकि न्याय पंचायतों की संख्या 8585 1थी। 1955 के चुनाव के बाद पंचायत अदालतों का न्याय पंचायत नामकरण किया गया है। वित्तीय वर्ष 1959-60 पंचायतों का कृषि विषयक कार्यो की दृष्टि से उल्लेखनीय वर्ष रहा है। इस वर्ष पंचायतों ने खाद्यान्न की उपज बढ़ाने के लिए चलाये गये रबी और खरीफ आन्दोलनों में विशेष उत्साह का प्रदर्शन किया। इस उद्देश्य से अधिकांश गाव सभाओं में कृषि समिति की स्थापना की गयी। पंचायतों के विकास का तीसरा चरण (1960-61 से 1971-72) वर्ष 1960-61 में गावों को आत्मनिर्भर तथा सम्पन्न बनाने के उद्देश्य ग्राम पंचायत क्षेत्रों में कृषि उत्पादन तथा कल्याण उपसमितियो का गठन गाव सभा स्तर पर किया गया। इसी वर्ष पंचायत राज अधिनियम में संशोधन द्वारा गांव पंचायतों तथा न्याय पंचायतों की चुनाव पद्धति में आंशिक परिवर्तन किया गया जिसके अनुसार गांव सभा के प्रधान का चुनाव गुप्त मतदान प्रणाली द्वारा किए जाने का निश्चय हुआ। 10 फरवरी, 1961 ई0 से 7 फरवरी, 1962 ई0 के मध्य पंचायतो का तृतीय सामान्य निर्वाचन सम्पन्न हुआ। श्री बलवन्त राय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार के निर्देशानुसार सत्ता के विकेन्द्रीकरण के सिद्धान्तों के अनुरूप उत्तर प्रदेश क्षेत्र समिति एवं जिला परिषद अधिनियम 1961 ई0 क्रियान्वित किया गया। इस अधिनियम के अनुसार प्र देश में गांव सभा, क्षेत्र समिति तथा जिला परिषद की इकाईयों को एक सूत्र में बाधा गया और प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था प्रारम्भ हुई। पंचायतों के तीसरे आम चुनावों के पश्चात् प्रदेश में गांव पंचायतों की संख्या 72233 तथा न्याय पंचायतों की संख्या 8594 थी। पंचायतों के विकास का चैथा चरण (1972-73 से 1981-82) वर्ष 1972-73 में पंचायतों के चैथे आम चुनाव सम्पन्न हुऐ। उस समय प्रदेश में गांव पंचायतो की संख्या 72834 और न्याय पंचायतों की संख्या 8792 थी। 30 अक्टूबर 1971 में विभाग के ग्राम स्तरीय कार्य कर्ता पंचायत सेवकों के शासकीय कर्मचारी हो जाने के उपरान्त गावं पंचायतों की गतिविधियों में अपेक्षित सुधार हुआ और तदुपरान्त बड़ी द्रुत गति से गांव पंचायतों अर्थात् ग्रामोपयोगी सत्ता की जड़ें गहरी जमने लगी। वर्ष 1981-82 के अन्त तक कतिपय संशोधन के फलस्वरूप प्रदेश में 72809 गांव पंचायतें तथा 8791 न्याय पंचायतें कार्यरत रहीं। गांव पंचायतों का पाचवा सामान्य निर्वाचन वर्ष 1972-73 के उपरान्त मार्च 1982 से जुलाई, 1982 के मध्य सम्पन्न हुआ। इस सामान्य निर्वाचन में गांव सभाओं की संख्या 74,060 थी। इन चुनावों में उनके मतदाताओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गयी। पंचायतों के विकास का पाचवां चरण (1983-84 से 1992-93) वर्ष 1988 में ग्राम पंचायतों का छठा सामान्य निर्वाचन सम्पन्न हुए। 1988 में ही पंचायत राज अधिनियम में संशोधन कर यह व्यवस्था की गयी कि गाव पंचायतों के सदस्य पदों पर 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व महिलाओं को प्राप्त होना चाहिए। साथ ही यह भी व्यवस्था की गयी कि प्रत्येक गांव पंचायत में कम से कम एक अनुसूचित जाति की महिला को प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाय। इस आम चुनाव में गांव पंचायतों की संख्या 73927 तथा न्याय पंचायतों की संख्या 8814 थी, जिसमें महिला प्रधानों की संख्या 930 तथा महिला सदस्यों की संख्या 1,50,577 थी 2जिसमें अनुसूचित जाति की महिला सदस्यों की संख्या 65937 थी। वर्ष 1989 में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार और अल्प रोजगार वाले पुरूषों एवं महिलाओं के लिए लाभकारी रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से जवाहर रोजगार योजना प्रारम्भ की गयी। इस यो जना के कार्या न्वयन का भार गांव पंचायतों को सौंपा गया। ग्राम पंचायतों के विकास का छठवा चरण (1993-94 से) भारतीय संविधान के निर्माण के समय ही राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के अन्तर्गत अनुच्छेद - 40 में आधारभूत स्तर पर पंचायतो को मान्यता देते हुए यह कहा गया कि राज्य गांव पंचायतों को संगठित करने के लिए उपाय करेगा और उन्हें ऐसी शक्तिया और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाई के रूप कार्य करने के लिए आवश्यक हैं। वर्ष 1994 में देश की गाव पंचायतो को संविधानिक इकाई मानते हुए स्वशासी संस्था के रूप मे स्थापित करने, उनमें एकरूपता लाने, निश्चित समय पर उनके चुनाव सुनिश्चित कराने, आर्थिक रूप से उन्हें सुदृढ़ करने तथा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देने के उद्देश्य से 72वा संविधान संशोधन लोकसभा में प्रस्तुत किया गया जो बाद में 73वा संविधान संशोधन 1992 के रूप में 24 अपै्रल, 1993 से सम्पूर्ण देश में लागू हुआ। 73वें संविधान संशोधन के अनुक्रम में प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पंचायत विधि (संशोधन) विधे यक 1994 पारित किया गया, जो 22 अपै्रल, 1994 से प्रदेश में प्रवृत हुआ। जिसमें संयुक्त प्रान्त पंचायत राज अधिनियम 1947 तथा उत्तर प्रदेश क्षेत्र समिति तथा जिला परिषद अधिनियम 1961 में संशोधन कर राज्य में तीनों स्तर की पंचायतो (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत) में एकरूपता लाते हुए निम्नलिखित व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है:- 1. पंचायतों का संगठन और संरचना 2. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग तथा महिलाओं के लिए आरक्षण 3. पंचायतों का निश्चित कार्यकाल, 4. पंचायतों के कृत्य, शक्तिया और उत्तरदायित्व का विस्तार 5. राज्य निर्वाचन आयोग का गठन 6. राज्य वित्त आयोग की स्थापना उपर्युक्त व्यवस्थाओं के अन्र्तगत यथासम्भव 1000 की आबादी पर ग्राम पंचायतों का गठन, संविधानिक व्यवस्थाओं के अनुरूप आबादी के प्रतिशत के आधार पर पंचायती राज के प्रत्येक स्तर पर अध्यक्ष पदों एवं सदस्यों के स्थानों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग ( 27 प्रतिशत से अनधिक ) एवं प्रत्ये क वर्ग में महिलाओं के लिए एक तिहाई अन्यून पदों एवं स्थानो पर आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पंचायतों का कार्य काल 5 वर्ष हो एवं वह उसे पूरा कर सकें। संविधान एवं राज्य के पंचायत राज अधिनियमों मे किये गए प्राविधानो के अनुसार प्रदेश में अधिसूचना दिनांक 23 अप्रैल, 1994 के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है और वर्ष 1994 से राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में 73वां संविधान संशोधन के अनुरूप त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन सम्पन्न कराये जाते हैं। Documents & Reports No Document Uploaded Yet. Plan Plus Reports Plan Plus Monitoring Report Plan Plus Defaulters Report 14th FC Reports 14th FC Details Search This Site Click here to Search CLTS Community-Led Total Sanitation (CLTS) समाचार एवं घटनाक्रम सरकारी कर्मचारी के मान्यता प्राप्त सेवा संघो के पदाधिकारीयों अध्यक्ष एवं सचिव दो पदाधिकारियों को विशेष आकस्मिक अवकाश की अवधि 14 दिवस से 30 दिवस की जाती है। Revised List of new Panchayat Secretaries posting details of Barabanki List of new Panchayat Secretaries posting details. District wise allotment of Fourteenth Finance Commission (14 FC) basic grant Block and Gram Panchayat wise 1st intalment of Fourteenth Finance Commission (14 FC) basic grant more.. नागरिक चार्टर नागरिक चार्टर प्रशाशनिक ढांचा विभागीय प्रशाशनिक ढांचा (pdf) पंचायती राज आधिकारिक संपर्क Designation Wise Contacts District Wise Contacts Contacts Lists (Pdf) Contacts of PR Functionary & Members हिंदी उपयोगिता Hindi Writing Kruti-Dev to Unicode Translation Tool National Websites National Portal - India Ministry of Comm. & IT Portal for Public Grievances Government Web Guidelines National Knowledge Network e-Governance Sites Election Commission of India Chief Electoral Officer - U.P. Lokvani Budget Srishti(GIS-UP) Citizen Services e-District Jan Seva Kendra Scholarship System Tax Department e-Tendering System Court Cases State at a Glance Governor Chief Minister Raj Bhawan UP Vidhan Sabha UP AIDS Control New Released Invest India e-Governance Standards Election Commission of India

मजाक मस्ती

हम अपने घर से मेला जात रहेन एक आदमी अपने चार पाच लोग के लईके बिच सड़क पर बात करत रहल जब हम उन लोग के पास पहुचेल,त हम बोले अ वे ये हिरोइन साईड मे होकर बात कर ,त वो हट गईल आउर हम जाय लगे कि पिछे से फिर आवाज आईल अ वे ओ रूक  उ हमरे पास आईल ,आउर पुछलेस अ वे ये हमके हिरोइन काहे बोलले बे,त हम बोलली कि अ बे ये पिक्चर देखले कि ना,त ऊ बोलल हा त ,त हम बोलली कि पिक्चर मा हरदम हिरोइन तकलीफ देलीन तु भी बिच सड़क पर खड़ा होकर तकलीफ देत रहले त तोके हिरोइन ना त हीरो बोलब ,ईतना कहके हम चल गईली,त उनकर दोस्त लोग कहलेन कि मालिक बात मे 100 टका दम बा