बुधवार, 15 मार्च 2017

बाहुबली :द कन्क्लूजन ,का ट्रेलर आज रिलीज कर दिया गया |

बाहुबली: द कन्क्लूजन' का ट्रेलर आज रिलीज कर दिया गया है. फिल्म का ट्रेलर चार भाषाओं तेलुगू, हिंदी, तमिल और मलयालम में रिलीज किया गया है. फिल्म के निर्माता ट्रेलर से पहले ही प्रशंसकों को इसका मोशन पोस्टर्स और टीजर दिखा चुके हैं. करण जौहर ने फिल्म का ट्रेलर ट्वीट किया है. #Baahubali2Trailer https://t.co/53YkDNxqkh @ssrajamouli #Arka #AAFilms @dharmamovies #Prabhas @RanaDaggubati — Karan Johar (@karanjohar) March 16, 2017 ट्रेलर शानदार है. लेकिन ट्रेलर देख दर्शकों को अभी भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा' ? ट्रेलर में बेहतरीन लोकेशन्स, वार सीन्स और शानदार विजुअल इफेक्ट्स दिखाए गए हैं. फिल्म का ट्रेलर 2 मिनट और 24 सेकेंड लंबा है. ट्रेलर की शुरुआत में अमरेद्र बाहुबली माहिष्मती राज्य की रक्षा की शपथ लेते नजर आते हैं और कहते हैं इसके लिए वो जान भी दे देंगे. फ्लैशबैक में अमरेंद्र बाहुबली और देवसेना यानी प्रभास और अनुष्का की लव स्टोरी दिखाई देती है. ट्रेलर में बाहुबली कटप्पा से कहता भी है कि अगर वह उनके साथ हैं तो कोई नहीं मार सकता. फिल्म के डायरेक्टर एस. एस. राजमौली हैं. इसमें प्रभास मुख्य भूमिका में नजर आएंगे और उनके साथप्रभास, राणा दग्गुबाती, तमन्ना भाटिया, अनुष्का शेट्टी, सत्यराज और राम्या कृष्णन जैसे सितारे हैं. यह फिल्म 28 अप्रैल, 2017 को रिलीज होगी.

एंड्राइड स्मार्टफोन के ये महत्वपूर्ण कोड आपको जरुर पता होना चाहिये |

अकसर हम जब नया फ़ोन लेने जाते है तो फ़ोन के कॉन्फ़िगरेशन को चेक करने के लिए हम घंटो समय लगाते है क्योंकि हर फ़ोन का इन्टरफेस अलग अलग होता है और हर एक फ़ोन का सेटिंग मेन्यु अलग होता है. इस लिए हमको फ़ोन के बारे जानने के लिए सेटिंग में जा कर देखना पड़ता है जिसमें बहुत ज्यदा टाइम लगता है. इस लिए हम आपको कुछ ऐसे कोडस लाए है जो सभी एंड्राइड डिवाइस के लिए कॉमन है, ये कोड सभी डिवाइस में काम करते है. इन कोड्स को फ़ोन के डायलर में सीधे टाइप करने पर ये डिवाइस की सुचना आपको आपके डिस्प्ले पर दिखा देते हैं. इसके साथ साथ कुछ एसे कॉमन कोड्स भी है जिनको आप डेली यूज़ कर सकते है. इन सभी कोड्स की लिस्ट हमने आपके लिए तैयार की है. जो नीचे दी गयी है एंड्रायड सीक्रेट कोड्स *#*#4636#*#* फ़ोन के बारे में इनफार्मेशन, बैटरी, बैटरी स्टेटिस्टिक्स *#*#7780#*#* फैक्ट्री रिसेट *2767*3855# फ़ोन का पूरा वाइप और फ्रिमवेयर का रिइनस्टॉल *#*#34971539#*#* कैमेरा की जानकारी *#*#7594#*#* पॉवर बटन कॉन्फ़िगरेशन *#*#273283*255*663282*#*#* मीडिया फाइल के जल्दी बैकअप के लिए *#*#197328640#*#* सर्विस एक्टिविटी के लिए टेस्ट मोड *#*#232339#*#* OR *#*#526#*#* वायरलेस लेन टेस्ट *#*#232338#*#* वाई फाई मैक एड्रेस *#*#1472365#*#* क्विक GPS test *#*#0*#*#* LCD डिस्प्ले टेस्ट *#*#0673#*#* OR *#*#0289#*#* ऑडियो टेस्ट *#*#0842#*#* वाइब्रेशन और बैकलाइट टेस्ट *#*#2664#*#* टच स्क्रीन टेस्ट *#*#0588#*#* प्रोक्सिमिटी टेस्ट *#*#3264#*#* रैम वर्शन *#*#232337#*# ब्लूटूथ डिवाइस एड्रेस की जानकारी *#*#8255#*#* गूगल टॉक सर्विस मोनिटरिंग *#*#4986*2650468#*#* PDA, फ़ोन, हार्डवेयर , RF कॉल डेट फर्मवेयर की जानकारी *#06# IMEI नंबर " - एंड्रायड स्‍मार्टफोन के ये महत्वपूर्ण सीक्रेट कोड आपको जरूर पता होने चाहिए! http://tz.ucweb.com/3_10R2A

चीन को पछाड़ने के लिए उत्तर प्रदेश को गुजरात बनना जरुरी

दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति चीन सुस्ती के दौर से गुजर रही है. लगातार 30 साल तक 10 फीसदी की विकास दर दर्ज करने वाले चीन को आर्थिक शक्ति बनाने में उसके कुछ प्रोविंसेस की अहम भूमिका रही है. देश की जीडीपी में इन राज्यों का सर्वाधिक योगदान भी है. खास बात यह है कि आर्थिक आंकड़ों को देखकर साफ है कि ये प्रोविंस चीन की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं और इस घनी आबादी के सहारे ही चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सफल हुआ है. भारत में जनसंख्या के हिसाब से सर्वाधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश है. लिहाजा चीन जैसी अर्थव्यवस्था को पकड़ने और उसे पछाड़ने के लिए जरूरी है कि भारत में भी आर्थिक विकास के केन्द्र में उत्तर प्रदेश रहे. चीन के आंकड़ों में देखिए क्यों यूपी का गुजरात बनना जरूरी 1. चीन के आर्थिक नक्शे के मुताबिक दो प्रमुख क्षेत्र ईस्ट चीन और साउथ सेंट्रल चीन में देश की कुल जनसंख्या की 61 फीसदी से अधिक आबादी है (38 करोड़ जनसंख्या दोनों क्षेत्र में). इस क्षेत्र में चीन के 6 अहम राज्य है जो आबादी के मुताबिक देश के सबसे बड़े प्रोविंस(राज्य) हैं. 2. बीते 30 साल से (1978-2008) इन प्रोविंसस ने चीन को डबल डिजिट ग्रोथ(10 फीसदी से अधिक) देकर उसे दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाया है. इस क्षेत्र में अहम 6 अहम प्रोविंस ग्वांगदोंग, जियांग्सू, शानदोंग, झेनजियांग, हेनान और सिचुआन है. 3. चीन ने भारी जनसंख्या वाले इन 6 प्रोविंसेस को लगातार 30 साल तक अपनी आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र में रखा. इन्हीं राज्यों में लगी फैक्ट्रियों ने चीन को दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाया. चीन की एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था इन्हीं प्रोविंसेस से संचालित होती रही. 4. 2008 में वैश्विक मंदी के बाद से लगातार चीन के विकास दर में गिरावट दर्ज हो रही है. फिलहाल चीन की आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी पर पहुंच चुकी है और चीन सरकार का दावा है कि उसके द्वारा चलाए जा रहे बड़े आर्थिक सुधारों के चलते अगले 5 साल तक चीन की आर्थिक विकास दर 6 फीसदी से अधिक और 7 फीसदी से कम रहेगी. 5. इसके बाजवूद चीन की घनी आबादी वाले ये 6 प्रोविंस अभी भी 8 फीसदी से अधिक की विकास दर के साथ आगे बढ़ रहे हैं. गौरतलब है कि चीन अभी भी वैश्विक विकास का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. अकेले चीन की अर्थव्यवस्था से दुनिया की अर्थव्यवस्था का 40 फीसदी हिस्सा आता है. 6. वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन को पकड़ने अथवा पिछाड़ने के लिए जरूरी है कि भारत में घनी आवादी वाले राज्यों को आर्थिक विकास की मुख्यधारा में रखा जाए. बीते एक दशक से अधिक समय से यदि गुजरात 10 फीसदी से अधिक गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी है, तो विश्व शक्ति बनने के लिए जरूरी है कि गुजरात जैसी रफ्तार देश के उन राज्यों को मिले जहां आबादी घनी है.

युपी को कैसे बनायगें मोदी गुजरात ,ईन 6 छ: बातों पर रखनी होगी नीव

उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को राज्य के वोटरों ने एक बार फिर अप्रत्याशित बहुमत दिया है. इससे पहले प्रदेश के वोटरों 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 80 में से 73 सीटों पर जीत दी थी. अब राज्य की 403 सदस्यों की विधानसभा में बीजेपी के पक्ष में 325 सदस्य हैं. यह बहुमत प्रदेश ने प्रधानमंत्री मोदी के उस वादे पर दिया है जहां वह आर्थिक तौर पर पिछड़े और बिमारू राज्य कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश को देश के सबसे अग्रणी राज्य गुजरात के मॉडल पर विकसित करेंगे. अब प्रदेश में बनने वाली नई सरकार चुनावी वादे को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाएगी. लेकिन आम आदमी को बस ये 6 आंकड़े बताएंगे कि कैसे उत्तर प्रदेश बनेगा गुजारत: 1. जीएसडीपी: आर्थिक आंकड़ों में गुजरात देश का अग्रणी प्रदेश है. देश की कुल जनसंख्या के महज 5 फीसदी जनसंख्या वाला गुजरात देश की जीडीपी में 7.6 फीसदी (11 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का योगदान करता है. वहीं उत्तर प्रदेश की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या से 16 फीसदी अधिक है और जीडीपी में उसका योगदान 8 फीसदी (12 लाख करोड़ रुपये) के आसपास है. जहां गुजरात 2004-05 से 2014-15 के दौरान 12 फीसदी विकास दर से साथ आगे बढ़ा वहीं वहीं इस दौरान उत्तर प्रदेश महज 6 फीसदी की ग्रोथ दे पाया है. 2. प्रति व्यक्ति आय: देश के कुल वर्कफोर्स का 10 फीसदी और कुल एक्सपोर्ट का 22 फीसदी गुजरात से होता है. दोनों राज्यों की आर्थिक स्थिति का अंदाजा प्रति व्यक्ति योगदान से लगता है. जहां गुजरात में प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 1,41,405 रुपये है वहीं उत्तर प्रदेश में यह महज 49,450 रुपये है. 3. फैक्ट्री: इंडस्ट्री के मामले में गुजरात केमिकल्स, पेट्रोकेमिकल, डेयरी, ड्रग्स और फार्मा, सीमेंट और सिरेमिक्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग में अग्रणी राज्य है. प्रदेश में 800 बड़ी फैक्ट्रियों के साथ 4 लाख 53 हजार से अधिक स्मॉल और मीडियम फैक्ट्रियां है. वहीं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था अभी भी कृषि प्रधान है. मेक इन इंडिआ कार्यक्रम के तहत 25 अहम इंडस्ट्री में गुजरात की उपलब्धि उत्तर प्रदेश से काफी आगे है. 4. रोज़गार: उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी ने 2016 के दौरान 7.4 फीसदी के आंकड़े को पार कर लिया है. जबकि बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 5 फीसदी है. रोजगार देने के मामले में उत्तर प्रदेश देश के कई राज्यों से पीछे है. गुजरात में बेरोजगारी का आंकड़ा 3.8 फीसदी है और महाराष्ट्र में 2.1 फीसदी है. रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में बिहार 6 फीसदी बेरोजगारी दर और हरियाणा 4.7 फीसदी के आंकड़े के साथ उत्तर प्रदेश से बेहतर स्थिति में हैं. 5. साक्षरता: उत्तर प्रदेश में साक्षरता आंकड़े बेहद खराब हैं. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक जहां प्रदेश में महज 68 फीसदी लोग लिख-पढ़ सकते हैं वहीं राष्ट्रीय स्तर पर 74 फीसदी है. वहीं गुजरात में साक्षरता के आंकड़े 78 फीसदी से अधिक है. सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के पीछे सबसे बड़ी चुनौती राज्य में स्कूल की स्थिति है. जहां सीबीएसई द्वारा प्रति टीचर 10-30 छात्र का प्रावधान है प्रदेश में प्रति टीचर औसत 70 छात्रों का है. 6. स्वास्थ्य सुविधा: स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर उत्तर प्रदेश और बिहार की हालत बेहद खराब है. हेल्थ केयर और हेल्थ सेंटर के मापदंड़ों पर उत्तर प्रदेश के 47 जिले राज्य के औसत से नीचे हैं. राज्य में इंफैन्ट मौर्टेलिटी रेट 50 मृत्यु प्रति 1000 जन्म पर है जबकि राष्ट्रीय औसत 40 मृत्यु प्रति हजार जन्म पर है. प्रदेश में 50 फीसदी से कम जन्म अस्पताल अथवा हेल्थ केयर सेंटर में होता है जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 75 फीसदी से अधिक है

सफेद रसगुल्ला बनाने की बिलकुल आसान विधि

Follow सामग्री दूध - 2 लीटर चीनी - 4 कप नींबू का रस - 1 बड़ा चम्मच अरारोट - 1 बड़ा चमच पानी - 2 कप रसगुल्ला बनाने के लिये मुख्य सामग्री छैना है, जिसे हम ताजी छैना कह कर डेयरी से ला सकते हैं या दूध से हम इसे घर पर बना सकते हैं. यदि हमको छैना घर पर बनाना हैं तो सबसे पहले हम रसगुल्ले बनाने के लिये छैना बनायेगे. छैना बनाने के लिये दूध को किसी भारी तले वाले बर्तन में निकाल कर गरम कीजिये. दूध में उबाल आने के बाद नीबू का रस डालते हुये चमचे से चलाइये. दूध जब पूरा फट जाय, दूध में छैना और पानी अलग दिखाई देने लगे तो तुरन्त आग बन्द कर दीजिये. छैना को कपड़े में छानिये और ऊपर से ठंडा पानी डाल दीजिये ताकि नीबू का स्वाद छैना में न रहे. कपड़े को हाथ से दबा कर अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये. रसगुल्ला बनाने के लिये छैना तैयार है. छैना को बड़ी थाली में निकाल लीजिये, एरोरूट और बेकिंग पाउडर मिला कर छैना को अच्छी तरह मथिये. छैना को इतना मथिये कि वह चिकना गुथे हुये आटे की तरह दिखाई देने लगे. रसगुल्ला बनाने के लिये छैना तैयार है. इस छैने से थोड़ा थोड़ा छैना निकाल कर. पौन इंच से लेकर एक इंच व्यास के छोटे छोटे गोले बना कर प्लेट में रख लीजिये. सारे रसगुल्ले के लिये गोले इसी तरह बना लीजिये और इन्हें आधे घंटे के लिये किसी गीले कपड़े से ढक कर रख दीजिये. 300 ग्राम चीनी और 1 लीटर पानी किसी बर्तन में डाल कर गरम कीजिये. जब पानी खौलने लगे तो छैने से बने गोले पानी में डाल दीजिये. बर्तन को ढक दीजिये, इन छैना के गोलों को, 20 मिनिट तक मीडियम आग पर उबलने दीजिये. रसगुल्ले पक कर फूल जायेंगे, गैस बन्द कर दीजिये. रसगुल्ले चीनी के पानी में ही ठंडे होने दीजिये. लीजिये छैना के रसगुल्ले तैयार हैं. ठंडा होने के बाद, रसगुल्लों को फ्रिज में रख दीजिये और अब ठंडा ठंडा रसगुल्ला (Bengali Rasgulla) परोसिये और खाइये. सावधानियां • 1. छैना ताजा और फुल क्रीम दूध से बनायें. •2. छैना से निचोड़ कर पानी पूरी तरह निकाल दीजिये. •3. छैना और एरोरूट मिला कर इतना मथिये कि छैना आटे की तरह चिकना लगने लगे. .4रसगुल्ला फटने का कारण, मिश्रण में बेकिंग पाउडर ज्यादा हो गया था या मैदा कम थी. आप एक गोला बना कर चाशनी में डाल कर देख लीजिये, अगर एसा हो तो मिश्रण में थोड़ी सी मैदा और मिला लीजिये. .5.रसगुल्ले में अरारोट डाला जा सकता है,इस बार आप रसगुल्ले बनाते समय बेकिंग सोडा मत डालिये(बेकिंग सोडा थोड़ा सा अधिक हो तो रसगुल्ले फट जाते हैं) उबालते समय गैस फ्लेम को मीडियम रखे, रसगुल्ले अच्छे बनेगें. .6.छैना में मैदा की थोड़ी मात्रा अधिक होने से रसगुल्ले कम स्पंजी हो सकते हैं. 7.अगर छैना में मैदा थोड़ी भी अधिक हो जाय तो रसगुल्ला सख्त हो सकते हैं, रसगुल्ले उबलते पानी में डाले जाते हैं और तेज गैस फ्लेम पर ही पकाये जाते हैं. 8.अगर रसगुल्ले टूट रहे हैं तब मावा में थोड़ा मैदा और मिलाया जा सकता है, इसके लिये आप घी में 1-2 रसगुल्ले तल कर देख सकती हैं और मावा को ठीक करके फिर से रसगुल्ले बना सकती हैं. 9.मैदा भी डाली जा सकती है, मात्रा एरोरूट के बराबर ही ले लीजिये. 10.अरारोट एरोरूट पलान्ट की जड़ो से बनता है, मैदा की तरह होता है और बाइन्डर का काम करता है. एरोरूट की जगह कार्न फ्लोर भी डाला जा सकता है. 11.अगर छैना अच्छी तरह से न मथा गया तो भी छैना रसगुल्ला फट जाते हैं 12. 621 Dislike" - सफ़ेद रसगुला बनाने की बिलकुल आसान विधि http://tz.ucweb.com/3_Ysq5

सैक्सन शिक्षा युवाओं के लिये जरुरी

उम्र महज 20 साल है. वह अविवाहित है, लेकिन कैसे गर्भवती हो गई, दिया के मातापिता की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उन से कहां कमी रह गई? क्या दिया की परवरिश में कहीं कोई कमी रह गई थी? क्या वे अपनी जवान हो रही बेटी की हरकतों पर समय की कमी के चलते ध्यान नहीं दे पाए? दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक अच्छे कालेज में पढ़ने वाली दिया के मातापिता को जब उस के गर्भवती होने की बात पता चली तो वे सन्न रह गए. उन्होंने तुरंत सामान पैक किया और दिया को ले कर दिल्ली से बाहर दूसरे शहर चले गए, ताकि बात आसपड़ोस या फिर रिश्तेदारों में न फैले. शहर के बाहर उस के पिता ने किसी अच्छे डाक्टर से उस का गर्भपात कराया और कुछ समय तक वहीं होटल में रहे. बाद में उसे दिल्ली वापस ले आए. यह उदाहरण सिर्फ दिया का ही नहीं है, बदलते समय के साथसाथ यंगस्टर्स की सोच में काफी बदलाव आया है, पश्चिमी सभ्यता उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. उम्र का यह दौर ऐसा होता है कि अगर मातापिता बच्चों को कुछ समझाएं तो उन्हें समझ नहीं आता. उन्हें पूरी दुनिया गलत नजर आती है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत की मैट्रो सिटीज से ले कर गांवों तक 25 से 30 फीसदी युवतियां किसी न किसी कारण गर्भपात कराती हैं. ये आंकड़े 25 साल से कम उम्र की युवतियों के हैं. अधकचरी जानकारी में टीनऐज में गर्भपात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकारी संस्था नैशनल सैंपल सर्वे औफिस के आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 20 साल से कम उम्र की युवतियों में गर्भपात का प्रतिशत मात्र 0.7 है, जबकि शहरों में यह 14% है. युवती की बढ़ जाती हैं मुश्किलें अविवाहिता जब संबंध बनाती है तब क्या सही और क्या गलत है, इस का खयाल तक उस के दिमाग में नहीं आता. तब मन गहरे समंदर में प्यार के गोते लगाता है. इस के दुष्परिणाम तब सामने आते हैं जब कम उम्र में युवती गर्भवती हो जाती है. इस उम्र में न तो प्रेमी शादी के लिए तैयार होता है और न ही प्रेमिका. लिहाजा, दोनों के सामने बस एक ही रास्ता होता है और वह है गर्भपात. जब यह बात घर वालों को पता चलती है तो पूरे घर में बवंडर आ जाता है जो लाजिमी है, लेकिन इस गलती का युवती को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उसे न केवल गर्भपात जैसे जटिल दौर से गुजरना पड़ता है बल्कि कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी दोचार होना पड़ता है. प्रेमी के बदलते रवैए और घर वालों के तानों से पीडि़ता डिप्रैशन में चली जाती है जबकि कई मामलों में युवती ऐसे हालात में मौत को भी गले लगा लेती है. कौन है जिम्मेदार देश में अब टीनऐजर्स के लिए गर्भपात कोई नई बात नहीं है. युवा पहले शादी फिर सैक्स जैसी बातों को अब दकियानूसी मानते हैं और इस की वजह है उन्हें आसानी से सबकुछ उपलब्ध हो जाना, ऐसे में वे क्यों शादी का इंतजार करें और जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाएं. इस के पीछे मुख्य कारण एकल परिवार भी है, जहां मातापिता दोनों कामकाजी हैं. ऐसे में वे बच्चों पर ज्यादा निगरानी नहीं रख पाते. बच्चे अकेले टीवी पर क्या देख रहे हैं या फोन पर क्या डाउनलोड कर रहे हैं, ये सब देखने की उन्हें फुरसत ही नहीं है. आजकल टीवी और इंटरनैट के माध्यम से सब चीजें उपलब्ध हैं, जिस के दुष्परिणाम आगे चल कर हमारे सामने गर्भपात के रूप में आते हैं. प्रेमी का व्यवहार भी है इस की वजह प्यार की शुरुआत में तो सबकुछ अच्छा लगता है और कई बार युवती इस उम्मीद में रिश्ता भी बना लेती है कि उस की प्रेमी से शादी हो जाएगी, लेकिन जब वह गर्भ ठहरने की बात प्रेमी को बताती है तो अधिकतर मामलों में वह प्रेमिका से पीछा छुड़वाने की भरपूर कोशिश करता है. वह न तो बच्चे को अपना नाम देना चाहता है और प्रेमिका से शादी करने से भी मना कर देता है, जिस के चलते युवती के पास सिवा गर्भपात के कोई उपाय नहीं बचता और फिर उसे कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इस से न केवल उस का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि मानसिक रूप से भी उसे गहरा सदमा लगता है. गर्भपात के बाद युवती खुद को अलगथलग महसूस करती है. बारबार उसे लगता है कि उस के साथ धोखा हुआ है. धीरेधीरे उस के व्यवहार पर भी इस का गहरा असर दिखाई देता है. गलती दोनों की यदि शादी से पहले कोई युवती गर्भवती हो गईर् है तो इस में सिर्फ उस की ही गलती नहीं है, जितनी दोषी वह युवती है उतना ही दोष उस युवक का भी है. दोनों इस में बराबर के हकदार हैं. हमारा समाज शादी से पूर्व युवती के गर्भवती होने पर उसे कई तरह के ताने जैसे बदचलन, कुलटा, कलमुंही कह कर उस का तिरस्कार करता है, लेकिन उस युवक का क्या, जो गर्भ में पल रहे बच्चे का बाप है? क्या उस का कोई कुसूर नहीं? लिहाजा, किसी एक पर गलती का दोष न डाला जाए तो अच्छा है. कैसे निबटें ऐसे हालात से अगर आप कामकाजी या हाउसवाइफ हैं तो जरूरी है कि अपने बढ़ते बच्चों का ध्यान रखें. वे क्या कर रहे हैं, कब कहां जा रहे हैं, किस से बात कर रहे हैं? इन सब बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि बच्चे का खयाल रखें, उस के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें. ध्यान रखिए डराधमका कर वह आप को कभी कुछ नहीं बताएगा. यदि आप का बच्चे के साथ व्यवहार दोस्ताना रहेगा तो वह आप के साथ सारी बातें शेयर करेगा. उस का फोन और लैपटौप भी समयसमय पर चैक करते रहिए. हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप जासूसी कीजिए, लेकिन यदि आप कभीकभार ये सब चीजें चैक करेंगे तो आप को पता चल जाएगा कि आप का बच्चा किस दिशा में जा रहा है. सैक्स शिक्षा बच्चों के लिए आज काफी अहम हो गई है. स्कूलकालेजों में यदि सैक्स शिक्षा दी जाए तो बच्चों को इस के सही और गलत प्रभाव का पता चल जाएगा जिस से टीनऐज में गर्भपात के हालात से निबटा जा सकता है." - सैक्स शिक्षा युवाओं के लिए जरूरी http://tz.ucweb.com/3_Yrse

मणिपुर मे पहली BJP सरकार

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में आज पहली बार बीजेपी की सरकार बनेगी. एन बीरेन सिंह राज्य के पहले बीजेपी सीएम के रूप में शपथ लेंगे. 60 में से 21 सीटें जीतने वाली बीजेपी मणिपुर में एनपीएफ और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बना रही है.एनपीपी के नेता वाई जयकुमार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. अमित शाह नहीं होगें शामिल शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने जा रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, संगठन मंत्री राम लाल और वेंकैया नायडू की फ्लाइट को तकनीकी गड़बड़ी के कारण आगरा से वापस दिल्ली लौटना पड़ा. प्रकाश जावड़ेकर पहले ही इम्फाल में मौजूद हैं. क्या है बहुमत का समीकरण? 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में बहुमत के लिए 31 सीटें चाहिए. बीजेपी के पास कुल 21 सीटें हैं. पार्टी के पास नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 4 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के 4 विधायकों ने भी बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया है. इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी, टीएमसी के 1-1 विधायकों ने भी पार्टी के साथ जुड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस का 1 विधायक भी बीजेपी को समर्थन का ऐलान किया है. राज्यपाल पर कांग्रेस का हमला दूसरी ओर, 28 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला पर पक्षपात का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी होने के कारण उन्हें सरकार बनाने का पहले मौका मिलना चाहिए. कौन हैं बिरेन सिंह? 56 साल के बिरेन सिंह 2007 से 2016 तक कांग्रेस में रहे. पिछले साल कैबिनेट में फेरबदल की मांग को लेकर उन्होंने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. वो राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं. इसके अलावा एक स्थानीय अखबार के संपादक रहने के साथ कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.