सोमवार, 24 अप्रैल 2017

,अभी -अभी पटना मे रेल हादसा

"अभी अभी: पटना में बड़ा रेल हादसा… Newsexpress24 23 Apr. 2017 17:20 नई दिल्ली: देश में रेल हादसों का दौर जारी है. ताजा खबर बिहार से आ रही है. जहां एक रेल पटरी से उतर गई है. रविवार की दोपहर पटना से सहरसा जा रही सहरसा-पटना एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. सूत्रों के अनुसार एक्सप्रेस के दो डिब्बे पटरी से पटरी से उतर गए हैं. घटना की सूना मिलते ही रेलवे और यात्रियों में हड़कंप मच गया है. बिहार के सहरसा में रविवार की सुबह सहरसा-पटना राज्‍यरानी एक्‍सप्रेस बेपटरी हो गई. हादसा सहरसा स्टेशन के पास हुआ. जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त ट्रेन की रफ्तार काफी कम थी. इस कारण ट्रेन हादसे में किसी तरह की जान-माल की क्षति नहीं हुई है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रविवार की सुबह ट्रेन के दो कोच अचानक तेज आवाज के साथ पटरी से उतर गए. दुर्घटना के वक्‍त कोच में काफी जोर से आवाज होने के साथ ही लोगों को झटके भी लगे जिससे यात्रियों में भगदड़ मच गई. हादसे की आशंका को लेकर कई यात्री चलती ट्रेन से कूदने ही वाले थे कि ट्रेन ठहर गई और जान-माल की क्षति होते-होते बची. ट्रेन के बेपटरी होने के बाद रेल प्रशासन और पुलिस मौके पर पहुंची. फिलहाल घटनास्थल पर राहत का काम जारी है." - अभी अभी: पटना में बड़ा रेल हादसा… http://tz.ucweb.com/4_1SWnq

रविवार, 23 अप्रैल 2017

मिल गया जबाव कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा

"आखिर मिल ही गया जवाब-कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था? Aajtak 23 Apr. 2017 17:28 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा' इस सवाल का जवाब मिल गया है. जी हां, बाहुबली फैंस के लिए खुशखबरी है. फिल्म की स्टार कास्ट ने खुद इस सवाल का जवाब दे दिया है. बाहुबली फैंस न जाने कब से इस सवाल का जवाब जानने के लिए तरस रहे हैं और फिल्म की रिलीज होने तक का इंतजार भी बड़ी मुश्किल से कर रहे हैं. 'बाहुबली' को दो पार्ट में बनाने की वजह का हुआ खुलासा एक यू-ट्यूब चैनल 'रिक्शावाली' की होस्ट ने भी इस सवाल का जवाब जानना चाहा और इसीलिए वह फिल्म बाहुबली के कलाकारों और बाकी क्रू मेंबर्स के साथ टच में थीं, लेकिन फिल्म की कास्ट को देखकर यही लगा कि वे इस सवाल के बारे में कुछ भी बोलने के मूड में हैं. जब इस बारे में बाहुबली प्रभास से बात की गई तो उन्होंने इसका एक अलग ही जवाब दिया जिसको सुनकर किसी को भी हंसी आ जाएगी. इसके बाद, यू-ट्यूब चैनल रिक्शावाली की होस्ट ने इस सवाल को फिर से पूछने की हिम्मत नहीं की. सुरक्षा के घेरे में 'बाहुबली', कहीं खुल न जाए कटप्पा का राज वीडियो में होस्ट ने फिल्म के कलाकारों से यही सवाल किया कि 'आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा', जिसका सबसे फनी जवाब दिया अनुष्का शेट्टी ने. फिल्म में बाहुबली की पत्नी का रोल कर रही अनुष्का ने तो कटप्पा को ही पहचाने से इनकार कर दिया. वहीं भल्लाल देव यानी एक्टर राणा दुग्गुबाती ने इस सवाल के जवाब में रिक्शावाली होस्ट के सामने तलवार ही निकाल ली और उन्हें धमकी तक दे डाली. फिल्म बाहुबली के प्रेंजेंटर के राघवेंदर राव का तो मानना है कि बाहुबली जिंदा है तो कटप्पा कैसे बाहुबली को मार सकता है. हिट हुआ 'बाहुबली 2' का प्रोमो सॉन्ग, अब तक 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा लेकिन सबसे फनी जवाब तो रिक्शावाली को मिला है फिल्म बाहुबली में बाहुबली का किरदार निभा रहे एक्टर प्रभास से. प्रभास का मानना है कि फैंस को इस सवाल का जवाब बाहुबली पार्ट 3 में मिलेगा. हैरान रह गए ना आप भी. मतलब अब दर्शकों को बाहुबली 3 का इंतजार करना होगा. खैर यह तो फैंस को फिल्म बाहुबली 2 की रिलीज के बाद ही पता लगेगा कि उन्हें उनके सबसे बड़े सवाल 'आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा' का जवाब मिलता है या नहीं या फिर उनके फेवरेट एक्टर प्रभास सही कह रहे थे. तब तक फैंस को 28 अप्रैल का बस थोड़ा सा और इंतजार करना पड़ेगा." - आखिर मिल ही गया जवाब-कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था? http://tz.ucweb.com/4_1QMY5

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

भोजपुरी सिनेमा का सफर

"भोजपुरी सिनेमाः न भोजपुर का, न मुंबई का Sarita 21 Apr. 2017 12:45 भोजपुरी सिनेमा ने भले ही 5 दशक से ज्यादा का सफर पूरा कर लिया है लेकिन उसके खाते में 10-12 बेहतरीन फिल्में भी नहीं है. हर साल 50 से ज्यादा भोजपुरी फिल्में बन रही हैं लेकिन हिन्दी फिल्मों की अंधी नकल की वजह से वह न तो प्योर भोजपुरी रह पाती है और न ही पूरी तरह से मुंबईया फिल्में ही बन पाती हैं. हिंदी फिल्मों की घटिया नकल कर भोजपुरी फिल्मकारों ने भोजपुरी फिल्मों का यह हाल कर दिया है कि उसमें भोजपुरी बोली के अलावा कुछ भी भोजपुरी नहीं रह गया है. इसे भोजपुरी फिल्मकारों का दिमागी दिवालियापन ही कहा जाएगा कि वे भोजपुरी फिल्मों का नाम तक हिंदी में ही रखने लगे हैं. पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहरे पियरी चढ़इबो’ थी, जो 5 फरवरी 1962 में रीलीज हुई थी. 5 लाख रूपए में बनी उस फिल्म ने 75 लाख रूपए की कमाई की थी. विश्वनाथ प्रसाद शहाबादी की बनाई उस फिल्म को मिली भारी कामयाबी के बाद तो भोजपुरी सिनेमा का रास्ता ही खुल गया और धड़ाधड़ एक के बाद एक भोजपुरी फिल्में बनने लगीं. “संईया से भइल मिलनवा”, “तुलसी सोहे तोहार अंगना”, “सोलहो सिंगार करे दुलहनिया”, “बिदेसिया”, “पान खाए सैंया हमार”, “लागी नहीं छूटे राम” जैसी कई फिल्में सामने आई और भोजपुरी सिनेमा को नई ताकत मिली. बाद में यह हाल हुआ कि भोजपुरी सिनेमा माई, गंगा, भौजी, संईया, देवर आदि के नामों और किरदारों में उलझ कर रह गई. इससे आगे की सोच न होने की वजह से 1970 के आते-आते भोजपुरी सिनेमा की गाड़ी पूरी तरह से लड़खड़ा गई. साल 1977 में हिन्दी सिनेमा के खलनायक रहे सुजीत कुमार और वैंप एवं छोटे-मोटे रोल करने वाली प्रेमा नारायण भोजपुरी फिल्म “दंगल” में हीरो-हीरोइन बन कर आए. ‘दंगल’ भोजपुरी की पहली रंगीन फिल्म थी. ‘दंगल’ के गाना ‘गोरकी पतरकी रे मारे गुलेलवा जियरा हिल हिल जाए..’ ने तो धमाल ही मचा दिया. उस गाने को मोहम्मद रफी और आशा भोंसले ने आवाज दी थी. उसके बाद राकेश पांडे और पदमा खन्ना की जोड़ी ‘बलम परदेसिया’ लेकर आई, जिसने कामयाबी के झंडे गाड़ डाले. उसके बाद “धरती मैया”, “दूल्हा गंगा पार के”, “दगाबाज बलमा”, “संईया मगन पहलवानी में”, “हमार दूल्हा” जैसी बीसियों भोजपुरी फिल्में बनीं पर कोई खास धमाल नहीं पैदा कर सकीं. उसके बाद एक बार फिर भोजपुरी फिल्म इंडस्ड्री ‘कोमा’ में चली गई. ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ साल 2003 में आई और उसने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर जान डाल दी. बिहार के भोजपुरी गायक मनोज तिवारी और रानी चटर्जी की इस फिल्म को मिली कामयाबी ने भोजपुरी सिनेमा के पर्दे को फिर से चमकदार बना दिया. उसके बाद तो एक बार फिर भोजपुरी फिल्मों की झड़ी लग गई. फिल्म वितरक विनोद पांडे कहते हैं कि भोजुपरी सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता का ही नतीजा था कि अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, जैकी श्रापफ, शत्रुघ्न सिन्हा, जितेंद्र, रति अग्निहोत्री, नगमा, भाग्यश्री, भूमिका चावला जैसे बॉलीवुड के कलाकारों ने इसमें काम किया. इतना ही नहीं भोजपुरी सिनेमा ने कुणाल सिंह, राकेश पांडे, मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’, सुदीप पांडे, पवन सिंह, राकेश मिश्रा, खेसारीलाल, पाखी हेगड़े, रानी चटर्जी, मोनालिसा, श्वेता तिवारी, दिव्या देसाई, रिंकू घोष जैसे कई कलाकारों ने खूब दौलत और शोहरत कमाई. भोजपुरी फिल्मों के वितरक विनोद पांडे कहते हैं कि हिंदी सिनेमा की कोरी नकल, फूहड़ डायलॉग और गीतों ने भोजपुरी सिनेमा का बहुत कबाड़ा किया है. इस वजह से ज्यादातर लोग परिवार के साथ फिल्म देखने से कतराते हैं. भोजपुरी फिल्में बनाने और उससे जुड़े लोगों का वहीं घिसा-पिटा तर्क है कि जो दर्शक देखना चाहता है, वही वे परोसते हैं. हीरो रवि किशन कहते हैं कि भोजपुरी सिनेमा के पॉजिटिव चीजों को देखा जाना चाहिए. लोग अपनी सोच और बाजार के हिसाब से फिल्में बनाते हैं. एक बार जो चीज चल गई उसे ही कामयाबी की गारंटी मान लेना फिल्मकारों की बहुत पुरानी बीमारी है. जो करोड़ों रूपए खर्च कर फिल्म बनाएगा वह कमाई का ख्याल तो रखेगा ही. पब्लिक की पसंद के हिसाब से फिल्में बनती है. भोजपुरी फिल्मों की वजह से ही बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों सिनेमा हॉल बंद होने से बच गए. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग भले ही कुछ भी दावे कर लें पर यह सच है कि भोजपुरी सिनेमा को वह दर्जा नहीं मिल सका है, जो तमिल, तेलगू, मलयाली, बंगला, कन्नड़, मराठी फिल्मों को हासिल हो चुका है. भोजपुरी फिल्मों के नामी विलेन उदय श्रीवास्तव कहते हैं कि इस इंडस्ट्री में बाहरी लोगों के घुसने से भोजपुरी फिल्मों की पहचान खत्म हो गई है. साउथ के लोग इसलिए भोजपुरी फिल्म बनाने लगे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे काफी ज्यादा कमाई है. वैसे लोगों को भोजपुरी की माटी की खूबी, उसकी संस्कृति और पहचान आदि से कोई लेना देना नहीं होता है. वह यही समझते हैं कि केवल भोजपुरी बोली में फिल्म बना देने से वह भोजपुरी फिल्म हो जाती है. आज के भोजपुरी फिल्मों में हिंसा और खून-खराबा की भरमार होने से औरतें ऐसी फिल्मों से कट चुकी हैं, जिससे फिल्में चल नहीं पाती हैं. भारत समेत मॉरीसश, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिनाड आदि देशों में करीब 25 करोड़ लोग भोजपुरी बोलने-समझने वाले हैं. देश में बिहार और उत्तर प्रदेश में भोजपुरी बोलने वाले सबसे ज्यादा है. महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़, गुजरात आदि राज्य भी भोजपुरी सिनेमा के बड़े बाजार हैं क्योंकि बिहार और उत्तरप्रदेश के हजारो-लाखों लोग वहां के कल-कारखानों में काम करते हैं. भोजपुरी सिनेमा के हीरो राजीव मिश्रा कहते हैं कि परदेश में अपनी बोली की फिल्म देख कर लोग अपने गांव की मिट्टी की खूबी जैसा आनंद लेते हैं. इसी वजह से दूसरे राज्यों में भी भोजपुरी फिल्में काफी चलती हैं. वहीं मिटटी की खूबी आज की भोजपुरी फिल्मों से पूरी तरह से गायब हो चुकी है और उसकी जगह पूरी तरह से मुंबईया फिल्मों के स्टाइल ने ले ली है. हिंदी वाले भी अंग्रेजी टॉयटल क्यों रखते हैं: राकेश मिश्रा भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार राकेश मिश्रा भोजपुरी फिल्मों के हिन्दी टॉयटल रखने के चलन के बारे में कहते हैं कि इसमें कोई खराबी नहीं है. साउथ के कई हिट फिल्में हिन्दी में बन रही है और ढेरों मुंबईया फिल्मों के नाम अंग्रजी में रखे जाते हैं. फिल्म बनाने वाला और फायनेंसर यही चाहता है कि किसी भी तरह से उसकी फिल्में हिट हो और उन्हें मुनाफा मिल सके. इसके लिए वह हर हथकंडा अपनाता है. राकेश का दावा है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री ने खूब तरक्की की है और आज भी उसकी कामयाबी का सफर जारी है. कई फिल्मों के ओवर बजट होने की वजह से इंडस्ट्री को थोड़ा झटका लगा था पर अब सब कुछ पटरी पर लौट आया है. हर इंडस्ट्री में कामयाबी के बाद उठा-पटक और बदलाव का दौर आता है. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री नई तकनीक और पुरानी परंपरा के बीच छटपटा रही है और जल्द ही इसमें भी बदलाव दिखाई देगा." - भोजपुरी सिनेमाः न भोजपुर का, न मुंबई का http://tz.ucweb.com/4_1F2Qq

रविवार, 16 अप्रैल 2017

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

भीम एप

"युवाओं को मोदी ने बताया- कैसे BHIM ऐप डाउनलोड कराकर कमा सकते हैं पैसे Aajtak 14 Apr. 2017 15:11 पीएम मोदी ने अंबेडकर जयंती के मौके पर Bhim Aadhaar लॉन्च किया है. इसके साथ ही रेफरल प्रोग्राम की भी शुरुआत की है. पीएम के मुताबिक इस रेफरल प्रोग्राम से अगर देश के युवा चाहें तो 10 से 15 हजार रुपये तक कमा सकते हैं. क्या है रेफरल स्कीम आपको इस स्कीम के तहत जिन लोगों ने BHIM ऐप अपने स्मार्टफोन में नहीं डाउनलोड किया है उन्हें इसे इंस्टॉल कराना है. यानी किसी को भीम ऐप के बारे में किसी मर्चेंट या नागरिक को समझाएंगे और उसे डाउनलोड कराएंगे. अगर आपके रेफरल से उसने ऐप डाउनलोड कर लिया है और इसके बाद और वो तीन ट्रांजैक्शन करेगा, तो सरकार आपके खाते में 10 रुपये जमा करेगी. पीएम मोदी ने कहा, 'अगर एक दिन में आप 20 लोगों को रेफर कर दें तो शाम तक 200 रुपये आपके खाते में आ जाएंगे. अगर तीन महीने तय कर लें कि रोज 200 कमाना है तो ये क्या मुश्किल काम है? व्यापारियों को भी मिलेगा रेफरल का फायदा ये रेफरल प्रोग्राम न सिर्फ कस्टमर्स के लिए है, बल्कि मर्चेंट्स के लिए भी फायदेमंद है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा है कि जो व्यापारी अपने दुकान पर भीम ऐप लागू करेगा और उसके जरिए ट्रांजैक्शन करेगा तो 25 रुपये उसके खाते में दिए जाएंगे. पीएम मोदी ने कहा कि अगर किसी मर्चेंट को BHIM ऐप डाउनलोड करा रहे हैं तो आप उसे यह बता सकते हैं कि उसे भी 25 रुपये मिलेंगे." - युवाओं को मोदी ने बताया- कैसे BHIM ऐप डाउनलोड कराकर कमा सकते हैं पैसे http://tz.ucweb.com/4_19rj0

मुस्लिम महिला ने अपनाया हिन्दू धर्ू

"पति ने फोन पर दिया तलाक, मुस्लिम महिला ने अपनाया हिन्दू धर्म, हर हर मोदी गाया India TV News Desk 14 Apr 2017 10:21 Triple Talaq नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक का मुस्लिम महिलाएं अब मुखर विरोध कर रही हैं। ऐसा ही एक मामला बिजनौर में सामने आया जब एक मुस्लिम महिला को उसके पति ने फोन पर ही तलाक दे दिया। जिसके बाद महिला ने हिंदू धर्म अपना लिया। महिला ने साथ ही पीएम मोदी से मदद की गुहार लगाई है। महिला को उसके पति ने कतर से ही फोन पर तलाक दे दिया था। पीड़िता का नाम अरीबा खान है उसकी शादी 11 अप्रैल 2012 को बिजनौर के नहटौर में महमूद इशहाक के साथ हुई थी। महमूद कतर में सिविल इंजिनियर है। शादी के बाद से ही ससुराल में उसे परेशान किया जाने लगा। एक साल बाद उसके एक बेटी हुई। काफी मनाने और जिद करने पर उसका पति मां बेटी को कतर ले गया। सात-आठ महीने वहां रखा। उसके बाद अपनी नौकरी छूटने की बात कहकर उन्हें और बेटी को बिजनौर छोड़ गया। कुछ दिन बिजनौर में साथ रहने पर दिल्ली और मुंबई में नौकरी की तलाश का बहाना कर फिर से कतर चला गया। इसी दौरान 9 अप्रैल 2015 को कतर से ही टेलिफोन पर उसे तलाक दे दिया। अरीबा का कहना है कि रिश्ता बनाकर रखने की काफी कोशिश की लेकिन पति नहीं माने। मजबूर होकर उसने नहटौर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। तभी से न्याय के लिए वह लड़ रही हैं। उसका कहना है कि तीन तलाक का मुद्दा खत्म करने के पीएम मोदी के भरोसे देने के बाद उसने बीजेपी को वोट किया था। अब केंद्र और प्रदेश में सरकार बीजेपी की है, इस क्रूरतम ट्रिपल तलाक के मुद्दे को खत्म किया जना चाहिए।" - पति ने फोन पर दिया तलाक, मुस्लिम महिला ने अपनाया हिन्दू धर्म http://tz.ucweb.com/4_19mg5

गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

नही मिला इंसाफ तो छोड़ दुंगी इस्लाम

"यूपी : मुस्लिम महिला का एलान "नहीं मिला इन्साफ तो छोड़ दूंगी इस्लाम, अपना लुंगी सनातन धर्म" Dainik Bharat 13 Apr. 2017 12:21 इमरान खान मुस्लिम औरतों के साथ क्या होता है ये खबर देख आप सब कुछ समझ जाओगे.मुस्लिम औरत दरवाजे पर जाकर जोर से रोटी हुई ममी दरवाजा खोलो में र... -अगर जाधव को फांसी हुई तो मोदी पाकिस्तान को अफगानिस्तान का तोरा बोरा बना देगा : इमरान खानमुस्लिम औरतों के साथ क्या होता है ये खबर देख आप सब कुछ समझ जाओगे.मुस्लिम औरत दरवाजे पर जाकर जोर से रोटी हुई ममी दरवाजा खोलो में रिहाना यहा रहने आई हूँ.मुस्लिम महिला ने अपने ससुराल के घर पर जाकर आवाज लगाई तो वहां बहुत सारी भीड़ जमा हो गयी.जब आवाज लगाने पर भी घर का दरवाजा नहीं खुला तो मुस्लिम महिला अपनी पांच saal की बेटी और अपने परिवार वालों के साथ बाहर ही बैठ जाती है.मुस्लिम महिला के हक के लिए हिंदूवादी संगठन आगे आये.तीन तलाक का मुद्दा होने की वजह से वहां मामला और संगीन हो गया और मुस्लिम महिला ने भी एलान कर दिया इंसाफ नहीं मिला तो अपना लुंगी हिन्दू धर्म.आपकी जानकारी के लिए बता दें की ये मामला भी तीन तलाक से जुड़ा हुआ हाउ और युप के बुलंदशहर के सिकंदराबाद तहसील का है.लड़की के पिता मास्टर सगीर की बेटी रिहाना की शादी जमालपुर हमदर्द नगर निवासी मोहम्मद शरीफ एडवोकेट से 2012 में हुई थी।शादी में 30 लाख खर्च किए गए थेउस मुस्लिम महिला को उसके पति ने तंग किया और उसे घर से निकाल दिया.लड़की के घर वाले लड़की को लेकर ससुराल वालों के वहां गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ लड़के वालों ने दरवाजा नहीं खोला.बहुत शर्म की बात है मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी सच में ही नर्क भरी है मुस्लिम धर्म के ठेकेदार अब कुछ नहीं बोलेंगे आखिर सब कुछ मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ ही क्यों ?देर शाम रिहाना के पक्ष में अखिल भारत ¨हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक पांडेय भी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गए। रिहाना को संत व महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय के पास ले जाया गया।-मीट की दुकान बंद कर दूध बेचने लगा ये मुसलमान, पहले से करने लगा कई गुना अधिक कमाईमीडिया से बातचीत करते हुए हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि रिहाना काफी घबराई हुई है। उसने कहा कि यदि उसे न्याय नहीं मिला तो वह ¨हदू धर्म भी स्वीकार कर लेगी। हमारी पूरी कोशिश की जाएगी कि रेहाना को उसका परिवार मिल जाए। उसका शोषण नहीं होने देंगे।" - यूपी : मुस्लिम महिला का एलान "नहीं मिला इन्साफ तो छोड़ दूंगी इस्लाम, अपना लुंगी सनातन धर्म" http://tz.ucweb.com/4_13zsX

इन जातियों को मिलेगा आरक्षण

"HC के आदेश पर अब योगीराज में इन जातियों को मिलेगा आरक्षण Punajbkesari.in 13 Apr. 2017 13:36 इलाहाबादः हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अब 2 जातियों 'भर' और 'राजभर' को अलग से आरक्षण दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है। जिसके चलते घुमंतू जाति की श्रेणी में आने वाले लोगों की योगी सरकार अलग से व्यवस्था करेगी। इनके लिए अलग सूची तैयार होगी और ये आदिवासी जाति उसी तरह की व्यवस्था का लाभ पा सकेंगे। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू जाति के लोगों को संविधान की नियमावली के तहत व्यवस्था देने को कहा है। अब सूबे की योगी सरकार को 6 महीने के अंदर ही इस पर फैसला लेना है कि वो इन जाति के लोगों को आरक्षण की कैसी और कौन-सी सूची में रखती है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सुनवाई सूबे में भर व राजभर जाति को पिछड़ी जाति की सूची में रखा जाता है। इस बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि भर व राजभर पिछड़ी जाति को गैर अधिसूचित आदिवासी जाति की सूची में शामिल किया जाए। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया कि वो 6 महीने में नियमानुसार व्यवस्था स्थापित करे। अब इन जाति के लोगों को राज्य सरकार के सक्षम अधिकारी को अर्जी देने पर आगे की कार्रवाई पूरी हो सकेगी।" - HC के आदेश पर अब योगीराज में इन जातियों को मिलेगा आरक्षण http://tz.ucweb.com/4_11Eau

भारत के १० ऐसे राज्य

"भारत के 10 ऐसे राज्य जहां गाय काटने पर नहीं है कोई प्रतिबंध Azab Gazab 13 Apr. 2017 15:40 लंबे समय से ये सरकार का ये मुद्दा चला आ रहा है कि हिंदु धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है, इसलिए गौ हत्या को बंद किया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही उन्होंने अवैध रूप से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने का बीड़ा उठा लिया है, इसके साथ ही गौवंश हत्या को रोकने का भी काम कर रहे हैं. Image: Farmer Junction कई ऐसे राज्य हैं जहां गायों को काटने पर आपको कड़ी से कड़ी सजा हो सकती है वहीं कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां गाय काटने पर आशिंक रूप से प्रतिबंध लगा है. लेकिन आज भी भारत के 10 ऐसे राज्य हैं जहां गायों को काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. यहां खुलेआम गाय और भैंस का मीट बिकता है और लोग इसे खरीद कर खाते हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि राज्यों में है गाय काटने पर प्रतिबंध और किन राज्यों में गाय काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं है… पूरी तरह से प्रतिबंधित राज्य Image: Inbound Yoga गौवंश हत्या का मतलब है कि गाय, बैल, बछड़े और सांड किसी की भी हत्या नहीं की जा सकती है. ये नियम 11 राज्यों में लागू है जिसमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दो केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और चंडीगढ़ शामिल हैं. हरियाणा में गाय काटने पर एक लाख का जुर्माना और 10 साल की कैद की सजा है जबकि महाराष्ट्र में 10 हजार रुपये और 5 साल की सजा का प्रावधान है. इन राज्यों में गाय काटने पर नहीं है कोई प्रतिबंध Image: Breakway Back Packers भारत के इन दस राज्यों में गाय को काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. इन राज्यों में केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप भी शामिल है. यहां गाय, बछड़ा, बैल और भैंस का मीट खुलेआम बाजारों में बिकता है और खाया जाता है. इन 10 राज्यों में गौवंश को काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही कोई कानून है. सबसे ज्यादा हैरानी आपको ये जानकर होगी कि इन 10 राज्यों में से 3 ऐसे राज्य भी हैं जहां भारतीय जनता पार्टी का राज है. इन राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल हैं." - भारत के 10 ऐसे राज्य जहां गाय काटने पर नहीं है कोई प्रतिबंध http://tz.ucweb.com/4_13yQQ

ममता की बोलती बंद

"ममता की बोलती बंद जब पूरे बंगाल में हथियारों से लैस होकर निकले आरएसएस वाले India Drifts 13 Apr. 2017 08:59 कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अब आरएसएस और बीजेपी ने अपनी पैठ बनाने की ठान ली है। बीते दिन रामनवमी के अवसर पर बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता बंगाल की सड़कों पर कुछ ऐसे ही निकले। बुधवार के दिन बीजेपी और आरएसएस ने भगवा बाने के साथ हाथों में तलवारें लेकर और जय श्री राम के उद्घोष के साथ बाइक पर रैलियां निकालीं। पूरे प्रदेश में वीएचपी, बीजेपी और आरएसएस ने लगभग 150 से ज्‍यादा रैलियां निकालीं। इन रैलियों पर बीजेपी की ओर से कहा गया कि यह रैलियां पार्टी की हिंदुत्‍व वाली विचारधारा को मजबूत बनाने के लिए निकाली गईं। वहीं राज्‍य में सत्‍ता पर आसीन टीएमसी की ओर से कहा गया कि बीजेपी लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटना चाहती है। आपको बता दें कि इनमें से कई रैलियां ऐसे जिलों में भी निकलीं जहां सांप्रदायिक तनाव का इतिहास रहा है। रैली में शामिल लोग हाथों में तलवार, चाकू और डंडे लिए हुए थे। ये सभी लोग जय श्री राम के साथ जय बजरंग बली और हर हर महादेव का उद्घोष कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर पुलिस इन रैलियों को लेकर काफी आशंकित दिखी कि कहीं को सांप्रदायिक घटना न घट जाए। लेकिन पूरे राज्‍य से कहीं भी किसी तरह की हिंसा की कोई घटना की शिकायत नहीं आई। इन रैलियों में कुछ जगहों पर अयोध्‍या में मंदिर बनाने की कसम खाने की बात के पोस्‍टर भी लहराते हुए दिखे। संदर्भ पढ़ें" - ममता की बोलती बंद जब पूरे बंगाल में हथियारों से लैस होकर निकले आरएसएस वाले http://tz.ucweb.com/4_13ywI

मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

भारत के PM मोदी## हनुमान की तरह काम करे राम से कभी नही पुछते थे हनुमान

पीएम मोदी ने मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में सांसदों से कहा कि वे हनुमान की तरह काम करें. आज हनुमान जयंती के मौके पर हनुमान की भक्ति के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'जिस तरह लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान जड़ी-बूटी लेने चले गए, उसी तरह आप किसी निर्देश का इंतज़ार न करें. खुद से आगे बढ़ कर काम करें. सरकार के कामकाज को जनता तक ले जाएं.' सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा, 'सांसद अपने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाएं. मोदी की जय-जयकार ही क्यों हो, सांसद की जय-जयकार क्यों नहीं हो.' पीएम ने ये भी कहा कि पूरे रामायण में हनुमान ने कभी भी भगवान राम से सवाल नहीं पूछा, हमेशा उनके चरणों में रहे शीश झुकाये रहे. सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने मीटिंग में सांसदों से कहा कि हनुमान की भूमिका में सभी आ जाएं. जिस तरह हनुमान ने कभी कुछ लिया नहीं, सिर्फ दिया उसी तरह जनता के बीच जाकर देने का काम करें. बैठक में पीएम मोदी के भाषण के बारे में बीजेपी नेता अनंत कुमार ने कहा, 'पीएम ने हनुमान जयंती पर हम सबको बधाई दी. उन्होंने हनुमान को भक्ति और शक्ति की प्रेरणा बताया. उcmन्होंने बजट सत्र को सार्थक बताया. उन्होंने लोकसभा में 21 और राज्यसभा में 14 बिल पारित होने पर सबको बधाई दी. यूपी की जीत का जिक्र कर पीएम ने कहा कि एनडीए और बीजेपी के प्रति देश में सकारात्मक माहौल है, विकास के लिए स्वर्णिम अवसर है. इस अवसर पर वेंकैया नायडू ने बताया कि पार्टी के तीन साल पूरे होने पर क्या-क्या कार्यक्रम किए जा सकते हैं.

सोमवार, 10 अप्रैल 2017

2 लाख लगाकर शुरु करें मोती की खेती, इन्कम 1 लाख रु महीने

अगर आप छोटी सी लागत से लाखों कमाना चाहते हैं, तो आपके लिए मोती की खेती एक बेहतर विकल्‍प हो सकती है। मोती की मांग इन दिनों घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में काफी अधिक है, इसलिए इसके अच्‍छे दाम भी मिल रहे हैं। आप महज 2 लाख रुपए के निवेश से इससे करीब डेढ़ साल में हर महीने 1 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि कैसे करें मोती की खेती से कमाई... 20 हजार रुपए से शुरू हो सकती है खेती - मोती की खेती उसी प्रकार से की जाती है जैसे मोती प्राकृतिक रूप से तैयार होता है। यहां भी आपको सीप से ही मोती बनाना है। मोती की खेती करने के लिए इसे छोटे स्‍तर पर भी शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आपको 500 वर्गफीट का तालाब बनाना होगा। - तालाब में आप 100 सीप पालकर मोती उत्‍पादन शुरू कर सकते हैं। प्रत्‍येक सीप की बाजार में कीमत 15 से 25 रुपए होती है। इसके लिए स्‍ट्रक्‍चर सेट-अप पर खर्च होंगे 10 से 12 हजार रुपए, वाटर ट्रीटमेंट पर 1000 रुपए और 1000 रुपए के आपको इंस्‍ट्रयूमेंट्स खरीदने होंगे। लाखों में हो सकती है कमाई - 15 से 20 महीने बाद एक सीप से एक मोती तैयार होता है, जिसकी बाजार में कीमत 300 रुपए से 1500 रुपए तक मिल जाती है। बेहतर क्‍वालिटी और डिजाइनर मोती की कीमत इससे कहीं अधिक 10 हजार रुपए तक इंटरनेशनल मार्केट में मिल जाती है। इस तरह अगर एक मोती की औसत कीमत आप 800 रुपए भी मानते हैं तो इस अवधि में 80,000 रुपए तक कमा सकते हैं। - सीप की संख्‍या आप बढ़ाकर अपने संसाधनों के आधार पर कर सकते हैं। मसलन अगर 2000 सीप पालते हैं तो इस पर खर्च करीब 2 लाख रुपए आएगा। इस हिसाब से आप 15 से 20 महीने की फार्मिंग पर हर महीने आप 1 लाख रुपए से ज्यादा कमा सकते हैं। बशर्ते आपकी मोती बेहतर क्‍वालिटी की हो। बीज डालने के लिए करनी होती है सीप की सर्जरी - सबसे पहले आपको इस खेती के लिए कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण की आवश्‍यकता होती है जो भारत सरकार के द्वारा कराया जाता है। प्रशिक्षण के बाद आपको सरकारी संस्‍थानों या मछुआरों से सीप खरीदने होंगे। सीपों को खुले पानी में दो दिन के लिए छोड़ा जाता है। इससे उनके उपर का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। सीपों को ज्‍यादा देर तक पानी से बाहर नहीं रखना चाहिए। - मांसपेशियां ढीली होने के बाद सीपों की सर्जरी कर उनकी सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद करके उसमें रेत का एक छोटा कण डाला जाता है। यह रेत का कण जब सीप को चुभता है तो वह उस पर अपने अंदर से निकलने वाला पदार्थ छोड़ना शुरू कर देता है। सीपों को नायलॉन के बैग में रखकर (एक बैग में 2 से 3) तालाब में बांस या पीवीसी के पाईप के सहारे छोड़ दिया जाता है। 15 से 20 महीने बाद सीप में मोती तैयार हो जाता है आप उसका कवच तोड़कर मोती निकाल सकते हैं। ग्लोबल स्तर पर है डिजाइनर मोती की डिमांड - आमतौर मोती गोल होता है लेकिन, खेती के जरिए आप मोती को डिजाइन में भी बना सकते हैं जिसकी कीमत ज्‍यादा होती है। सीप के अंदर किसी भी आकृति (गणेश, ईसा, क्रॉस, फूल, आदि) का फ्रेम डाल देते हैं, पूरी प्रक्रिया के बाद मोती यही रूप लेता है। देश विदेश में इस प्रकार के मोतियों की बहुत अधिक मांग है और यह साधारण मोती से कई गुना अधिक कीमत पर बिकते हैं। एक मोती की कीमत 2000 रुपए से 15 हजार रुपए तक हो सकती है, बशर्ते उसकी क्‍वालिटी अच्‍छी हो। सरकार कराती है ट्रेनिंग - मोती की खेती देश में बहुत पहले से की जाती रही है, लेकिन करीब 4 दशक पहले यह बिल्‍कुल न के बराबर हो गई थी। इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक नए विंग सीफा यानि सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर इसके लिए निशुल्‍क ट्रेनिंग कराती है। इसका मुख्‍यालय भुवनेश्‍वर में है और यह 15 दिनों की ट्रेनिंग देता है, जिसमें सर्जरी समेत सभी कुछ सिखाया जाता है। मोती की खेती पहले समुद्र तटीय क्षेत्रों में की जाती थी लेकिन सीफा के प्रयोगों के बाद अन्‍य राज्‍य भी इसके लिए मुफीद हैं। मिलता है आसान लोन - मोती की खेती का यदि आपके पास प्रशिक्षण है तो इसे बड़े स्‍तर पर शुरू करने के लिए आप लोन भी ले सकते हैं। इसके लिए नाबार्ड और अन्‍य कमर्शियल बैंक आपको 15 सालों के लिए सिंपल इंटरेस्‍ट पर लोन उपलब्‍ध कराते हैं। केंद्र सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी की योजनाएं भी समय-समय पर चलाई जाती हैं। यदि आप इसमें कामयाब हो जाते हैं तो अपने बिजनेस को बढ़ाकर कंपनी भी बना सकते हैं और कमाई करोड़ों में कर सकते हैं। खुद बेच सकते हैं अपने मोतियों को - खेती के बाद उत्‍पाद को बेचना ही सबसे बड़ी बात होती है, लेकिन मोतियों के बारे में ऐसा बिल्‍कुल नहीं है। हैदराबाद, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई आदि बड़े शहरों में मोती के हजारों व्‍यापारी मोतियों का कारोबार करते हैं। कई बड़ी कं‍पनियों के एजेंट देशभर में फैले होते हैं जो मोती उत्‍पादकों के संपर्क में आ जाते हैं। इनके अलावा आप अपने मोतियों को डायरेक्‍ट भी इंटरनेट व अन्‍य माध्‍यम से बेच सकते हैं। - इंडियन पर्ल कंपनी देश की सबसे बड़ी मोती व्‍यापार करने और प्राइवेट तौर पर ट्रेनिंग देने वाली कंपनी है। इस कंपनी या इसके जैसी कंपनी के माध्‍यम से भी आप अपने मोती बेच सकते हैं। 20 हजार करोड़ का है मार्केट - पूरी दुनिया में इस तरह के मोतियों का कारोबार करीब 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। भारत में बड़ी मात्रा में मोती पैदा किए जाते हैं लेकिन, फिर भी इसे इम्पोर्ट भी किया जाता है। भारत हर साल करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक के मोती इम्पोर्ट करता है। लेकिन, जहां तक एक्‍सपोर्ट की बात है तो मोतियों का एक्‍सपोर्ट भी भारत से 100 करोड़ रुपए से अधिक का है। भारत से डिजाइनर मोतियों का ज्‍यादा एक्‍सपोर्ट होता है इसलिए आप अपने को इस तरफ भी मोड़ सकते हैं।" - http://tz.ucweb.com/4_Q3Xq

तिसरे युद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया जाने कौन देश किसके साथ

सीरिया में केमिकल हमले के बाद दुनिया की दो महाशक्तियां फिर आमने-सामने है. सीरिया की असद सरकार के बचाव के लिए रूस ने अपना एक जंगी पोत भी सीरिया भेज दिया है. वहीं अमरीका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने सीरिया में विद्रोही ठिकानों पर हुए रासायनिक हमले के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि रूस इस बात पर सहमत हुआ था कि वह आश्वस्त करेगा कि सीरिया के रासायनिक हथियारों का ज़ख़ीरा खत्म हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दुनिया की इन दो बड़ी शक्तियों के आमने-सामने आ जाने के बाद ये कयास लग रहे हैं कि क्या दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर है. अगर ऐसी स्थिति आती है तो कौन देश किसके साथ होगा ये सवाल भी कौंध रहा है. अमेरिका के साथ कौन-कौन से देश? सीरिया में जब 6 साल पहले अरब स्प्रिंग के प्रभाव में विद्रोह शुरू हुए थे तभी से अमेरिका असद विरोधी समूहों के पक्ष में खड़ा हो गया था. अरब का मामला है तो उसके पक्ष में सबसे पहले खड़ा दिखता है इस्राइल. इसके अलावा नैटो के सहयोदी देश- ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देश अमेरिका के साथ हर अंतरराष्ट्रीय मामले पर साथ दिखते हैं. वहीं सीरिया का पड़ोसी देश तुर्की पहले से ही अमेरिका के साथ है. सीरिया बॉर्डर पर रूसी विमान के मार गिराने के कारण रूस के तुर्की का तनाव पहले से ही बढ़ा हुआ है. अमेरिका के सहयोगी ग्रुप-7 के सदस्य देशों के विदेश मंत्री इटली में मुलाकात कर रहे हैं. इस मीटिंग में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि रूसी सरकार पर सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल-असद से दूरी बनाने का दबाव किस तरह बनाया जाए. ब्रिटेन- ब्रिटेन की सरकार ने अमेरिकी हमले का पूरा समर्थन किया है. ब्रितानी रक्षा मंत्री माइकल फैलन ने अमरीकी कार्रवाई को सही और सीमित बताया. तुर्की तुर्की के राष्ट्रपति तैयप अर्दोआन ने अमरीकी कार्रवाई को सीरिया में हो रहे कथित युद्ध अपराध का सही जवाब बताया है. इस्राइल- इस्राइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने एक बयान जारी कर अमरीकी कार्रवाई का पूरा समर्थन किया. फ्रांस- फ्रांस वैसे अमेरिका के साथ खड़ा दिखता है लेकिन सीरिया में इसकी स्थिति पशोपेश वाली है. पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद फ्रांस के युद्धक विमानों ने सीरिया में आईएसआईएस के ठिकानों पर बमबारी की थी लेकिन रूस के साथ तनाव की स्थिति में फ्रांस अमेरिका के साथ ही खड़ा होगा. सऊदी अरब- अमेरिका की ही तरह सुन्नी बहुल खाड़ी देश सऊदी अरब भी किसी भी कीमत पर असद को हटाने पर अड़ा है. 2013 में जब असद पर रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा था तब सऊदी अरब चाहता था कि अमेरिका हस्तक्षेप करे. अमेरिका द्वारा ऐसा न करने पर सऊदी अरब नाराज था, हालांकि अब ये देश अमेरिका के नेतृत्व में आईएसआईएस के खिलाफ अभियान में शामिल है. रूसी खेमे में कौन-कौन से देश शामिल रूस, ईरान और सीरिया की सरकार अगले अमरीकी हवाई हमले की स्थिति में जवाब देने की मुद्रा में दिख रही है. अमेरिका बीते हफ्ते सीरिया के एयरबेस पर हमला कर चुका है. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपने एक भाषण में सीरियाई राष्ट्रपति को तानाशाह तक कह चुके हैं. सीरियाई सरकार के मुख्य सैन्य सहयोगी रूस ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करने वाली और मनगढ़ंत आधार पर की गई आक्रामक कार्रवाई बताया. रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोफ़ ने अमरीका और रूस के पहले से खस्ताहाल संबंधों के गंभीर रूप से बिगड़ने की चेतावनी दी. हालांकि, रूस की संसद ड्यूमा ने संकेत दिए हैं कि अमरीकी कार्रवाई के बाद रूस अपने हमले तेज़ नहीं करेगा. ईरान- सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थक ईरान ने अमरीकी कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है. इन देशों की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं चीन चीनी सरकार ने सीरिया में बिगड़ते हालात पर चिंता जताई है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि किसी देश, संस्था, व्यक्ति की तरफ़ से किसी भी हालत में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल का चीन विरोध करता है लेकिन सबसे ज़रूरी है कि सीरिया की हालत को और न बिगड़ने दिया जाए. भारत भारत ने सीरिया मामले पर कोई स्पष्ट रुख तो नहीं दिखाया है क्योंकि अमेरिका के साथ भी भारत के अच्छे रिश्ते हैं और रूस सबसे अहम सहयोगी है. वहीं सीरिया के साथ भी भारत के परंपरागत संबंध रहे हैं. हालांकि, भारत ने सीरिया, लीबिया जैसे देशों में अपने नागरिकों के जाने पर ट्रैवल एजवाइजरी जारी की है. भारत अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के काल में भी तटस्थता की नीति को अपनाता रहा और किसी भी गुट में शामिल नहीं हुआ था.

रविवार, 9 अप्रैल 2017

जाने भारत के युपी राज्य के CM योगी आदित्यनाथ के 20 दिन के एक्शन

यूपी में योगी राज के 20 दिन पूरे हो गए हैं. इन 20 दिनों में सीएम योगी आदित्यनाथ पूरे एक्शन में दिखे और ताबड़तोड़ फैसलों से यूपी के सुस्त पड़े सिस्टम को दुरुस्त करने की ओर से कदम बढ़ाए हैं. सीएम योगी ने अधिकारियों से सीधे रिपोर्ट मांगी तो स्कूलों से लेकर अस्पतालों में कामकाज पर सख्ती दिखाई. योगी आदित्यनाथ 3 अप्रैल से लगातार सभी विभागों की प्रेजेंटेशन ले रहे हैं, इसमें वह बीजेपी के घोषणापत्र के मुताबिक सभी अधिकारियों से उनका एक्शन प्लॉन मांग रहे हैं. ये हैं 20 दिन में योगी के 20 बड़े फैसले जो अगर कामयाब रहे तो यूपी की तस्वीर बदल सकते हैं. 1. बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के घर का नक्शा नहीं पास होगा योगी सरकार ने जल संरक्षण की दिशा में बड़ा फैसला किया है. अब बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के यूपी में घर नहीं बना पाएंगे लोग. यूपी सीएम योगी अदित्यनाथ ने साफ आदेश दिया है कि बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के घर का कोई नक्शा पास न किया जाए. अब घर बनाने से पहले नक्शा तभी पास होगा जब उसमे रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा हो. 2. सरकारी डॉक्टरों पर सख्ती योगी सरकार ने सरकारी डॉक्टरों को लेकर एक बड़ा फरमान जारी किया है. सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे. यूपी में ऐसा कर रहे 200 से अधिक डॉक्टरों की लिस्ट बनाई गई है. योगी सरकार ने 20 दिन में सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस छोड़ने को कहा है. इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में लोगों के इलाज की सुविधाएं बढ़ाने पर भी योगी सरकार ने जोर दिया है. 3. एसिड बेचने वालों पर डीएम देंगे रिपोर्ट योगी सरकार यूपी में एसिड बेचने पर भी कड़े कदम उठाने जा रही है. राज्य सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया है कि एसिड रखने और बेचने की कड़ाई से मॉनिटरिंग की जाए. उत्तर प्रदेश सरकार ने UP poison & sales rule के तहत 15 दिनों के भीतर सभी डीएम से रिपोर्ट तलब की है कि स्टॉक कितना है और कहां कहां बिना अनुमति के बेचा जा रहा है. सभी डीएम को निरीक्षण कर बेचने वालों की लिस्ट सौंपने को भी कहा गया है. 4. प्राइवेट स्कूलों की फीस पर चलेगी कैंची उत्तर प्रदेश के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में लगातार बढ़ती फीस पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार, कानून में नए प्रावधान लाने की तैयारी में है. इसके अलावा स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर भी लगाम लगाने की तैयारी है. इसके लिए योगी सरकार स्कूलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम भी लागने के बारे में सोच रही है. 5. न सोऊंगा, न सोने दूंगा से अधिकारियों में हड़कंप प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद नरेंद्र मोदी का यह नारा बहुत मशहूर हुआ था- न खाऊंगा, न खाने दूंगा. अब यूपी के सीएम का पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ की इस हुंकार की काफी चर्चा है- न सोऊंगा, न सोने दूंगा. अधिकारियों को जनता के बीच जाकर काम करने, पैदल चलकर लोगों की समस्याएं जानने और 18 घंटे तक काम करने का फरमान यूपी के प्रशासन में हड़कंप का विषय बना हुआ है. 6. बुंदेलखंड और पूर्वांचल के लिए बड़ा प्लान पूर्वांचल से आने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को दिल्ली में अंतरराज्यीय विकास परिषद की बैठक में राज्य के पिछड़े क्षेत्रों बुंदेलखंड और पूर्वांचल में विकास के लिए केंद्र सरकार से धन की मांग की. ये मोदी के यूपी से किए गए वादे की ओर बढ़ने का संकेत है. पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि आप बीजेपी को सत्ता में लाएं हम यूपी को देश के विकास का इंजन बनाएंगे. 7. 15 जून तक गड्ढा मुक्त होंगी सड़कें सत्ता संभालते ही सीएम योगी ने अधिकारियों को सबसे पहले टारगेट दिया यूपी को 15 जून तक गड्ढा मुक्त करने का. इसके लिए CM योगी ने PWD विभाग को आदेश दिया कि सड़कों की मरम्मत के लिए दूसरे राज्यों के मॉडल से सीख ली जाए और हर हाल में ये टारगेट पूरा हो. 8. वाई-फाई से लैस होंगे यूपी के बस स्टैंड्स डिजिटल यूपी की ओर कदम बढ़ाते हुए यूपी सरकार ने यूपी के सभी बस स्टैंड्स को वाई-फाई सुविधाओं से लैस करने का आदेश दिया. परिवहन विभाग के प्रेजेंटेशन के दौरान सीएम योगी ने आम लोगों के लिए कई नई सुविधाएं शुरू करने का निर्देश दिया. बसों की टाइमिंग पता लगाने के लिए जल्द ही ट्रैक माई बस ऐप भी शुरू किया जाएगा. 9. ठेको में गड़बड़ी करने वालों पर सख्ती सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसके साथ चेतावनी भी दी कि अगर कोई अधिकारी या ठेकेदार गबन करेंगे, तो उनके ऊपर केस भी दर्ज होगा. गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सभी विभागों की प्रेजेंटेशन ले रहे हैं. 11 अप्रैल को यूपी सरकार की अगली कैबिनेट बैठक होनी है. 10. 3 रुपये में नाश्ता, 5 रुपये में मिलेगा खाना तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल्द ही अन्नपूर्णा भोजनालय शुरू करने जा रही है. इस भोजनालय में मात्र तीन रुपये में नाश्ता और पांच रुपये में खाना उपलब्ध कराया जाएगा. 12 अप्रैल को खुद सीएम योगी आदित्यनाथ इसका प्रेजेंटेशन देखने वाले हैं. 11. गन्ना किसानों के जल्द अच्छे दिन आएंगे उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान जल्द कराने का फैसला लिया गया है. पिछली सरकार ने चीनी मिलों को जो अवैध तरीके से बेचा है सरकार उसकी सीबीआई जांच करवा सकती है. गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि सरकार के नेतृत्व में 80 प्रतिशत समूहों का भुगतान हो चुका है. यूपी में सभी पशुओं का मुफ्त इलाज होगा और जितने भी महंगी एंटीबायोटिक हैं, वो निशुल्क दी जाएंगी. 12. अखिलेश-माया राज की परियोजनाओं पर नजर सीएम योगी की नजर अखिलेश-माया राज की परियोजनाओं पर भी है. सीएम योगी ने गोमती रिवरफ्रंट परियोजना का खुद जाकर जायजा लिया और रुके हुए काम पर अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की. इस परियोजनाओं में गड़बड़ी के आरोपों के जांच के भी आदेश दिए गए हैं. इस कदम से सीएम योगी ने तमाम परियोजनाओं से जुड़े अधिकारियों को संदेश दिया कि कभी भी उनका काम जांच के घेरे में आ सकता है. 13. बूचड़खानों पर लागू होंगे सख्त नियम योगी राज के शुरू होने के साथ ही यूपी में अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू हो गई. मीट कारोबारी हड़ताल पर भी गए. सीएम योगी से भी मिले. इस बीच, योगी सरकार ने साफ किया कि अवैध बूचड़खानों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी. 14. एंटी रोमियो दस्ता महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर मनचलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए योगी राज में हर जिले में एंटी रोमियो दस्ते बनाए गए हैं. मनचलों के खिलाफ कई जिलों में लगातार कार्रवाई हुई. सीएम योगी ने इस कार्रवाई की सराहना की और कहा कि महिला सुरक्षा के साथ कोई भी नरमी नहीं की जाएगी. 15. बिजली पर ये है योगी सरकार का प्लान योगी सरकार राज्य में 24 घंटे बिजली देने के लिए पूरी जान लगा रही है. योगी ने अधिकारियों के साथ बैठक में फैसला लिया कि आने वाली 14 अप्रैल से सभी जिला मुख्यालयों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाएगी. तो वहीं तहसील और गांव में भी 18 घंटे बिजली दी जाएगी. इसके मद्देनजर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और यूपी के मंत्री श्रीकांत शर्मा में की बैठक भी होगी, जिसमें 2018 तक सभी जगह बिजली और तीर्थ स्थलों पर 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की जाएगी. 100 दिनों में पांच लाख नए कनेक्शन के आदेश भी दिए गए हैं. 16. तबादले नहीं काम का मिशन योगी सरकार के सत्ता संभाले 20 दिन से ऊपर हो गए हैं लेकिन पुराने सरकार में तैनात अधिकारियों के तबादले की लिस्ट अभी तक नहीं आई है. इसके उलट सीएम योगी ने तमाम अधिकारियों से रिपोर्ट और योजना का ब्लू प्रिंट हासिल किया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोज 18 से 20 घंटे काम करके राज्य सरकार के आला अधिकारियों को कठिन परिश्रम का साफ संदेश दे दिया है. राज्य की नौकरशाही को संभवत: समझ आ चुका है कि उन्हें देर रात भी तलब किया जा सकता है. मुख्यमंत्री बनते ही योगी ने साफ शब्दों में अधिकारियों को संकेत दिया था कि जो हर रोज 18 से 20 घंटे काम करने के लिए तैयार नहीं हैं, वे जाने के लिए स्वतंत्र हैं. 17. किसानों की कर्ज माफी का फैसला 4 अप्रैल को अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही योगी सरकार ने किसानों का 1 लाख तक का फसल कर्ज माफ करने का फैसला किया. इस फैसले के तहत योगी सरकार ने किसानों का 36,359 करोड़ का कर्जा किया माफ. इसके अलावा सरकारी केंद्रो के जरिए किसानों से सीधे गेंहूं खरीद का भी सरकार ने फैसला लिया है. 18. आलू उत्पादकों को भी बड़ी राहत प्रदेश सरकार ने सूबे के आलू उत्पादकों को भी बड़ा तोहफा दिया है. प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि सूबे के किसानों के बचे हुए आलू 487 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एक एजेंसी करेगी. इससे उनके बचे हुए आलू बर्बाद नहीं होंगे. 19. निवेश के लिए 'सिंगल विंडो सिस्टम' यूपी सरकार ने राज्य में उद्योग धंधों को रफ्तार देने के लिए नई निवेश पॉलिसी जल्द लाने का ऐलान किया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि इन्वेस्टमेंट का अनुकूल माहौल तैयार करने के मकसद से निवेशकों को एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. योगी सरकार निवेश को ध्यान में रखते हुए 'सिंगल विंडो सिस्टम' शुरू करेगी. 20. पिछली सरकार ने चीनी मिलों को जो अवैध तरीके से बेचा है सरकार उसकी सीबीआई जांच करवा सकती है.

IPL दिवानो के लिए Time tables

IPL दिवानो के लिऐ
🏆 Vivo IPL 2017 Time-Table 🏆
   Date           Tems           Time
05 April   SRH vs RCB     8pm
06 April   RPS vs MI        8pm
07 April   GL vs KKR        8pm
08 April   KXIP vs RPS    4pm
08 April   RCB vs DD        8pm
09 April   SRH vs GL        4pm
09 April   MI vs KKR         8pm
10 April   KXIP vs RCB    8pm
11 April   RPS vs DD        8pm
12 April   MI vs SRH         8pm
13 April   KKR vs KXIP     8pm
14 April   RCB vs MI         4pm
14 April   GL vs RPS         8pm
15 April   KKR vs SRH      4pm
15 April   DD vs KXIP       8pm
16 April   MI vs GL            4pm
16 April   RCB vs RPS      8pm
17 April   DD vs KKR        4pm
17 April   SRH vs KXIP    8pm
18 April   GL vs RCB        8pm
19 April   SRH vs DD        8pm
20 April   KXIP vs MI        8pm
21 April   KKR vs GL         8pm
22 April   DD vs MI           4pm
22 April   RPS vs SRH      8pm
23 April   GL vs KXIP       4pm
23 April   KKR vs RCB      8pm
24 April   MI vs RPS         8pm
25 April   RCB vs SRH      8pm
26 April   RPS vs KKR      8pm
27 April   RCB vs GL        8pm
28 April   KKR vs DD        4pm
28 April   KXIP vs SRH    8pm
29 April   RPS vs RCB      4pm
29 April   MI vs GL            8pm
30 April   KXIP vs DD       4pm
30 April   SRH vs KKR      8pm
01 May    MI vs RCB        4pm
01 May    RPS vs GL        8pm
02 May    DD vs SRH       8pm
03 MAy    KKR vs RPS     8pm
04 May    DD vs GL          8pm
05 May    RCB vs KXIP    8pm
06 May    SRH vs RPS     4pm
06 May    MI vs DD           8pm
07 May    RCB vs KKR     4pm
07 May    KXIP vs GL       8pm
08 May    SRH vs MI        8pm
09 May    KXIP vs KKR    8pm
10 May    GL vs DD          8pm
11 May    MI vs KXIP       8pm
12 May    DD vs RPS        8pm
13 May    GL vs SRH        4pm
13 May    KKR vs MI        8pm
14 May    RPS vs KXIP    4pm
14 May    DD vs RCB        8pm
16 May    Qualifier 1        8pm
17 May    Eliminator        8pm
19 May    Qualifier 2        8pm
21 May   🏆 Final 🏆     8pm

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शनिवार, 8 अप्रैल 2017

यु पी योगी सरकार कीनई पहल 3रुपये मे नास्ता 5रुपये मे भोजन

"योगी आदित्यनाथ सरकार की नई पहल : सिर्फ 3 रुपये में नाश्ता, 5 रुपये में भोजन...! NDTV Khabar 08Apr.2017 10:53 नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जिस दिन से सत्ता में आई है, अपने फैसलों की वजह से चर्चा में है... कभी उनकी चर्चा सरकारी कर्मियों में अनुशासन व समयबद्धता बनाए रखने के लिए उठाए कदमों को लेकर हुई, कभी लड़कियों से छेड़खानी करने वालों के खिलाफ 'एन्टी रोमियो स्क्वाड' बनाने को लेकर... हाल ही में उन्होंने किसानों के एक लाख रुपये तक के कर्ज़े माफ किए, और अब वह गरीबों के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा शुरू की गई दीनदयाल रसोई योजना एवं तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा शुरू की गई 'अम्मा कैन्टीन' की तर्ज पर अन्नपूर्णा भोजनालय शुरू करने जा रही है, जिसमें मात्र तीन रुपये में नाश्ता और पांच रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. मीडिया रिपोर्टों में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अन्नपूर्णा भोजनालय का मसविदा प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है, और मुख्य सचिव को उसके बारे में विस्तृत प्रेज़ेंटेशन भी दिया जा चुका है. मीडिया रिपोर्टों पर यकीन करें, तो 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी इस प्रेज़ेंटेशन को देखने वाले हैं. योजना के तहत सुबह का नाश्ता तथा दिन और रात का भोजन करवाया जाएगा. योजना के अंतर्गत नाश्ते में दलिया, इडली-सांभर, पोहा और चाय-पकौड़ा दिया जाएगा, और भोजन के समय रोटी, मौसमी सब्ज़ियां, अरहर की दाल और चावल मिलेंगे. योजना के तहत अन्नपूर्णा भोजनालय राज्य के सभी नगर निगम क्षेत्रों में खोले जाएंगे. सूत्रों ने बताया है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ये भोजनालय उन्हीं जगहों पर खोलने की कोशिश करेगी, जहां गरीबों और मेहनतकश लोगों की तादाद ज्यादा हो. गौरतलब है कि एक अन्य भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित मध्य प्रदेश में 7 अप्रैल, यानी शुक्रवार को ही दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत सिर्फ पांच रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. शिवराज सिंह चौहान सरकार के अनुसार, दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना शुरू करने का मकसद बड़े शहरों में दूरदराज़ के गांवों और अन्य सूबों से आए मज़दूरों के अलावा गरीबों को कम कीमत पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाना है." - योगी आदित्यनाथ सरकार की नई पहल : सिर्फ 3 रुपये में नाश्ता, 5 रुपये में भोजन...! http://tz.ucweb.com/4_CUvE

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

तुलसी की खेती

"घर के आंगन की तुलसी करा सकती है लाखों में इनकम, जानें कैसे करें बिजनेस MoneyBhaskar.com 07 Apr.2017 15:01 नई दिल्‍ली. कम समय और कम लागत में कमाई का विकल्‍प तलाशने वालों के लिए मेडिसिनल प्‍लांट (औषिधीय पौधों) की खेती और बिजनेस काफी लाभदायक हो सकता है। इन प्‍लांट की खेती के लिए न तो बड़ुत बड़े फार्म की जरूरत होती है और न ही ज्‍यादा इन्‍वेस्‍टमेंट की। इनकी खेती आप कांट्रेक्‍ट पर खेत लेकर भी कर सकते हैं। ज्‍यादातर औषिधीय पौधों की फसल 3 से 6 महीने की होती है। इसके बाद आप इनसे लगातार इनकम कर सकते हैं। मसलन अगर आप तुलसी की खेती करते हैं तो महज 15 से 20 हजार रुपए के इन्‍वेस्‍टमेंट से आप केवल 3 महीने में 3 से 4 लाख रुपए तक इनकम कर सकते हैं। आईए आपको बताते हैं और कौनसे ऑषिधीय पौधे हैं जिनकी आधुनिक खेती से आप अच्‍छी खासी इनकम कर सकते हैं.... सिर्फ 3 महीनों की है तुलसी की फसल तुलसी को ज्‍यादातर धार्मिक मामलों से जोड़कर देखा जाता है लेकिन, इसके औषिधीय गुणों के कारण तुलसी की बाजार में भी बेहद डिमांड है। लंबे समय से कई दवा कंपनियां इसके तेल का इस्‍तेमाल विभिन्‍न दवाओं में कर रही हैं। तुलसी की फसल को अप्रैल-मई में शुरू किया जा सकता है। इसकी बुआई आप दो तरीकों बीज और पौधों की कलम से कर सकते हैं। एक हेक्‍टेयर (ढाई एकड़) में इसकी खेती करने के लिए लगभग 10 किलोग्राम बीज की आवश्‍यकता होती है। तुलसी का पौधा कठोर होता है लिहाजा उस पर ज्‍यादा बीमारियां भी असर नहीं करती हैं। इसकी फसल 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। 15 से 20 हजार रुपए आती है लागत सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्‍लांट (सीमैप) लखनऊ के वैज्ञानिक संजय सिंह ने बताया कि इस दिनों संस्‍थान ने तुलसी की नई किस्‍म सौम्‍या इजाद की है। इस किस्‍म पर बीमारियों का कम असर होता है और इसमें पैदावार भी अच्‍छी मिलती है। इसके अलावा आरआरएलओपी-14 किस्‍म की तुलसी भी उत्‍तर भारत के लिए अच्‍छी मानी जाती है। मध्‍य प्रदेश के रतलाम जिले के लिए रितेश कुमार ने बताया कि इसकी खेती पर लगभग हेक्‍टेयर में लगभग 15 से 20 हजार रुपए का खर्च आता है। इसके अलावा निराई-गुड़ाई और सिंचाई की आवश्‍यकताओं को देखते हुए विभिन्‍न जगहों पर इसके खर्च में अंतर हो सकता है। 2 से 3 लाख रुपए हो सकती है कमाई तुलसी की फसल से दो तरह के प्रॉडक्‍ट प्राप्‍त तोते हैं। पहला बीज और दूसरा पत्तियां। इसके बीज को सीधे मंडी में बेचा जाता है जबकि, पत्तियों से तेल निकालकर कमाई की जाती है। एक हेक्‍टेयर फसल में लगभग 120 से 150 किलोग्राम तक बीज मिल जाता है। जबकि, अच्‍छी फसल में 170 से 200 किलोग्राम तक पत्तियों से तेल प्राप्‍त किया जा सकता है। नीमच मंडी मध्‍य प्रदेश में बीज की कीमत लगभग 200 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास है। वहीं, तेल कीमत वर्तमान में 700 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम है। यदि कम से कम प्रोडक्‍शन और कीमत को आधार बनाएं तो इनसे लगभग 2 से 2.25 लाख रुपए इनकम हो जाती है। इन पौधों की है भारी डिमांड चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जहां पर जड़ी-बुटियों पर अधिक रिसर्च होता है। इसका कारण है दोनों ही सभ्‍यताएं दुनिया में सबसे पुरानी हैं और चिकित्‍सा पद्धति भी लगभग एक जैसी है। लिहाजा यहां औषिधीय पौधों की भारी डिमांड रहती है। इनमें आर्टिमीशिया एन्‍नुआ जिससे मलेरिया की दवा बनाई जाती है। इकलौती एक ऐसा मेडिसिनल प्‍लांट है जो सिर्फ भारत और चीन में ही पाया जाता है। इसके अलावा भात में अच्‍छी इनकम कराने वाले मेडिसिनल प्‍लांट अश्‍वगंधा, मूसली, मुलैठी, एलोवेरा, हल्‍दी आदि का नाम शामिल हैं।" - घर के आंगन की तुलसी करा सकती है 3 महीने में 2.5 लाख तक इनकम http://tz.ucweb.com/4_CmFn

गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

बालीवुड हिरोइन की कडवा सच

"आमिर से श्रीदेवी की ये काली सच्चाई जान कर आपको भी हो जायेगा इन सेलिब्रिटीज से नफरत Nutty Feed ... बॉलीवुड सेलेब्रिटी कैमरे के सामने हमेशा अपना ब्राइट साइट दिखाते हैं और वहीं सब बताते हैं, जो उनकी इमेज को खराब न करें। ऐसे में बॉलीवुड सेलेब्रिटी के कई डार्क सीक्रेट तो सामने नहीं आ पाते हैं। फिल्म इंडस्ट्री की इस जगमगाती दुनिया के पीछे की काली सच्चाई छुपी होती है। कई स्टार के पास्ट और लाईफ से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सी जानने के बाद आप शॉक्ड हो जाएंगे। आज हम आपको बॉलीवुड के कुछ डार्क सीक्रेट बताने जा रहे हैं, जो शायद आपको बिलकुल भी पता नहीं होंगे। करीना कपूर- कॉफी विद करन के पांचवे सीजन में पहुंची करीना कपूर ने कहा था कि वह रणवीर और कैटरीना की शादी में चिकनी चमेली और शीला की जवानी आयटम नंबर पर डांस करना चाहती हैं। जब शो में पहुंचे रणवीर से करीना के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उनका रिएक्शन काफी अजीब था। गौरी खान- कहा जाता है कि गौरी खान को ड्रग की लत है और वह काफी ज्यादा शराब भी पीती हैं। शाहरुख और गौरी की जिंदगी बाहर से देखने में काफी खूबसूरत लगती हैं, लेकिन असल जिंदगी में शाहरुख उनकी इस आदत से काफी दुखी हैं। आमिर खान- आमिर खान पर आरोप लगा था कि राइटर जेसिका हेन्स से उनका बेटा है। हालांकि आमिर खान ने इस बात से पूरी तरह इंकार कर दिया था। कहा जाता है कि दोनों की मुलाकात महेश भट्ट् की फिल्म गुलाम के सेट पर हुई थी। उसके बाद कुछ दिनों तक जेसिका, आमिर के साथ लीव इन में रही और प्रेग्नेंट हुई, लेकिन आमिर ने शादी करने से साफ़ मना कर दिया और उन्हें बच्चा गिराने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने बच्चे को जन्म दिया. ऋतिक और सुजैन: कहा जाता है कि सुजैन से तलाक के बाद ऋतिक काफी डिप्रेस्ड थे और इस दौरान उन्होंने एक पर्सनल लाइफ कोच हायर की थी। ऋतिक की इस कोच का काम उन्हें अप टू बीट रखना, काम पर फोकस रखना और चियर करना था। रानी मुखर्जी- आदित्य चोपड़ा और पायल खन्ना की शादी टूटने का कारण रानी को माना जाता है। कहा जाता है कि आदित्य की मां और पायल की बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी और जब परिवार को रानी, आदि के अफेयर के बारे में पता चला था, तो पायल को घर से बाहर निकाल दिया गया था। शिल्पा शेट्टी- राज कुंद्रा की पहली पत्नी कविता ने शिल्पा पर घर तोड़ने का आरोप लगाया था। कविता जब प्रेगनेंट थीं, तो उन्हें पता चला कि राज उन्हें धोखा दे रहे हैं। कहा जाता है कि कविता ने जिस दिन बेटी को जन्म दिया था, उसी दिन उन्हें राज की तरफ से तलाक का नोटिस मिला था। कंगना रनौत- कहा जाता है कि कंगना रनौत जब बॉलीवुड में आई थीं, तो उनके पास रहने का ठिकाना भी नहीं था। इस दौरान उनकी दोस्ती आदित्य पंचौली से हुई और दोनों लिव इन में रहने लगे थे। आदित्य ने एक इंडरव्यू में कहा था कि कंगना ने उन्हें और उनके पैसों का यूज किया था। धर्मेंद्र- धर्मेंद्र ने जब उनकी पहली पत्नी को छोड़कर हेमा से दूसरी शादी की थी, उस समय उनकी पहली पत्नी के अलावा बॉबी और सनी काफी नाराज थे। कई सालों तक धर्मेंद्र की परिवार से बात नहीं हुई। सनी, बॉबी और उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर आज भी हेमा और उनकी बेटियों से बात नहीं करते हैं। उनकी बेटियों की शादी में भी सनी, बॉबी और उनकी मां नहीं पहुँचे थे। श्रीदेवी- बोनी कपूर ने उनकी पहली पत्नी मोना से श्रीदेवी को ये कहकर मिलवाया था, कि वो उनकी राखी-सिस्टर हैं और घर में साथ में ही रखेंगी। मोना को कुछ समय बाद पता चला कि श्रीदेवी उनके बच्चे की" - आमिर से लेकर श्रीदेवी की ये काली सच्चाई http://tz.ucweb.com/4_xgyC

दिग्विजय सिंह का सच

किसी ने सच कहाँ है काग्रेंस सचिव दिग्विजय सिंह जब भी बोलते है,काग्रेंस के दस लाख वोट कम करते है,अब तो ये भी सक होने लगा है कहीं ये भाजपा के लिए काम नही कर रहे | [त्रिभुवन नाथ चौधरी ]

तो ईस तरह बनेगी राम मंदिर

"नई दिल्ली। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। एक बार फिर से उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जिससे यूपी की सियासत में बवाल मच सकता है। स्वामी ने कहा है कि मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव मान ले नहीं तो 2018 में जब राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत होगा तो कानून बनाकर मंदिर बनाया जाएगा। कल ही सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत से मसले को सुलझाने की सलाह दी थी। आज सुबह सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा, ‘’सरयू नदी के उस पार मस्जिद बनाने का मेरा प्रस्ताव मुस्लिम समाज को मान लेना चाहिए। अगर मुस्लिम समाज हमारा प्रस्ताव नहीं मानता है तो साल 2018 में राज्यसभा में बहुमत होने के बाद मंदिर बनाने के लिए कानून बनाएंगे।’’ हालांकि इस विवाद की अदालती कार्रवाई में लम्बे अरसे से मुसलमानों का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट अगर मध्यस्थता करने की पहल करता है तो इसके लिए मुस्लिम पक्ष पूरी तरह तैयार है मगर किसी बाहरी व्यक्ति की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी।" - SC के साथ के बाद संसद से तय हो गई तारीख, नहीं माने मुस्लिम तो इस तरीके से बनेगा राम मंदिर http://tz.ucweb.com/4_tXHp

जम्मू कश्मीर मे Home ministerराजनाथ सिंह का मास्टर स्ट्रोक

"जम्मू कश्मीर में गृहमंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं ऐसा काम कि अब बवाल मचना तय है ! Youngisthan 5 Apr. 2017 18:27 रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं – गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर बसे मुसलमानों को लेकर एक ऐसा निर्णय करने जा रहे हैं कि उसके बाद देश की स्वयंभू सेक्युलर बुद्धिजीवी जमात में हाहाकार मचना तय है. हो सकता है इसको लेकर कश्मीरी मुस्लिम नेता भी आपत्ति करें. क्योंकि ये मामला मुसलमानों से जुड़ा है. लिहाजा इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों ही इसको मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति कहकर प्रचारित करेंगे. आपको बता दें कि म्यांमार के दस हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की मदद से इनकी पहचान करने और इन्हें वहां से निकालने के प्रयास शुरू कर दिए है. इसी को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों के साथ हुई एक उच्चस्तरीय बैठक भी है. इसमें जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों पर गंभीर चर्चा हुई. बता दें कि उच्चस्तरीय बैठक में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमान को राज्य के बाहर निकालने पर रणनीति बनी है. जम्मू और सांबा जिलों में रह रहे ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान ने देश में भारत-बांग्लादेश सीमा, भारत-म्यांमार सीमा और बंगाल की खाड़ी के रास्ते अवैध रूप से प्रवेश किया है. लेकिन इनको लेकर खुफिया ब्यूरों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि रोहिंग्या मुसलमान देश के बाकी राज्यों को छोड़कर जम्मू कश्मीर में ही क्यों बसे. जबकि वहां पहले से अनु 370 के चलते भारत के बाकी राज्यों को भी नागरिक अधिकार नहीं मिलते हैं. आखिर क्या वजह हो सकती है कि ये लोग देश के बाकी राज्यों को छोड़कर इतनी दूर जम्मू कश्मीर में शरण ले रह हैं. कहीं ये किसी विशेष योजना के तहत तो यहां नहीं बस रहे हैं. कुछ ने तो खुद को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी निकाय से पंजीकृत करवा रखा है, जबकि भारत उन्हें मान्यता नहीं देता. ऐसे में राज्य में इनकी बढ़ती संख्या सही नहीं है. क्योंकि यदि इनको समय रहते नहीं रोका गया तो बाकी जगहों से भी रोहिंग्या मुसलमान यहां आकर बसने लगेंगे. बता दें कि देश में विभिन्न हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं और वे सभी अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं. यही नहीं आगे चलकर ये स्थानीय लोगों से घुल मिल जाएंगे और उनके यहां वैवाहिक संबंध भी बना लेंगे तो फिर इनको यहां से निकालने में भी कठिनाई आएंगी. लिहाजा समय रहते ही इनको यहां निकालकर कहीं ओर शिफ्ट किया जाए. यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वहां से हटाने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं." - जम्मू कश्मीर में गृहमंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं ऐसा काम कि अब बवाल मचना तय है ! http://tz.ucweb.com/4_tVQW

कौन था विश्व का पहला कांवडिया जाने

Home Astrology and Spirituality Previous Next कौन था विश्व का पहला कांवड़िया? जानिए कांवड़ यात्रा की रोचक बातें 2015-08-12 14:22:46 Text resize: A+ A- जयपुर। । श्रावण मास में भगवान शिव के भक्त कांवड़ लाते हैं और भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। कांवड़ यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ माना गया है। ऐसे में यह प्रश्न उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई और पहली बार कांवड़ लेकर कौन आया था। जानिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें। 1- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने सबसे पहले शिवजी को कांवड़ से जल चढ़ाया था। उसके बाद यह परंपरा शुरू हो गई। परशुराम ने यूपी के बागपत में पुरा महादेव का गंगाजल से अभिषेक किया था। 2- परशुराम के अलावा कांवड़ के साथ जिस व्यक्ति का नाम आता है वो हैं - श्रवण कुमार। माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार उन्हें कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराने गए थे। ये भी पढ़िए- अगस्त में जन्मीं लड़कियां होती हैं इन 2 चीजों की मालकिन वे हरिद्वार आए थे और अपने साथ गंगाजल लेकर गए थे। 3- कुछ मान्यताएं रावण को भी कांवड़ यात्रा का श्रेय देती हैं। उनके अनुसार जब शिवजी ने जगत के कल्याण के लिए विष पी लिया था तो रावण उन्हें रोज जल चढ़ाने आता था। वह चाहता था कि जल की शीतलता से महादेव पर विष का प्रभाव कम हो जाए। 4- ऐसा भी माना जाता है कि भगवान श्रीराम सबसे पहले कांवड़ लेकर आए थे। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लिया और बाबाधाम में शिवजी का अभिषेक किया। इस प्रकार कांवड़ यात्रा को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। पहला कांवड़िया कौन था, इस प्रश्न का उत्तर चाहे न मिले लेकिन भक्तों में कांवड़ यात्रा को लेकर जो भावना और श्रद्धा है, वह हमेशा बरकरार रहेगी।

दुरदर्शन का इतिहास

दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। यह दूरदर्शन नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि टीवी का हिंदी पर्याय बन गया। शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। इसके बाद दूरदर्शन ने धीरे धीरेअपने पैर पसारे और दिल्‍ली (1965); मुम्‍बई (1972); कोलकाता (1975), चेन्‍नई (1975) में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई। शुरुआत में तो दूरदर्शन यानी टीवी दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। फिर दूरदर्शन पर शुरु हुआ पारिवारिक कार्यक्रम हम लोग जिसने लोकप्रियता के तमाम रेकॉर्ड तोड़ दिए। 1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचानेके लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद आया भारत और पाकिस्तान के विभाजन की कहानी पर बना बुनियाद जिसने विभाजन की त्रासदी को उस दौर की पीढ़ी से परिचित कराया। इस धारावाहिक के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में लोकप्रिय हो चुके थे। फिर तो एक के बाद एक बेहतरीन और शानदार धारवाहिकों ने दूरदर्शन को घर घर में पहचान दे दी। दूरदर्शन पर 1980 के दशक में प्रसारित होने वाले मालगुडी डेज़, ये जो है जिन्दगी, रजनी, ही मैन, वाहः जनाब, तमस, बुधवार और शुक्रवार को 8 बजे दिखाया जाने वाला फिल्मी गानों पर आधारित चित्रहार, भारत एक खोज, व्योमकेश बक्शी, विक्रम बैताल, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ लैला, शाहरुख़ खान की फौजी, रामायण, महाभारत, देख भाई देख ने देश भर में अपना एक खास दर्शक वर्ग ही नहीं तैयार कर लिया था बल्कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भी इन धारवाहिकों को ज़बर्दस्त लोकप्रियता मिली। रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिकों ने तो सफलता के तमाम कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे, 1986 में शुरु हुए रामायण और इसके बाद शुरु हुए महाभारत के प्रसारण के दौरान रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था और लोग अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से लेकर अपनी यात्रा तक इस समय पर नहीं करते थे। रामायण की लोकप्रियता का आलम तो ये था कि लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपक जलाकर रामायण का इंतजार करते थे और एपिसोड के खत्म होने पर बकायदा प्रसाद बाँटी जाती थी। दूरदर्शन की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव संपादित करें दिल्‍ली (9 अगस्‍त 1984), मुम्‍बई (1 मई 1985), चेन्‍नई (19 नवम्‍बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988) 26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग 14 मार्च 1995: अंतर्राष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत 23 नवम्‍बर 1997 : प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) 18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत 26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत 3 नवम्‍बर 2002 : 24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत 16 दिसम्‍बर 2004 : निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट की शुरूआत

पत्रकारिता का इतिहास

पत्रकारिता का इतिहास, प्रौद्योगिकी और व्यापार के विकास के साथ आरम्भ हुआ। इतिहास संपादित करें लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे। ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं। मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे। 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया। 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नकल करने का काम महंगा भी था और धीमा भी। तब वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’। यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है। भारत में पत्रकारिता का आरंभ संपादित करें छापे की पहली मशीन भारत में 1674 में पहुंचायी गयी थी। मगर भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था। यह अख़बार स्वभावतः अंग्रेज़ी भाषा में निकलता था तथा कंपनी व सरकार के समाचार फैलाता था। सब से पहला अख़बार, जिस में विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त किये गये, वह 1780 में जेम्स ओगस्टस हीकी का अख़बार ‘बंगाल गज़ेट’ था। अख़बार में दो पन्ने थे और इस में ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे। जब हीकी ने अपने अख़बार में गवर्नर की पत्नी का आक्षेप किया तो उसे 4 महीने के लिये जेल भेजा गया और 500 रुपये का जुरमाना लगा दिया गया। लेकिन हीकी शासकों की आलोचना करने से पर्हेज़ नहीं किया। और जब उस ने गवर्नर और सर्वोच्च न्यायाधीश की आलोचना की तो उस पर 5000 रुपये का जुरमाना लगाया गया और एक साल के लिये जेल में डाला गया। इस तरह उस का अख़बार भी बंद हो गया। 1790 के बाद भारत में अंग्रेज़ी भाषा की और कुछ अख़बार स्थापित हुए जो अधिक्तर शासन के मुखपत्र थे। पर भारत में प्रकाशित होनेवाले समाचार-पत्र थोड़े-थोड़े दिनों तक ही जीवित रह सके। 1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। वह बंगाली भाषा का पत्र – ‘संवाद कौमुदी’ (बुद्धि का चांद) था। उस के प्रकाशक राजा राममोहन राय थे। 1822 में गुजराती भाषा का साप्ताहिक ‘मुंबईना समाचार’ प्रकाशित होने लगा, जो दस वर्ष बाद दैनिक हो गया और गुजराती के प्रमुख दैनिक के रूप में आज तक विद्यमान है। भारतीय भाषा का यह सब से पुराना समाचार-पत्र है। 1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया। 1830 में राममोहन राय ने बड़ा हिंदी साप्ताहिक ‘बंगदूत’ का प्रकाशन शुरू किया। वैसे यह बहुभाषीय पत्र था, जो अंग्रेज़ी, बंगला, हिंदी और फारसी में निकलता था। यह कोलकाता से निकलता था जो अहिंदी क्षेत्र था। इस से पता चलता है कि राममोहन राय हिंदी को कितना महत्व देते थे। 1833 में भारत में 20 समाचार-पत्र थे, 1850 में 28 हो गए और 1953 में 35 हो गये। इस तरह अख़बारों की संख्या तो बढ़ी, पर नाममात्र को ही बढ़ी। बहुत से पत्र जल्द ही बंद हो गये। उन की जगह नये निकले। प्रायः समाचार-पत्र कई महीनों से ले कर दो-तीन साल तक जीवित रहे। उस समय भारतीय समाचार-पत्रों की समस्याएं समान थीं। वे नया ज्ञान अपने पाठकों को देना चाहते थे और उसके साथ समाज-सुधार की भावना भी थी। सामाजिक सुधारों को लेकर नये और पुराने विचारवालों में अंतर भी होते थे। इस के कारण नये-नये पत्र निकले। उन के सामने यह समस्या भी थी कि अपने पाठकों को किस भाषा में समाचार और विचार दें। समस्या थी – भाषा शुद्ध हो या सब के लिये सुलभ हो? 1846 में राजा शिव प्रसाद ने हिंदी पत्र ‘बनारस अख़बार’ का प्रकाशन शुरू किया। राजा शिव प्रसाद शुद्ध हिंदी का प्रचार करते थे और अपने पत्र के पृष्ठों पर उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो बोल-चाल की हिंदुस्तानी के पक्ष में थे। लेकिन उसी समय के हिंदी लखक भारतेंदु हरिशचंद्र ने ऐसी रचनाएं रचीं जिन की भाषा समृद्ध भी थी और सरल भी। इस तरह उन्होंने आधुनिक हिंदी की नींव रखी है और हिंदी के भविष्य के बारे में हो रहे विवाद को समाप्त कर दिया। 1868 में भरतेंदु हरिशचंद्र ने साहित्यिक पत्रिका ‘कविवच सुधा’ निकालना प्रारंभ किया। 1854 में हिंदी का पहला दैनिक ‘समाचार सुधा वर्षण’ निकला।

मोदी बोले-विकास के मूलमंत्र गरीब पिछड़ों आदिवासी का जीवन बदलेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहेबगंज में गंगापुल और बंदरगाह सहित कई योजनाओं का शिलान्यास करने पहुंचे. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा- मुझे वीर सपूतों की धरती पर आने का मौका मिला है. पीएम ने कहा कि संथाल इलाके में एक साथ विकास के लिए आजादी के बाद पहली बार इतना बड़ा कदम उठाया गया है. पीएम मोदी ने कहा कि देश में ईमानदारी के युग की शुरुआत हो चुकी है. लाइव... किसान सोलर पंप से जमीन से पानी निकालेगी. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत सरकार क्रांतिकारी काम कर रही है. देशवासी ऊर्जा के महत्व को समझें. झारखंड सरकार ने पशुपालकों का विशेष ध्यान रखा है. गुजरात से डेयरी उद्योग की सीख लें. मुख्यमंत्री जी शहर उत्पादन के काम को भी बढ़ावा दें. हमारा किसान दूध और शहद से भी कमा सकता है. गंगा के माध्यम से झारखंड को पूरी दुनिया से जोड़ने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं. आज मुझे साहब गंज से गोविंदपुर तक सड़क का लोकापर्ण करने का मौका मिला. गोविंदपुर तक 10-12 घंटे का रास्ता पांच-7 घंटे में तय होगा. सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि संथाल के गरीब से गरीब नागरिक के जीवन में नया रास्ता दे रहे हैं. ये सड़क जाने आने के काम नहीं बल्कि विकास की ओर बढ़ने के लिए बन रही हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि इस इलाके के कितने नौजवानों को रोजगार मिलेगा. अपने ही रीजन में काम मिलेगा, घर जा सकेंगे. उनका रोजगार भी होगा उसके साथ साथ, इनका स्किल डेवलपमेंट भी होगा. किसी इंजीनियर से ज्यादा काम करने की ताकत आ जाएगी. इस इलाके में इस प्रोजेक्ट के कारण, हजारों परिवार के नौजवान ऐसी ताकत प्राप्त कर लेंगे जो आने वाले दिनों में झारखंड, बिहार या हिंदुस्तान का कोई और भी इलाका हो, उनमें काम करने की ताकत होगी. इस सारे प्रोजेक्ट में मानव शक्ति का सुनियोजित रूप से स्किल डेवलपमेंट की ताकत है. 22 सौ करोड़ रुपए की लागत से, ये विकास के नए द्वार को खोल देता है. इस ब्रिज के बनने से देश से जुड़ने का अवसर मिल रहा है. मैं बिहार और झारखंड वासियों को बधाई देता हूं. 22 सौ करोड़ रुपए की लागत से, ये विकास के नए द्वार को खोल देता है. इस ब्रिज के बनने से देश से जुड़ने का अवसर मिल रहा है. मैं बिहार और झारखंड वासियों को बधाई देता हूं. गडकरी की तारीफ हमारे नितिन गडकरी जी, ऐसे मंत्री है जो समय सीमा पर काम करवाने में बहुत कुशल हैं. मेरा पक्का विश्वास है, जिस तारीख को इसका लोकार्पण तय होगा, उस सीमा रेख में ये पूरा काम कर लेंगे.