सोमवार, 6 अप्रैल 2020

कोविड-19: राजनीतिक दलों की छटपटाहट बढ़ा रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी, बदले सुर

कोविड-19: राजनीतिक दलों की छटपटाहट बढ़ा रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी, बदले सुर

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली। Updated Mon, 06 Apr 2020 05:08 AM IST
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : Amar Ujala
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोविड-19 से जंग की तैयारियों के तरीके ने फिलहाल विपक्ष की छटपटाहट बढ़ाई हुई है। वो खामियों को ढांक कर जनता में जोश जगा ले जाने की कुशलता से आगे बढ़ रहे हैं। जनता के बीच में नए एजेंडे के साथ आने की तैयारियों ने दूसरे राजनीतिक दलों की छटपटाहट को बढ़ा दिया है।

सपा से भाजपा में आए राज्यसभा सांसद के मुताबिक जनता में पीएम की फालोइंग है। वह एक अच्छे योजनाकार हैं और उनकी इस रणनीति के आगे विपक्ष परेशान दिख रहा है। विपक्ष जो उठाना चाह रहा है, जनता से उसे समर्थन नहीं मिल रहा है। यही प्रधानमंत्री की ताकत है और विपक्ष की कमजोरी। सूत्र का कहना है कि कुछ भी सही, राहुल गांधी पीएम को निशाने पर रखकर बोलते तो हैं। सब कुछ के बावजूद इस समय विपक्ष के पास पीएम के कद के करीब कोई चेहरा नहीं है। 

कांग्रेस को छोड़कर कोई दल प्रधानमंत्री के सामने नहीं आता 
राहुल गांधी की टीम के एक सदस्य ने भी माना कि प्रधानमंत्री के सामने खड़ा होने वाला कोई चेहरा किसी राजनीतिक दल के पास नहीं है। लेकिन इसका कारण है। प्रधानमंत्री की जनता में फालोइंग को विपक्ष वाले भी मानते हैं, लेकिन वो यह भी कहते हैं कि प्रधानमंत्री और भाजपा के लिए बीपीएल की तर्ज पर पेड फालोइंग खड़ी की गई है।

यह लोग वही सुनते हैं, जो प्रधानमंत्री और भाजपा के हित में होता है। सही बात कहने वाले के खिलाफ यह वर्ग सोशल मीडिया से लेकर हर जगह विरोध, अपमानजनक व्यवहार करने के साथ मुद्दे भटकाने में लग जाता है। सूत्र का कहना है, इन्हीं लोगों ने राहुल गांधी की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

दूसरे, केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए कर रही है। इसलिए भी कांग्रेस को छोड़कर कोई प्रधानमंत्री के सामने नहीं आता।
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पीएम की अपील पर दलों के बदले सुर....

प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को कोविड-19 से जंग में लोगों से शंख, ताली बजाने की अपील की थी। दो दिन पहले वह फिर जनता से पांच अप्रैल की रात नौ बजे 9 मिनट के लिए दीया जलाने की अपील कर गए। राजनीति पर लगातार नजर रख रहे विश्लेषक राजीव शर्मा का कहना है कि 22 मार्च और पांच अप्रैल की अपील के बीच में राजनीतिक दलों के सुर बदल गए।

फरवरी-मार्च के महीने में राहुल गांधी कोविड-19 से जुड़े मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री की नीति पर करारा हमला बोल रहे थे। अभी संयत चल रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने मार्च में प्रधानमंत्री की कोविद-19 से लड़ने के लिए प्रयासों की तारीफ की। हफ्ते के अंत में लॉकडाउन के तरीके को लेकर हमला बोला। राजीव शर्मा का कहना है कि तब प्रधानमंत्री सही थे तो अचानक गलत कैसे हो गए?

बड़ा सवाल है। यह कांग्रेस पार्टी के असमंजस को दिखाता है। राजीव शर्मा का कहना है कि 22 मार्च को शाम पांच बजे लोगों ने जो उत्साह दिखाया, उससे पांच अप्रैल की प्रधानमंत्री की अपील ने राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया। राजीव इस बात की ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि देश में मास्क, वेंटिलेटर सबकी भारी कमी है, डॉक्टर, नर्स सब परेशान हैं, लेकिन राजनीतिक दल इस मुद्दे को और सरकार की खामियों को ढंग से नहीं उठा पा रहे हैं।

इस विश्लेषण पर एक समाजवादी नेता का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण की आशंका में लोग भयग्रस्त हैं। प्रधानमंत्री अपनी कमजोरी छिपाने के लिए दीया जलाने का अभियान चलाकर लोगों के भय का राजनीतिक लाभ ले रहे हैं, जबकि राजनीतिक दल इस तरह की आपात स्थिति में राजनीति नहीं करना चाहते।

टीएमसी, बसपा, शिवसेना, कांग्रेस(वाइएसआर) को भी देखिए

कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व महासचिव अक्सर कहा करते हैं कि देश में लोक विरुद्ध जो भी राजनीतिक दल व्यवहार करेगा, जनता उसे नकार देगी। लोगों का ध्यान ऐसे समय में ममता बनर्जी पर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस बार कोई करारा राजनीतिक बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जिसे अच्छा लगता हो, दीया जलाए।

बसपा, सपा समेत किसी अन्य दल की तरफ से कोई कड़ी राजनीतिक टिप्पणी नहीं आई। वाईएसआर कांग्रेस के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कोविड-19 से जंग में केवल तब्लीगी जमात के लोगों को जिम्मेदार ठहराए जाने पर तंज कसा। भाजपा के प्रवक्ता नलिन कोहली ने दीपक जलाने को जहां आशा, उम्मीद, नई ऊर्जा के संचार का दीपक कहा, वहीं कांग्रेस की प्रवक्ता सुष्मिता देव इसे चिराग तले अंधेरा करार देती हैं।

सुष्मिता देव के अनुसार यह प्रधानमंत्री का स्काईवॉक है। जद(एस) के एचडी कुमारस्वामी प्रधानमंत्री के प्रयास को राजनीतिक करार देते हैं। उनका कहना है कि छह अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस है और उसकी पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री ने यह राजनीतिक दांव चला।  

प्रधानमंत्री का कुशल दांव.. लोकतंत्र की प्रक्रिया का पालन

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से जंग में 5 अप्रैल को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रतिभा देवी सिंह पाटील, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से टेलीफोन पर चर्चा की। सहयोग मांगा। इसी तरह से वह अन्य नेताओं, समाज के विभिन्न वर्गों, कूटनीतिज्ञों, नौकरशाह, राज्यों के सीएम आदि सभी से चर्चा कर चुके हैं।

गुजरात में प्रधानमंत्री के साथ लंबे समय तक काम कर चुके एक पूर्व नौकरशाह का कहना है कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी वह सबको साथ लेकर चलने की नीति का एहसास जनता को कराते रहे हैं। वह जनता की नब्ज समझते हैं। राजीव शर्मा इसे प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा दांव मानते हैं।

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