अरे ये बाबू हमरी का लेहले,हम त दुख मै पैदा भईली,दुख मे पलली और जवान भईली,दुख के खजाना बाड़ी हम,अब दुख से पंगा लेबअ त अतना दुख मिली कि,सुख क कभी नाम न लेबअ,समझलअ कि ना,फैसला तोहरे हाथ मे बा सुख कि दुख |
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